पेड न्यूज के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को दी ये नसीहत
पेड न्यूज (पैसे देकर खबर छपवाना) के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को छह महीने के भीतर दूसरा झटका दिया है। इससे पहले पिछले हफ्ते हाई कोर्ट ने पेड न्यूज के मामले में भाजपा नेता और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराए जाने के चुनाव आयोग के फ़ैसले को रद कर दिया था।
अब हाई कोर्ट के नए आदेश ने पेड न्यूज के मामले में चुनाव आयोग के सामने एक लाल रेखा खींच दी है। कोर्ट का कहना है कि आयोग की कार्रवाई चुनाव में उम्मीदवार द्वारा किए गए खर्च तक सीमित है न कि भाषण के कंटेंट पर।
18 मई को दिए गए अपने आदेश में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि धारा 77 के तहत चुनाव आयोग की कार्रवाई सिर्फ उम्मीदवार या उसकी ओर से नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा चुनाव खर्च को लेकर सीमित है। वह स्पीच को लेकर किसी तरह का फैसला नहीं ले सकता है।
चुनाव आयोग द्वारा मिश्रा को तीन साल के लिए अयोग्य घोषित करने और कोर्ट की एकल पीठ द्वारा इस निर्णय को बरकरार रखने के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में नियमों की गलत व्याख्या हुई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि किसी उम्मीदवार विशेष के बारे में मीडिया आर्टिकल अथवा न्यूज फीचर्स को आमतौर पर चुनाव आयोग के निर्देशानुसार परोक्ष रूप से रेगुलेट नहीं किया जाना चाहिए। यह वाक एवं अभिव्यक्ति की आजादी का हनन होता है। आदेश में यह भी कहा गया है कि किसी भी तरह का अप्रत्यक्ष नियंत्रण लोगों के वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा।
वहीं, चुनाव आयोग से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि पेड न्यूज के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का निर्णय ऐसे समय में आया है जब निष्पक्ष चुनाव कराने में आयोग ने पेड न्यूज को एक बड़ी चुनौती के रूप में लिया है। सूत्र के अनुसार, हाल के दिनों में हुए कर्नाटक चुनाव में 15 ऐसे मामले सामने आए थे, जहां पर इस तरह के खर्च को चुनाव व्यय में शामिल किया गया।
पिछले विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने पेड न्यूज के बड़े आंकड़े पेश किए थे। इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में गुजरात में पेड न्यूज के मामले सबसे ज्यादा 80 आए थे जबकि पंजाब में भी 80 और उत्तर प्रदेश में 56 मामले थे। वर्ष 2016 के चुनाव में तमिलनाडु में पेड न्यूज के 17 मामले, असम में पांच और पश्चिम बंगाल में एक मामला सामने आया था। वर्ष 2015 में बिहार में पेड न्यूज के सात मामले आए थे। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने इससे संबंधित 600 से ज्यादा शिकायतें प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजी थीं। यह मामला लोकसभा में भी उठा था।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने जुलाई 2017 में नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज के मामले में दोषी माना था और तीन साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया था। दतिया के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने नरोत्तम मिश्रा पर वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में अखबारों में पेड न्यूज छपवाने का आरोप लगाया था और धारा 10 ए के तहत चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत की थी। पेड न्यूज का हिसाब चुनाव खर्च में नहीं देने पर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी।