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महाकुंभ 2025 : आयोजन, प्रबंधन और वैश्विक प्रचार में मीडिया की भूमिका ऐतिहासिक

प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के अथक प्रयासों ने महाकुंभ को घर-घर तक पहुंचाया। लाइव रिपोर्टिंग, सोशल मीडिया अपडेट और विशेष डॉक्यूमेंट्रीज़ के माध्यम से कुंभ के हर पहलू को देश-विदेश तक पहुंचाया गया। डिजिटल मीडिया की ताकत ने इसे वैश्विक मंच पर भी विशेष पहचान दिलाई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया के योगदान पर भी विचार करना चाहिए और उनके लिए भी कोई प्रोत्साहन योजना लानी चाहिए।

महाकुंभ की दिव्य गाथा में मीडिया की अतुलनीय भूमिका, मीडिया ने 66 करोड़ की विशाल भीड़ को कवर कर एक अद्भुत मिसाल पेश की है।

प्रयागराज की पावन धरती पर संपन्न हुए महाकुंभ 2025 ने न केवल आध्यात्मिकता और आस्था का महासंगम प्रस्तुत किया, बल्कि इसके आयोजन, प्रबंधन और वैश्विक प्रचार में मीडिया की भूमिका भी ऐतिहासिक रही। 45 दिनों तक चले इस भव्य आयोजन में करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के साथ-साथ, मीडिया ने अपनी सतत निगरानी और प्रभावशाली रिपोर्टिंग से इसे एक वैश्विक आयोजन के रूप में स्थापित किया।

प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के अथक प्रयासों ने महाकुंभ को घर-घर तक पहुंचाया। लाइव रिपोर्टिंग, सोशल मीडिया अपडेट और विशेष डॉक्यूमेंट्रीज़ के माध्यम से कुंभ के हर पहलू को देश-विदेश तक पहुंचाया गया। डिजिटल मीडिया की ताकत ने इसे वैश्विक मंच पर भी विशेष पहचान दिलाई।

1. भीड़ प्रबंधन और प्रशासन पर नजर – मीडिया ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं, सुरक्षा और यातायात व्यवस्थाओं को प्रमुखता से कवर किया, जिससे प्रशासन को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिली।
2. स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस – रिपोर्टिंग के जरिये स्वच्छ कुंभ अभियान और मेडिकल सुविधाओं को उजागर किया गया, जिससे इन सेवाओं को और प्रभावी बनाया गया।
3. श्रद्धालुओं के लिए मार्गदर्शन – मीडिया के लाइव अपडेट्स और विशेषज्ञों की रिपोर्ट्स ने तीर्थयात्रियों को सही जानकारी दी, जिससे उनकी यात्रा आसान और सुरक्षित बनी।

महाकुंभ के दौरान मीडिया कर्मियों ने अपने घर-परिवार से दूर रहकर, दिन-रात कार्य किया। 24 घंटे की रिपोर्टिंग, तीर्थयात्रियों की समस्याओं को उजागर करना और प्रशासन को जवाबदेह बनाना— यह सब उनकी कर्मठता का प्रमाण है। इन मीडिया योद्धाओं के अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि विश्व के कोने-कोने में महाकुंभ की भव्यता और आध्यात्मिकता की गूंज सुनाई दी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ में सेवा देने वाले सफाईकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों, रोडवेज कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों को 10-10 हजार रुपये बोनस देने की घोषणा की, जो स्वागत योग्य है। लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ— मीडिया की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण रही। मीडिया के लिए भी योगी जी को कुछ न कुछ करना चाहिए था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपेक्षा है कि पत्रकारों के लिए भी एक विशेष प्रोत्साहन योजना लागू की जाए, जिसमें—

1. बीमा योजना (ताकि जोखिम भरे कार्य के दौरान सुरक्षा मिले)
2. विशेष मान्यता और पुरस्कार योजना
3. प्रेस सुविधाओं में विस्तार

यदि मीडिया को उचित सम्मान और सुविधाएं दी जाएं, तो भविष्य में ऐसे आयोजनों की कवरेज और भी प्रभावी और व्यापक हो सकेगी।
महाकुंभ की भव्यता ने विदेशी मीडिया का भी ध्यान आकर्षित किया। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और अन्य देशों के समाचार चैनलों और डिजिटल प्लेटफार्मों पर इसकी कवरेज हुई। बीबीसी, सीएनएन, अल जज़ीरा, नेशनल ज्योग्राफिक जैसे बड़े मीडिया संस्थानों ने महाकुंभ पर विशेष रिपोर्ट प्रसारित की, जिससे भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं को वैश्विक पहचान मिली।

प्रयागराज की इस महायात्रा की गाथा इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज होगी, और उसमें मीडिया की भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। इस महाकवरेज को एक मिसाल के रूप में देखा जाना चाहिए और इसके योगदान को उचित सम्मान मिलना चाहिए। जब तक लोकतंत्र में मीडिया अपनी निष्पक्ष और सतर्क भूमिका निभाता रहेगा, तब तक ऐसे ऐतिहासिक आयोजनों की महत्ता और गरिमा बनी रहेगी।

