क्या NDTV चोर है? सरकार की मानें तो ‘हाँ’ है …
आज सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में एक खबर जिसने अपनी विशेष जगह बनाई वो है, NDTV के प्रमोटरों के ठिकानों पर कल सीबीआई द्वारा दी गई रेड. इस खबर की प्रतिक्रिया में मीडिया दो धड़ों में बंटा हुआ दिखाई दिया. BBC हिंदी की वेबसाइट पर एनडीटीवी पर सीबीआई द्वारा दी गई दबिश के कारणों की पड़ताल प्रकाशित की गई है. जिसमे यह बताया गया है कि प्रमोटर प्रणव रॉय और राधिका रॉय पर क्या क्या आरोप लगाए गए हैं.
एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय और राधिका रॉय पर आरोप है कि उनकी कंपनी ने एक निजी बैंक आईसीआईसीआई बैंक को 48 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है. आईसीआईसीआई बैंक के कुछ अधिकारियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने एनडीटीवी के प्रमोटरों के साथ मिलकर एक ‘फर्जी’ कंपनी को एनडीटीवी के शेयरों के स्थानांतरण में मदद की है.केंद्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई ने दिल्ली की एक संस्था – ‘क्वांटम सिक्योरिटीज’ के संजय दत्त की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की है. इस मामले में आईसीआईसीआई बैंक ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है.
इस मामले की जड़ में वो लोन हैं जो प्रणय रॉय ने वर्ष 2008 में लिए थे. उन्होंने एक नई कंपनी-आरआरपीआर होल्डिंग्ज़ प्राइवेट लिमिटेड बनाई और ‘इंडिया बुल्स’ नाम की कंपनी से 501 करोड़ रुपए का कर्ज़ लिया. आरोप हैं कि फिर इसी कंपनी के ज़रिये उन्होंने एनडीटीवी के बहुत सारे शेयरों को ख़रीदा. शिकायतकर्ता के आरोपों के अनुसार ‘इंडियाबुल्स’ के कर्ज़ को चुकाने के लिए ‘आरआरपीआर होल्डिंग्ज़ प्राइवेट लिमिटेड’ ने आईसीआईसीआई बैंक से 375 करोड़ रुपए का ऋण लिया जिसकी ब्याज दर 19 प्रतिशत तय किया गया. यह बात अक्टूबर 2008 की है.
इसके बाद अगस्त 2009 में ‘आरआरपीआर होल्डिंग्ज़ प्राइवेट लिमिटेड’ को एक और कंपनी – विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड – मिल गई जिसने आईसीआईसीआई का लोन चुकाने के लिए सहमति भर ली. संजय दत्त द्वारा दर्ज की गयी शिकायत सीबीआई की प्राथमिकी का आधार है. इसमें कहा गया है कि ‘आरआरपीआर होल्डिंग्ज़ प्राइवेट लिमिटेड’ की ‘बैलेंसशीट’ के अनुसार उसे आईसीआईसीआई बैंक को 396,42,58,871 रुपए चुकाने थे. लेकिन उसे 350 करोड़ रुपए ही चुकाए गए
संजय दत्त के अनुसार इसके साथ-साथ 2016 तक उस रक़म पर और 6 करोड़ रूपए बतौर ब्याज होते हैं. यानी बैंक को कुल मिलाकर 48 करोड़ रूपए का नुक़सान हुआ. सीबीआई की एसीबी शाखा के एसपी किरण एस ने इस मामले की जाँच के लिए डीएसपी ललित फुलर को अनुसंधान अधिकारी नियुक्त किया है.
प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक सांठगांठ) और धारा 420 (धोखाधड़ी) के साथ भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.
वहीँ ABP हिंदी की वेबसाइट पर CBI द्वारा दाखिल की गई अपनी सफाई की खबर को जगह दी गई है. इसमें बताया गया है कि CBI ने अपनी सफाई में क्या क्या बातें पेश की हैं. सीबीआई न छापों को लेकर सफाई दी है. सीबीआई ने जारी बयान कर कहा है कि एनडीटीवी की ओर से जारी बयान सीबीआई पर आरोप लगाता है. सीबीआई ने अपनी सफाई में मुख्य रूप से चार बातों का जिक्र किया है. NDTV के दफ्तर और न्यूज़रूम में जांच नहीं, CBI मीडिया की आजादी का सम्मान करती है
सीबीआई ने अपने बयान में साफ किया है कि हमने कोर्ट से मिले वारंट के आधार पर सिर्फ चैनल के प्रमोटर्स के दफ्तरों में छापेमारी की. सीबीआई ने एनडीटीवी के दफ्तर, न्यूज़रूम में किसी भी तरह की छापेमारी नहीं की. सीबीआई प्रेस की आजादी का सम्मान करती है.
सीबीआई ने ICICI बैंक के शेयर होल्डर की शिकायत पर केस दर्ज किया. सीबीआई पर किसी दबाव में काम करने का आरोप लगाना जांच एजेंसी की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास है. सीबीआई की जांच पूरी तरह कानूनी तरीके से और अदालत के अधिकार क्षेत्र में ही हो रही है. जांच से मिले सबूतों को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा.
सीबीआई ने अपने बयान में कहा, “एनडीटीवी के बयान में कहा गया है कि एनडीटीवी और उनके प्रमोटर्स किसी भी लोन में डिफॉल्टर नहीं हैं. सीबीआई की जांच लोन डिफॉल्ट को लेकर नहीं बल्कि ICICI बैंक को 48 करोड़ का नुकसान पहुंचाने को लेकर है. आरोप के मुताबिक ICICI बैंक ने एनडीटीवी के प्रमोटर्स के 61 प्रतिशत शेयर गिरवी रखे जो बैकिंग एक्ट 19 का भी उल्लघंन है. ICICI बैंक ने लोन की ब्याज दर 19 प्रतिशत से घटा कर 9 प्रतिशत कर दी जिससे बैंक को 48 करोड़ का नुकसान हुआ और प्रमोटर्स को फायदा हुआ.”
सीबीआई ने कहा, “एनडीटीवी ने अपने बयान में कहा है कि ICICI बैंक को प्राइवेट बैंक बताते हुए सीबीआई के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए हैं. हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि 2016 में रमेश गिल बनाम सीबीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 प्राइवेट बैंकों के अधिकारियों पर भी लागू होता है. इसलिए सीबीआई को प्राइवेट बैंक के केस की जांच करने का भी अधिकार है.”