तेल मालिश चैंपियन या अंग्रेज़ी काल से योगी काल का असली चैंपियन है मुकेश बहादुर सिंह, क्या है आपकी राय ?
गीतकार मुकेश के तरानों की अदा ही निराली थी, वही बहादुर की पदवी अंग्रेज़ी हुक़ूमत में जिसको मिल जाती थी उसका रुतबा किसी सिंह (जंगल के राजा- शेर) से कम नही होता था, अंग्रेज़ भी बहादुर की पदवी उसी को देते जो उनके लाभ के लिए काम आता था!
आज के दौर में ऐसे बहादुरों को दलाल और मैनेजमेंट गुरु की पदवी पढ़े लिखे कलमकार देते है वहीं प्रतिभावान शेखर पंडित जैसे पत्रकार आईना दिखाने से नही चूकते और एक शानदार पदवी का खिताब देते हुए सम्मानित करते हैं – टीएमसी प्रेजिडेंट या तेल, मालिश चैंपियन, लेकिन हकीकत के आईने को कोई झुठला नही सकता, ये कल भी चैंपियन थे और आज भी चैंपियन है, बात किसी उद्योगपति घराने की हो या मीडिया घराने की, सबके प्रतिनिधि इनकी बीन के आगे मस्त दिखाई देते है ऐसे हैं योगी राज के ये बहादुर चैंपियन।
बादशाह सिंह के दरबार से शुरू हुआ सफ़र आज ईमानदार छवि के नेता दिनेश शर्मा को फूल माला पहनाने का कार्य जिस निष्ठा से कर रहे है उसको देखकर इनकी ईमानदारी के कसीदे फेसबुक पट गढ़ने का जो पुनीत कार्य किया है वो न सिर्फ सराहनीय है बल्कि हमारे पूजनीय बापू जी को सच्ची श्रद्धांजलि भी है।
मुकेश बहादुर सिंह की निष्ठा, त्याग, तपस्या और ईमानदारी को जाने न दो बल्कि सब मिलकर इनकी सराहना करों और राजनीति में इनको आने दो और देश का भविष्य ऐसे ही बहादुरों के हाथ मे जाने दो।