मीडिया ने 66 करोड़ की विशाल भीड़ को कवर कर एक अद्भुत मिसाल पेश की है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की सहभागिता को सटीकता और निष्पक्षता से प्रस्तुत करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे मीडिया ने कुशलता से निभाया। पत्रकारों, फोटोग्राफरों और रिपोर्टर्स ने अथक परिश्रम और निष्पक्षता के साथ हर पहलू को उजागर किया। उनकी तेज़ नज़र, सूचनाओं की गहराई और सटीक रिपोर्टिंग ने दर्शकों को विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध कराई। तकनीक और संचार के नवीनतम साधनों का उपयोग कर मीडिया ने इस ऐतिहासिक क्षण को जीवंत बना दिया। नि:संदेह, यह उनकी पेशेवर प्रतिबद्धता और उत्कृष्ट कार्यशैली का प्रमाण है।

महाकुंभ 2025 न केवल आस्था का महासंगम था, बल्कि यह प्रशासन, मीडिया और श्रद्धालुओं के सामूहिक समर्पण की अद्वितीय कहानी भी है।

विदेशी मीडिया ने जानी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की भव्यता

प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ 2025 की भव्यता और महत्व को लेकर योगी सरकार देश-विदेश में व्यापक प्रचार अभियान में जुटी है। इसी कड़ी में सोमवार को नई दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय “जवाहर लाल नेहरू भवन” में विदेशी मीडिया के समक्ष महाकुंभ की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विशेषताओं को प्रस्तुत किया गया। प्रयागराज में आयोजित हो रहे विश्व के सबसे बड़े आयोजन को धर्म, संस्कृति और आत्म-खोज के प्रतीक के रूप में बताया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च अधिकारियों ने विदेशी मीडिया को महाकुंभ की भव्यता की जानकारी दी।

विदेश मंत्रालय एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विदेशी मीडिया के समक्ष जानकारी देते हुए बताया गया कि महाकुंभ 2025 मानवता के इतिहास में सबसे बड़े आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक समागमों में से एक है। यह आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। इसकी पौराणिक जड़ें समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी हैं, जिसमें अमृत कलश से चार पवित्र स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में अमृत की बूंदें गिरी थीं। महाकुंभ का स्नान आत्मा की शुद्धि और आत्मज्ञान का प्रतीक माना जाता है।

सरकार के आंकलन के अनुसार, इस बार महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है, जिनमें करीब 15 लाख विदेशी पर्यटक भी होंगे। 2019 के कुंभ मेले में 25 करोड़ लोग शामिल हुए थे। यह आयोजन विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोगों को एक साथ लाकर एकता और समानता का संदेश दे रहा है।

विदेशी मीडिया के समक्ष योगी सरकार के अधिकारियों ने बताया कि महाकुंभ 2025 के श्रद्धालुओं की संख्या अन्य बड़े वैश्विक आयोजनों से कहीं अधिक होगी। विश्व के बड़े आयोजन जैसे रियो कार्निवल में लगभग 70 लाख, हज में 25 लाख और ओक्टोबरफेस्ट में 72 लाख लोग शामिल होते हैं। वहीं महाकुंभ 2025 में 45 करोड़ लोगों का आगमन इस महाआयोजन की वृहदता और इसकी वैश्विक महत्ता को दर्शाता है।

अधिकारियों के अनुसार, महाकुंभ 2025 भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन देगा। इससे अनुमानित व्यापार ₹2 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। उत्तर प्रदेश की जीडीपी में 1% से अधिक की वृद्धि का भी अनुमान है। दैनिक आवश्यक वस्तुओं का कारोबार ₹17,310 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, जबकि होटल और यात्रा सेवाओं में ₹2,800 करोड़ का व्यापार होगा। धार्मिक सामग्री और फूलों का कारोबार क्रमशः ₹2,000 करोड़ और ₹800 करोड़ तक हो सकता है।

अधिकारियों ने बताया कि महाकुंभ को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए प्रयागराज में व्यापक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है। इसमें 14 नए फ्लाईओवर और अंडरपास, 9 स्थायी घाट, 7 नई बस स्टेशन और 12 किलोमीटर अस्थायी घाट शामिल हैं। सुरक्षा के लिए 37,000 पुलिसकर्मी, 14,000 होमगार्ड और 2,750 एआई-आधारित सीसीटीवी कैमरे तैनात किए गये हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में 6,000 बेड, 43 अस्पताल और एयर एंबुलेंस की व्यवस्था है। स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए 10,200 सफाईकर्मी और 1,800 गंगा सेवादूत तैनात हैं।

महाकुंभ 2025 में 13 अखाड़ों की भागीदारी हो रही है, जिनमें किन्नर अखाड़ा और महिलाओं के अखाड़े सहित दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा शामिल हैं। ये अखाड़े लिंग समानता और प्रगतिशील दृष्टिकोण का प्रतीक हैं। यह आयोजन जाति, धर्म और सांस्कृतिक विविधता के बीच एकता को बढ़ावा दे रहा है। महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक समृद्धि को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने का एक बड़ा मंच भी है। इस दौरान प्रयागराज महाकुंभ को कवर करने वाली विदेशी मीडिया को होने वाली समस्याओं का निराकरण तथा प्रयागराज संगम तक पहुंचाने के लिए दी जाने वाली सहायताओं का भी आश्वासन दिया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के ओएसडी संजीव सिंह, सीएम के सलाहकार अवनीश अवस्थी, यूपी के सूचना निदेशक शिशिर, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव रणधीर जयसवाल भी मौजूद थे।

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