गलत सूचना और हलफनामा से पत्रकार खा सकते हैं जेल की हवा
- राज्य सम्पत्ति विभाग ने बनाई सख्त नियमावली
- मीडिया संस्थानों के हेड से संस्तुति बनी गले की हड्डïी
- उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने सीएम से की नियमों का शिथिल करने की मांग
सरकारी आवास में रहने वाले और आवास की आकांक्षा वाले पत्रकार सावधान हो जाएं। अगर सरकारी आवास लेने के लिए कोई झूठा हलफनामा तो जेल की हवा भी खा सकते हैं। साथ ही नियमों से खिलवाड़ किया तो आवास आवंटन रद हो जाएगा। राज्य सम्पत्ति विभाग ने पत्रकारों के आवास के लिए एक नया फार्म जारी किया है। जिसमें पत्रकारों से ऐसी-ऐसी सूचनाएं मांगी हैं, जिन्हें देने से तमाम दिक्कतें आ सकती हैं।
सरकारी आवासों के दुरुपयोग को लेकर एक जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली कराने का आदेश दिया था। इसके बाद गैरसरकारी व्यक्तियों को सरकारी आवास खाली कराने के लिए नोटिस दिया गया। जिसके बाद से पत्रकारों में सबसे ज्यादा हडक़म्प मच गया था। अपने सरकारी आवास बचाने के लिए सरकार से पैरवी में जुट गए। इस आदेश के बाद यूपी सरकार राज्य सम्पत्ति विभाग के नियंत्रणाधीन भवनों का आवंटन नियमावली 2016 लाई। जिसमें कई संशोधन किए गए। जिससे पूर्व मुख्यमंत्री के सरकारी आवास को खाली करने न करना पड़े। इस संशोधन से अधिकारी और पत्रकार भी प्रभावित हुए।
सरकारी आवासों में रह रहे पत्रकार जब अपने आवास का नवीनीकरण कराने के लिए राज्य सम्पत्ति विभाग गए तो विभाग ने एक प्रोफार्मा भी थमा दिया गया। जिसमें इतने सख्त प्रावधान किए गए हैं। अगर कोई भी लापरवाही की तो जेल जाने के सिवाए कोई विकल्प नहीं बचेगा। नई नियमावली के तहत पत्रकारों से प्रावधानों के तहत यह जानकारी मांगी गई है कि लखनऊ में आपके और परिजनों के नाम से कोई निजी आवास तो नहीं है। अपने संस्थान से आवास भत्ता कितना प्राप्त किया जा रहा है। लखनऊ के बाहर तबादला होने या फिर रिटायरमेंट होने अथवा आवंटन तिथि पूरी होने पर शासन से एक माह की विशेष अवधि को प्राप्त करने के तुरंत आवास खाली करना होगा। यदि किराया वसूली के लिए भू राजस्व की भांति कार्रवाई की गई तो कोई आपत्ति नहीं होगी। इसके साथ ही इस बात का भी शपथ पत्र देना होगा कि आपने लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद से कोई आवास अपने और अपने परिजनों के नाम आवंटन तो नहीं कराया है। सरकारी बैंक से कोई लोन तो नहीं लिया है। इस सबसे अतिरिक्त आपके द्वारा दी सूचनाएं और हलफनामें की जानकारियों के लिए आपके संस्थान के मुखिया सत्यापन करना होगा। गलत सूचना देने के लिए संस्थान के मुखिया को जिम्मेदार ठहराया गया है। गलत सूचना पर संस्थान का मुखिया पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा कि राज्य संपत्ति की ओर से बनायी गयी नयी नियमावली के अव्यवहारिक होने से सरकारी मकानों में रहने वाले पत्रकारों को परेशानी हो रही है जिसका निराकरण तत्काल प्रभाव से किया जाए। श्री तिवारी ने कहा कि राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सरकारी आवास के लिए प्रख्यापित नियमों को शिथिल कर उसे पूर्व की भांति किया जाए जिससे इस अति गंभीर समस्या का निराकरण हो सके। उन्होंने अवगत कराया कि इस संदर्भ में समिति ने पूर्व की सरकार को कई ज्ञापन भी सौंपे थे पर समुचित निराकरण नहीं हो सका है।