‘मंदिर के भगवान को बीच सड़क पर रख कर जूते से मारो’ – आसिफा गैंगरेप को हिंदुत्व से जोड़ने की कोशिश में पत्रकार
उत्तर प्रदेश के कुख्यात पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने एक बार फिर से अपनी गंदी जुबान का परिचय देते हुए हिन्दू देवी-देवताओं पर ओछी टिप्पणी की है। ट्विटर पर उसके द्वारा इस तरह की बयानबाजी के बाद कई हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँची। कनौजिया ने हिन्दू देवता की मूर्ति को जूते मारने की बात कही। हालाँकि, विरोध होने के बाद अब कनौजिया ने अपनी इस ट्वीट को डिलीट कर दिया है।
तथाकथित पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने इस बार हिंदुओं के प्रति अपनी घृणा को प्रदर्शित करने के लिए एक छोटी बच्ची की लाश का सहारा लिया। जम्मू में आसिफा की बलात्कार वाली घटना का जिक्र करते हुए उसने कहा कि जिस मंदिर में आसिफा का बलात्कार हुआ, उस मंदिर के भगवान की मूर्ति को सड़क के बीच में रखकर जूता से मरना चाहिए और फिर उसे गटर में विसर्जित कर देना चाहिए।
प्रशांत कनौजिया पहले भी ऐसे ही अजीबोगरीब ट्वीट कर के सुर्खियाँ बटोरने की कोशिश करता रहा है। बता दें कि कठुआ की नाबालिग आसिफा के गैंगरेप को हिंदुत्व से जबरदस्ती जोड़ने की कोशिश की गई थी। इस ख़बर के सामने आने के बाद त्रिशूल पर कंडोम दिखाने से लेकर मंदिरों को बलात्कार की जगह बताने तक की कुचेष्टा की गई थी। आसिफा गैंगरेप मामले में 6 आरोपितों को न्यायालय पहले ही सज़ा सुना चुका है।
जिस मंदिर में आसिफा का बलात्कार हुआ उस मंदिर के भगवान की मूर्ति को सड़क के बीच में रखकर जूता से मरना चाहिए और फिर उसे गट्टर में विसर्जित कर देना चाहिए. #JusticeforAsifa
— Prashant Kanojia (@PJkanojia) April 12, 2018
प्रशांत कनौजिया ने इसी मामले को फिर से उठाया ताकि वो हिन्दू देवी-देवताओं को गाली देकर हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचा सके। प्रशांत कनौजिया ने एफआईआर की चेतावनी के बाद ट्वीट डिलीट तो कर दिया लेकिन उसने अभी तक इस मामले में माफ़ी नहीं माँगी है। कई हिंदूवादी संगठनों ने इसके ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई की माँग की है। कनौजिया द्वारा चुपके से ट्वीट डिलीट करने के बाद भी लोग उसके कृत्य से आहत हैं।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब प्रशांत कनौजिया ने इस तरह की हरकत की हो। फेसबुक और ट्विटर पर आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करने के आरोप में लखनऊ पुलिस ने 8 जून 2019 को स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत जगदीश कनौजिया को उसके आवास से गिरफ्तार किया था। दरअसल, जून 6, 2019 को कनौजिया ने फेसबुक और ट्विटर पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें हेमा नाम की एक युवती मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर खड़ी होकर खुद को योगी आदित्यनाथ की प्रेमिका बता रही थी।
साथ ही वो ये भी दावा कर रही थी कि सीएम योगी उसके साथ एक साल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर रहे हैं। प्रशांत ने इस वीडियो को ‘इश्क छुपता नहीं छुपाने से योगी जी’ कैप्शन के साथ शेयर किया था। जिसके बाद यूपी पुलिस ने उस पर एक्शन लेते हुए उसे गिरफ्तार किया था और फिर जमानत के लिए उसकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर आरोपित कनौजिया को 11 जून को जमानत मिली थी।
इसके कुछ ही दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने को लेकर यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पत्रकार प्रकाश कनौजिया को फौरन रिहा करने का आदेश दिया था। यही नहीं, मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रशांत कनौजिया ने जो शेयर किया और लिखा, इस पर यह कहा जा सकता है कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। लेकिन, उसे अरेस्ट किस आधार पर किया गया था?