आईना को मिले नये पंख !
खबरों के माध्यम से समाज को आईना दिखाने की मुहिम रंग लायी है लेकिन इसके पीछे बेज़ुबानों से भावनात्मक जुड़ाव की दास्तान का सिलसिला भी है। बेजुबान परिंदों से दोस्ती क्या हुई, आसमान की बुलंदियों पर खुद को पहुंचाने की कश्मकश में कुदरत के निज़ाम ने आलम के हाथों में कलम पकड़ा दिया
बेजुबानों की आवाज और समाज को भलाई बुराई का आईना दिखाना है पत्रकारिता
डिजिटल भारत के बदलते दौर में पत्रकारों के सामने कई चुनौतियां हैं लेकिन चुनौतियों का सामना करते हुए पत्रकारों को अपना पत्रकारिता धर्म निभाना होता है, पत्रकारिता सिर्फ ग्लैमर ही नहीं है असली पत्रकारिता जोखिम भरा काम है और निस्वार्थ भावना से काम करने वाले पत्रकारों को कई आरोपों का भी सामना करना पड़ता है, बावजूद इसके आलम जैसे पत्रकार अपनी पत्रकारिता को आम लोगों की आवाज बनकर उभरे हैं।
आलम की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है जहां पत्रकारिता को ग्लैमर समझ कर आज की युवा पीढ़ी इससे जुड़ रही है वहीं आलम ने अपनी जिंदगी के शुरुआती दौर के संघर्ष में आम इंसानों के दर्द को समझा और समाज को आईना दिखाने के लिए अपनी कलम के माध्यम से उनकी ज़िंदगी की दुश्वारियों को आईना बना दिया लेकिन न तो सफर आसान था और न ही वो मंज़िल जिसके ख्वाब आलम ने देखे थे लेकिन उनकी हिम्मत और अपने ख्वाबों को हक़ीक़त में बदलने के जज़्बे ने आखिर वो मुक़ाम ला दिया जहां आलम उत्तर प्रदेश के बड़े बड़े मीडिया घरानों के बीच जनतंत्र प्राइम भारत का परचम शिखर पर लहराने में क़ामयाब दिख रहे हैं।
खबरों के माध्यम से समाज को आईना दिखाने की मुहिम रंग लायी है लेकिन इसके पीछे बेज़ुबानों से भावनात्मक जुड़ाव की दास्तान का सिलसिला भी है। बेजुबान परिंदों से दोस्ती क्या हुई, आसमान की बुलंदियों पर खुद को पहुंचाने की कश्मकश में कुदरत के निज़ाम ने आलम के हाथों में कलम पकड़ा दिया, जो परिंदों के दर्द को समझ लेता था उसमें समाज के व्यक्तियों का दर्द अपनी कलम और अपनी आवाज के माध्यम से जनतंत्र के रूप में पेश कर दिया। जनता के दर्द को अपने कलम के मंत्र से शासन प्रशासन तक पहुंचाने के जिस काम को आलम ने शुरू किया, वो एक बड़ी पहचान के रूप में जनतंत्र प्राइम भारत के रूप में दिखाई देता है।
यूं ही नहीं कामयाबी की बुलंदियों और आसमान के शिखर पर आलम दिखाई देते हैं इसके पीछे उनकी मेहनत, लगन और साधना के साथ ही साथ आम जनमानस से जुड़कर उनके दर्द को बांटना और व्यक्तिगत रूप में जहां तक संभव हो सहायता उपलब्ध कराने की कोशिशों के साथ शासन प्रशासन से मिलने वाली तमाम सुविधाओं को भी दिलाने का प्रयास किया गया है। जनतंत्र प्राइम भारत की पूरी टीम बिना निडरता के साथ अपनी बात सत्ता और शासन तक पहुंचाती है ताकि समाज की दशा और दिशा तय हो सके। जनतंत्र प्राइम भारत के साथ ऑल इंडिया न्यूज़पेपर एसोसिएशन, आईना का साथ आने वाले वक्त में पत्रकारों को समाज का आईना बनाकर एक आदर्श समाज के रूप में दिखाई देगा क्योंकि पत्रकारिता जितनी बेहतर होगी समाज उतना ही स्वच्छ बनेगा और आईना को आलम के साथ मिले नए पंखों की उड़ान का ये सिलसिला चलता रहेगा ।