क्या शेयर बाजार से भागने की फिराक में है एनडीटीवी?

घपले-घोटालों में फंसा एनडीटीवी एक बार फिर से खबरों में है। कंपनी के शेयरों में अचानक तेज़ी देखी जा रही है। सिर्फ पांच दिन में ही इसका शेयर 39 रुपये से बढ़कर 64 रुपये तक पहुंच गया है। पिछले हफ्ते 4 सितंबर के दिन इसका शेयर 39 रुपये पर था जो कि शुक्रवार 8 सितंबर को 64 रुपये तक जा पहुंचा। यानी एक हफ्ते में 70 फीसदी का उछाल। हर कोई हैरान है कि कंपनी में ऐसा क्या हो गया कि इसके शेयरों में तेजी आ रही है। सवाल ये कि ऐसा कौन है जो खस्ताहाल और आर्थिक घोटालों में फंसी कंपनी के शेयर खरीद रहा है? कुछ जानकारों को शक है कि बाजार से भागने के चक्कर में ये जानबूझ कर किया जा रहा है।

4 सितंबर, सोमवार के दिन एनडीटीवी का शेयर 39.80 से उछलकर सीधे 47.30 पर पहुंच गया। आगे भी ये उछाल जारी रहा है। शेयर बाजार के जानकारों के मुताबिक कोई इस कंपनी के बाजार में उपलब्ध सभी शेयरों को खरीदने में जुटा है। लेकिन कोई एनडीटीवी जैसी बीमार और घोटालेबाज कंपनी के शेयर क्यों खरीदेगा? वेबसाइट PGurus.com ने इस बारे में छपी अपनी रिपोर्ट में कुछ अहम जानकारियां दी हैं। इनके मुताबिक एनडीटीवी के करीब 80 फीसदी शेयर अभी मुकेश अंबानी की रिलायंस से जुड़ी एक कंपनी, प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय और फर्जीवाड़े में फंसी उनकी कंपनी RRPR लिमिटेड के पास हैं। बाकी 20 फीसदी शेयर बाजार में करीब 40 हजार छोटे निवेशकों के पास हैं। सारा उछाल इन्हीं 20 फीसदी शेयरों में ट्रेडिंग के कारण आया है।

 दरअसल जब किसी कंपनी के शेयर 10 फीसदी से भी नीचे चले जाते हैं तो कंपनी उसे सेबी की अनुमति से डीलिस्ट यानी शेयर बाजार से बाहर निकाल सकती है। इससे वो कंपनी सेबी और स्टॉक एक्सचेंज के सख्त नियम-कायदों से बच निकलती है। चूंकि एनडीटीवी पर इन दिनों धांधली के कई आरोपों की जांच चल रही है, इसलिए उसके लिए शेयर गिरने की सूरत में बाजार से डीलिस्ट होने का रास्ता आसान नहीं होगा। लेकिन एनडीटीवी सरकार में अपने कुछ करीबियों की मदद से शेयरों को चढ़ा और फिर गिराकर डीलिस्ट होने के चक्कर में है? क्योंकि ऐसा करके वो कई एजेंसियों की जांच से खुद को बचा लेगी। एक शक यह भी है कि ये नकली तेजी जानबूझकर लाई जा रही हो ताकि प्रोमोटर्स इसके शेयरों को ऊंची कीमत पर बेचकर निकल सकें। सच्चाई जो भी हो लेकिन इस बात की पूरी आशंका है कि एनडीटीवी एक बार फिर से अपने शेयरधारकों को बेवकूफ बनाकर कमाई के चक्कर में है। ऐसे में सरकार और सेबी को नज़र रखनी होगी कि एनडीटीवी को इसकी छूट न दी जाए। क्योंकि अगर ये सच हुआ तो 40 हजार छोटे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
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