मीडिया पर पुलिस के हमले की कहानी, एनडीटीवी के रिपोर्टर की ज़ुबानी
हिसार: हरियाणा के हिसार में बरवाला स्थित बाबा रामपाल के सतलोक आश्रम पर मंगलवार को पुलिस ने कार्रवाई की, जिसके दौरान आश्रम में मौजूद बाबा के समर्थकों ने भी गोलियां चलाईं। इसी दौरान पुलिस ने वहां मौजूद लोगों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज भी किया, और इस दौरान मीडियाकर्मी भी नहीं बख्शे गए। पत्रकारों को भी पुलिस वालों ने दौड़ा-दौड़ाकर मारा, और उनके कैमरे व अन्य उपकरण भी छीनकर तोड़ डाले गए। इस अत्याचार की चपेट में एनडीटीवी के पांच पत्रकार भी आए, जिनमें सिद्धार्थ पांडेय भी शामिल हैं। आइए, पढ़ते हैं, क्या हुआ उन लोगों के साथ, उन्हीं की ज़ुबानी…
– सिद्धार्थ पांडेय की आपबीती –
ऑपरेशन शुरू होने से पहले प्रेस वाले सुबह ही इकट्ठा हो गए थे…
हम लोग आख़िरी घेरे में थे, आश्रम से करीब 600 मीटर दूर…
फिर हमने ऑपरेशन कवर करने की इजाज़त मांगी, जो हमें मिल गई…
हमें कार्रवाई के बीच न आने और सुरक्षित दूरी पर रहने को कहा गया…
हमने इसका पालन करते हुए आश्रम से दूर खेत में अपनी 3-जी यूनिट लगा दी…
ऑपरेशन हमें बताए गए समय से 5-10 मिनट पहले शुरू हो गया…
हम अपनी 3-जी यूनिट के साथ करीब 500 मीटर दूर थे और एक कैमरामैन पुलिस द्वारा ले जाए जाते हुए घायलों की शूटिंग कर रहा था…
हमने पुलिस के काम में ज़रा भी रुकावट नहीं डाली और आश्रम से दूर रहे…
हम दूसरी तरफ बढ़े, ताकि झड़पों की बेहतर तस्वीरें ले सकें – अब भी पुलिस कॉर्डन से काफी दूर थे…
तभी हमने देखा कि एक अन्य न्यूज चैनल के कैमरामैन का पुलिस पीछा कर रही है और उसे बुरी तरह मारा गया…
जब हमने विरोध किया तो पुलिस हमसे मुखातिब हो गई और हम पर लाठियां बरसाने लगी…
हम खुद को बचाने के लिए आश्रम से दूर भागे… जब हम पहले घेरे तक पहुंचे, हमारा एक सहयोगी गायब था…
फिर उसे खोजते हुए हम वहां पहुंचे और ज़मीन पर घसीटे जा रहे एक घायल को शूट कर रहे थे…
यह बात पुलिस को नागवार गुज़री और वह हमारे खिलाफ हो गई…
तीन-चार पुलिसवाले हमारी तरफ दौड़े और हम सबको पीटने लगे…
हम वापस भागे, लेकिन उन्होंने पीछा किया और हमारी पिटाई की…
मैंने पुलिस को अपना आई-कार्ड दिखाया तो उन्होंने उसे छीन लिया…
दूसरों के आई-कार्ड भी छीन लिए गए…
फिर कैमरा भी छीनकर उसका लेंस और कवर तोड़ दिया गया…
फिर कैमरा ज़मीन पर पटककर उसे लाठियों से बिल्कुल चूर कर दिया…
जब यह सब हुआ, तब भी हम आश्रम से 600 मीटर दूर थे…
फिर हमने देखा, दूसरे कैमरामैन को भी दौड़ाकर पीटा गया…
जब हमने अपनी कार और ओबी वैन खोजने की कोशिश की तो वह जहां खड़ी की गई थीं, वहां से गायब थीं…
कारों को हटा दिया गया था, और उन्हें जाने को कहा गया था…
हम दूर खड़ी कारों तक बिल्कुल लंगड़ाते हुए गए…
फिर हम पास के बरवाला शहर पहुंचे, जो पूरी तरह बंद था…
पुलिस हमें वहां से भी भगाती रही…
हमें फर्स्ट-एड तक भी नहीं मिली…
किसी तरह हम एक नर्सिंग होम तक पहुंचे, जहां हमारा प्राथमिक उपचार हुआ…