नावेद शिकोह : जालसाजी, धोखाधड़ी और फर्जी शपथ पत्र से बना मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार
पत्रकारिता के लिए कोरोना वाइरस से भी ज्यादा खतरनाक हैं नावेद शिकोह जैसे तथाकथित स्वयं-भू पत्रकार
अविनाश कुमार पांडे
प्रयागराज की घटना के बाद योगी सरकार द्वारा पत्रकारों की जांच हेतु बनाई गई कमेटी के गठन के बाद आश्चर्यजनक खुलासे सामने आ रहे हैं, ऐसे में समाजवादी सरकार के मीडिया प्रभारी के करीबी नावेद नाम के अखबार व्यवसायी का मामला सामने आया है । जहां दर्जनों अखबार का व्यवसाय करने वाले नावेद ने लाखो-करोड़ों रुपए का विज्ञापन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से प्राप्त किया तो वहीं स्वयं को फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर मान्यता प्राप्त पत्रकार की श्रेणी में रखकर सरकारी आवास भी आवंटित करा लिया है।
पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार के कार्यालय की चौखट पर बैठकर लोहिया के नाम से अनेक समाचार पत्रो के प्रकाशन कर लाखो-करोड़ों रुपए का विज्ञापन लिया और सरकार जाते ही उन समाचार पत्रों को बेच कर मुनाफ़ा कमाया। लोहियानामा समाचार पत्र के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तस्वीर को प्रचारित प्रसारित करके अनेक विभागों से दबाव बनाकर करोड़ो रुपये का व्यवसाय किया गया लेकिन जीएसटी आदि का भुगतान नही किया गया है। लखनऊ में मकबरा, गोलागंज में पुश्तैनी आवास से सभी समाचार पत्रों के संचालन हेतु कार्य किया गया तो डालीबाग में झूठे शपथ पत्र के आधार पर सरकारी आवास भी आवंटित करा लिया जबकि राज्य सम्पत्ति विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई जानकारी से स्पष्ट है कि दलाल समाचार पत्र से मान्यता के आधार पर आवास आवंटित किया गया जबकि तत्समय समाचार पत्र दलील के प्रकाशक, मुद्रक एवं स्वामी स्वयं नावेद शिकोह है, ऐसे में मान्यता के आधार पर सरकारी आवास आवंटित कराने का जालसाजी और धोखाधड़ी का बड़ा अपराध कारित किया गया है। नावेद शिकोह की जालसाज़ी के कारनामो के चलते नई दिल्ली में संगीन धाराओं 467, 468, 471, 120 बी में मुकदमा दर्ज है जिसकी विवेचना प्रचलित है परन्तु अपने रसूख से जांच को दबवा दिया गया है।
सूचना विभाग में जितने भी शिकायती पत्र जाते है उनको या तो दबवा दिया जाता है या विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत करके समाप्त करवा देने में माहिर हैं नावेद, क्योंकि दिन रात सूचना विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ चाय पीने पिलाने के एकमात्र कार्य में देखे जाते है जनाब। अपने रसूख के अभिमान में जन सूचना अधिकार के अंतर्गत मांगी गई सूचना में आवेदक के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर सूचना विभाग को इस आशय का पत्र प्रेषित कर दिया कि आवेदक द्वारा कोई भी सूचना नहीं मांगी गई थी जिसका खुलासा सूचना आयोग के सम्मुख आवेदक को पत्र प्राप्त होने के बाद हुआ। आवेदक द्वारा फ़र्ज़ी हस्ताक्षर कर शिकायती पत्रो के निस्तारण किये जाने पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर एवं उच्च स्तरीय जांच किए जाने हेतु सूचना निदेशक से मांग की गयी है और कोई कार्यवाही ना किए जाने पर थाना हज़रतगंज में उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने की बात कही गई है।
ऐसा प्रतीत होता है कि सूचना विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा शिकायती पत्र की जांच लंबित करके, फ़र्ज़ी हस्ताक्षर के आधार पर शिकायतों को समाप्त करवा कर सरकारी सुख सुविधाओं का लाभ उठा रहे नावेद शिकोह नाम के अखबार व्यवसायी को बचाने का कार्य किया जा रहा है जो योगी सरकार कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीतियों का खुलेआम उल्लंघन है।