मोहम्मद जुबैर को वामपंथी मीडिया बना रहा हीरो, नूपुर शर्मा और उनका परिवार अब भी छिप कर रहने को मजबूर
जेल से बाहर आते ही PR इंटरव्यू, ट्वीट भी करने लगा जुबैर; लेकिन नहीं माँगी उस आग की माफी जिसमें जले उमेश, कन्हैया और प्रवीण
अनुपम कुमार सिंह
फैक्ट-चेक के नाम पर प्रोपेगंडा फैलाने वाला मोहम्मद जुबैर जमानत पर बाहर आ चुका है और वापस अपने पुराने काम की तरफ भी लौट गया है – इस्लामी एजेंडे के लिए झूठे एवं भ्रामक नैरेटिव गढ़ना। जगह-जगह इंटरव्यू देकर उसने फिर से हिन्दू विरोधी प्रोपेगंडा शुरू कर दिया है। जिस व्यक्ति के कारण देश में आग लगी, वो अब खुला घूम रहा है। वहीं नूपुर शर्मा और उनका परिवार अब भी छिप कर रहने को मजबूर है, कई FIR का सामना करना पड़ रहा है सो अलग।
वहीं मोहम्मद जुबैर का इंटरव्यू लेकर, उसके बयान प्रकाशित कर के और उसके तथाकथित ‘संघर्षों’ पर ओपिनियन लिख कर उसका महिमामंडन कर के द वायर, द हिन्दू, न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट जैसे संस्थान जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। उसे ‘मुस्लिमों के खिलाफ भारत में बढ़ी हिंसा’ पर आवाज़ उठाने वाले ‘मसीहा’ से लेकर ‘नरसंहार को बढ़ावा देने वाले हेट स्पीच’ विरोधी ‘पत्रकार’ तक साबित करने के लिए वामपंथी मीडिया में होड़ लगी है।
याद कीजिए, वो मोहम्मद जुबैर ही था जो Times Now’ चैनल पर आए नाविका कुमार की उस डिबेट का एडिट किया हुआ वीडियो इस्लामी संगठनों तक लेकर गया था, जिसमें नूपुर शर्मा ने इस्लामी साहित्य में लिखी किसी बात का उल्लेख किया। उससे पहले इस्लामी कट्टरपंथी तस्लीम रहमानी क्या कह रहा था, किस तरह शिवलिंग और हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक बना रहा था – इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। इसे एक साजिश के तहत छिपा लिया गया।
तभी ये वीडियो क़तर के मौलानाओं के पास पहुँचा और वहाँ इसके खिलाफ सोशल मीडिया ट्रेंड्स चले, जिसके दबाव में वहाँ की सरकार ने भारतीय राजदूत को तलब कर लिया। फिर भाजपा ने नूपुर शर्मा को निलंबित कर दिया। 7 इस्लामी मुल्कों में भारतीय राजदूतों को समन किया गया, जहाँ उन्हें सफाई देनी पड़ी। उन्हें ‘सिर तन से जुदा’ की धमकियाँ मिलने लगीं। जगह-जगह इस्लामी भीड़ ने उनके खिलाफ सड़क पर उतर कर हिंसा की।
सबसे बड़ी बात कि नूपुर शर्मा का समर्थन करने वालों का जो कत्लेआम शुरू हुआ, एक नरसंहार इस्लामी कट्टरवाद ने शुरू किया, उसकी जड़ मोहम्मद जुबैर ही है। राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल तेली का गला रेत दिया गया। महाराष्ट्र के अमरावती में केमिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या कर दी गई। कर्नाटक के बेल्लारे में प्रवीण नेट्टारू की हत्या कर दी गई। क्या मोहम्मद जुबैर द्वारा फैलाई गई आग इसके लिए जिम्मेदार नहीं?
कन्हैया लाल के मुस्लिम पड़ोसियों ने ही उनकी रेकी की, उमेश कोल्हे के करीबी दोस्त ने ही उनकी हत्या की साजिश रची जिसकी वो कई बार मदद कर चुके थे और प्रवीण नेट्टारू के हत्यारे का पिता उनकी दुकान में कर्मचारी हुआ करता था। मध्य प्रदेश के भोपाल में निशंक राठौर की हत्या हुई, जिसके बाद पिता को ‘सिर तन से जुदा’ वाला मैसेज आया। भले पुलिस अलग-अलग एंगल की बात कह रही हो, परिजनों को इस पर भरोसा नहीं।
इन सबके लिए जो जिम्मेदार है, उसे अदालत से जमानत भी मिल जाती है (उस पर जज लोग कोई कड़ी टिप्पणी नहीं करते), वो जेल से वापस आकर अपनी मुस्कुराती हुई तस्वीर अपलोड कर के रहत इंदौरी के शेर ‘जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे’ कैप्शन डाल कर 1.15 लाख लाइक्स बटोर लेता है, पीएम मोदी के पुराने ट्वीट्स पर उनका मजाक बना रहा है और और निशंक राठौड़ की हत्या पर पुलिस के एंगल का वीडियो शेयर करते हुए पीड़ित परिजनों के बयान पर आधार पर खबर चलाने वालों को झूठा बता रहा।
French President Macron hosts Saudi Arabia’s Crown Prince Salman for dinner. Prince to break bread and discuss a putative energy deal with Macron who backed the sketchers of the Prophet's 'blasphemous' cartoons. This is the same Saudi Arabia that snarled at India over Nupur!
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) July 28, 2022
सोचिए, जिस नूपुर शर्मा के नाम पर आतंकियों ने इतना कुछ किया उन्हें अभी कैसी महसूस हो रहा होगा। उनके परिवार को कैसा महसूस हो रहा होगा। वहीं जिस तस्लीम रहमानी के भड़काने पर उन्होंने प्रतिक्रिया दी थी, वो फिर से डिबेट्स में वापस आ गया है और न्यूज़ चैनल उसका स्वागत कर रहे हैं। मोहम्मद ज़ुबैर वामपंथी मीडिया का हीरो बना हुआ है, तस्लीम रहमानी वापस आ गया डिबेट्स में, लेकिन नूपुर शर्मा और उनके परिवार को छिप रह रहना उनकी मजबूरी है।
यही सेक्युलरिम वाला माहौल है जहाँ एडिटेड वीडियो के सहारे देश को बदनाम करने वाला, एक महिला को दर-दर भटकने और प्रताड़ना सहने के लिए मजबूर करने वाला, कई हत्याओं का जिम्मेदार व्यक्ति हीरो की तरह पेश किया जाता है। जबकि वो महिला और उसका परिवार अपना चेहरा तक नहीं दिखा सकता। इस ‘सिर तन से जुदा’ के माहौल में आग में घी डालने के लिए मोहम्मद जुबैर वापस आ गया है, उसके हर एक ट्वीट से अब हिन्दू विरोधी एजेंडा चलना भी चालू हो गया है।
मोहम्मद जुबैर से उसके ‘संघर्ष’, उसके जीवन, बचपन और पढ़ाई से लेकर उसके परिवार तक के बारे में पूछ कर महिमामंडन किया जा रहा है। जिहादी हिंसा को व्हाइटवॉश करने के लिए फिर से उसे कमर कस ली है। मोहम्मद जुबैर को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है और वो गर्व से कह रहा है कि ‘मेरे पैगंबर’ पर सत्ताधारी पार्टी से कोई टिप्पणी करेगा तो इस पर आवाज़ उठाना ज़रूरी है। यानी, वो फिर से इसके नाम पर हिंसा भड़काने से नहीं हिचकिचाएगा।
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