मजीठिया सिफारिशों के लिए श्रम विभाग का नोटिस, जागरण प्रबंधन के होश उड़े
मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू कराने की दिशा मे उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही शुरू कर दी है। ध्यान रहे, कुछ अखबारों के प्रबंधतंत्र एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद कर्मचारियों को यह पाठ पढ़ा रहे थे कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने मामला राज्य सरकारों के ही हवाले कर दिया है और राज्य सरकारों के हवाले किए जाने का साफ मतलब है कि कर्मचारियों के लिए तो गई भैंस पानी में। क्योंकि राज्य सरकारों से हम अपनी मर्जी के मुताबिक काम करा लेंगे। जहां से जैसे चाहेंगे, वहां से वैसे ही लिखवाएंगे। लेबर डिपार्ट्मेंट के किस अफसर मे इतनी हिम्मत है कि हमारे खिलाफ जाएगा और जो बहुत कूदेगा उसे खरीद लेंगे, लेकिन अब उनके होश उड़े हुए हैं। फिलहाल नोएडा के डीएलसी कार्यालय से अखबारों को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इस सिलसिले में इस मामले के लिए निरीक्षक नियुक्त किए गए श्रम प्रवर्तन अधिकारी रामदरश यादव ने दैनिक जागरण प्रबंधन को चार पन्नों का नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के क्रियांवय्न के संबंध में 22 जून तक सूचनाएं उपलब्ध करने को कहा है। साथ ही यह भी लिखा है कि 22 जून तक सूचनाएं न मिलने पर यह मान लिया जाएगा कि आपके द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है और तदक्रम में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार आपके विरुद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही अपनाई जाएगी।
जो जानकारियां मांगी गई हैं उसमें निदेशकों के नाम-पते और अखबार के सर्कुलेशन के अलावा श्रमजीवी पत्रकारों, गैर पत्रकार और कारखाना कर्मचारियों की संख्या, उनका वेतनमान, एआरआई यानी सालाना इनक्रीमेंट, परिवर्ती वेतन भी पूछा गया है। इसमें यह भी पूछा गया है कि कर्मचारियो का मूल वेतन, महंगाई भत्ता, आवास किराया भत्ता, परिवहन भत्ता आदि दिया जा रहा है या नहीं। गौरतलब है 22 जून को ही जागरण कर्मचारियो द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा उठाई गई कुछ मांगों पर डीएलसी कार्यालय में सुनवाई भी है। इसमें जागरण कर्मियो ने वेतन पर्ची में अपना मूल वेतन, महंगाई भत्ता और अन्य भत्ते अलग-अलग दर्शाने की मांग उठाई है। अभी तक उन मांगों के सबंध में जागरण प्रबंधन ने कुछ भी किया नहीं है। वह निकट भविष्य में ऐसा कुछ करने के मूड में भी दिखाई नहीं देता है। सब कुछ गोल मोल रखना चहता है ताकि जरूरत के मुताबिक जब जैसा जहां लगे, दिखा दिया जाए। लेकिन उसकी यह नीति अब बहुत दिन चलने वाली नहीं है।