पत्रकार से बचाओ, महिला कर्मी ने लगाई गुहार, दागी से बड़ा दाग है महिला कर्मी का शोषण करना
सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रेस रूम की तस्वीरों को देखकर लगता है कि सिर्फ वहां जन्मदिन और सेल्फ़ीबाज़ों का अड्डा बन गया है महिला पत्रकार जिनकी ऊपर मुकदमे दर्ज है उनको भी विधानसभा प्रेस रूम में अक्सर विराजमान देखा गया है। ऐसा भी मामला प्रकाश में आया है की प्रेस रूम पर बैठने वाले अधिकांश लोग इस ठंडक के मौसम में द्रव्य पदार्थ लेकर शरीर को गर्मी पहुंचाने का काम करते हैं।
प्रेस रूम में।अड्डेबाजी में माहिर युवा पत्रकार द्वारा महिला चिकित्साकर्मी के उत्पीड़न का मामला प्रकाश में आया है परंतु अपने सहयोगी कर्मियों के माध्यम से उक्त शिकायत को दबा दिया गया है
सूचना निदेशक श्री शिशिर सिंह द्वारा आपराधिक मामलों में नामित पत्रकारों एवं न्यायालय में लंबित वादों में पत्रकारों की मान्यता नवीनीकरण न किये जाने के निर्णय लेते ही उत्तर प्रदेश के कई मठाधीश टाइप के पत्रकारो में खलबली मच गई है क्योंकि मान्यता जाते ही अवैध रूप से मिला सरकारी बंगला छोड़ना पड़ सकता है। खबरे लिखने का कोई काम काज है नही सरकारी मकान से ही जिले जवार में दुकान चलती है, अगर वो भी निकल गया तो मकान दुकान सब बंद हो जाएगी और इसके लिए मान्यता बचाने के।लिए कहीं हवन और कहीं जुगाड़ तंत्र का तंबू तन गया है।
भड़ास4जर्नलिस्ट (bhadas4journalist.com) द्वारा इस दिशा में।लगातार खबरो का प्रसारण किये जाने पर शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियों द्वारा संज्ञान लिया गया और पत्रकारोँ की मान्यता नवीनीकरण प्रकरण के समस्त प्रपत्रों, अभिलेखों की जांच हेतु 31 जनवरी तक मान्यता नवीनीकरण पर रोक लगा दी गयी है जो सराहनीय पहल के रूप में देखा जा रहा है।
लेकिन एक बड़ा सवाल है कि राज्य मुख्यालय की मान्यता किन अधिकारियों द्वारा नियमो और मानकों को किनारे दरकिनार करते हुए ऐसे लोगों को दी गयी जिससे न सिर्फ उत्तर प्रदेश के पत्रकारों की छवि खराब हो रही है बल्कि पूरे देश में हास परिहास का माहौल बन गया है । स्वतंत्रता और वरिष्ठ पत्रकारों में ऐसे पत्रकारों को देखा जाने लगा है जिन्हीने अपनी ज़िंदगी के 40 बसंत भी नही देखे है जबकि स्वतंत्रत पत्रकार की मान्यता का अनुभव ही 20 वर्षों का माना जाता है लेकिन सुविधा शुल्क और अपने रसूख के चलते इनके द्वारा स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता ले ली गई है और मान्यता कार्ड के सहारे अपने निजी वाहन में अति सुरक्षित भावनाओं में आने-जाने का पास लगाकर सचिवालय विधानसभा के अंदर लोगों को लाने ले जाने का कार्य करते हैं जिसका संज्ञान लिया जाना सुरक्षा की दृष्टि से भी अति आवश्यक है ।
सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रेस रूम की तस्वीरों को देखकर लगता है कि सिर्फ वहां जन्मदिन और सेल्फ़ीबाज़ों का अड्डा बन गया है महिला पत्रकार जिनकी ऊपर मुकदमे दर्ज है उनको भी विधानसभा प्रेस रूम में अक्सर विराजमान देखा गया है।
ऐसा भी मामला प्रकाश में आया है की प्रेस रूम पर बैठने वाले अधिकांश लोग इस ठंडक के मौसम में द्रव्य पदार्थ लेकर शरीर को गर्मी पहुंचाने का काम करते हैं। प्रेस रूम में।अड्डेबाजी में माहिर युवा पत्रकार द्वारा महिला चिकित्साकर्मी के उत्पीड़न का मामला प्रकाश में आया है परंतु अपने सहयोगी कर्मियों के माध्यम से उक्त शिकायत को दबा दिया गया है । ऐसे पत्रकारों को चिन्हित करना चाहिए जो महिला सचिवालय कर्मियों को उत्पीड़न का कार्य कर रहे हैं और उनकी मान्यता निरस्त किये जाने की कार्यवाही अति आवश्यक है