यूपीटीवी बृजेश मिश्रा “सत्यमेव जयते” की कहानी जगह “लूटमेव जयते” की जुबानी

Manoj Singh Gautam

ईटीवी उत्तर प्रदेश के बयूरो रहे बृजेश मिश्रा जो 15 साल पहले राजदूत मोटर साइकिल से ऑफिस आते थे तब उनको चैनल के मुताबिक़ सैलरी के रूप में 20000 मिलते थे जो उनके चैनल छोड़ने से पहले 60000 महीना थी।

वे आज अपना खुद का एक नया चैनल यूपीटीवी लाये है जिस पर उनहोंने लिखा है “सत्यमेव जयते ” जबकि उनको लूटमेव जयते लिखना चाहिये।

क्या 60000 हजार रुपया महीने सैलरी पाने वाला कोई पत्रकार अपना चैनल ला सकता है ? शायद कभी नही।

दो साल तक अधिकारियो करमचारियो के रिश्वतखोरी के तमाम स्टिंग ऑपरेशन चलाने के बाद उनहोंने स्टिंग को कमाई का जरिया बना लिया तमाम अधिकारियो और करमचारियो ने अपनी अवैध कमाई से बृजेश मिश्रा को महीना फिक्स कर दिया तुम भी खाओ हम भी खाये।

2007 से 2012 तक मायावती सरकार के तमाम विधायक मंत्रियो से कमीशन से नियमित कमाई बदस्तूर जारी रही।

2012 मे अखिलेश यादव ने बृजेश मिश्रा के प्लांट किये एक इंजीनियर ए पी मिश्रा को विद्युत विभाग का एमडी बना दिया जिसके एवज मे ए पी मिश्रा विद्युत विभाग के हर टेंडर मे से बृजेश मिश्रा को एक प्रतिशत कमीशन देते रहे।

अखिलेश सरकार मे खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की चारित्रिक कमजोरियो और अवैध खनन की कवरेज को रोकने के एवज मे बृजेश मिश्रा को हर जिले से बीस पचीस लाख की नियमित कमाई आने लगी जिससे बृजेश के पास करोड़ो रुपये का अंबार लग गया।

बृजेश मिश्रा द्वारा अवैध रूप से कमाये गये पैसो को कही न कही ठिकाने लगाना ही था सो उनहोंने एक कंपनी मे निवेश के माध्यम से नया चैनल यूपीटीवी लांच किया है लेकिन “सत्यमेव जयते” बृजेश मिश्रा पर सूट नही करता है उनको “सत्यमेव जयते” की जगह लूटमेव जयते लिखना चाहिये

लखनऊ के कुछ पत्रकार एक जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं जिसमे उनकी मांग है कि बृजेश मिश्रा जैसे लुटेरे पत्रकार को “सत्यमेव जयते” के इस्तेमाल करने से रोका जाए और उसके 15 साल की अवैध कमाई की जांच एसआईटी से कराई जाय।

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