हॉकर से पत्रकार बने राजेंद्र गौतम को निचले स्तर पर ही समझा जा सकता है, करोड़ रुपए की संपत्ति का खेल ही निराला है (भाग-3)

फर्जी समाचार या खबरों पर प्रेस काउंसिल आफ इंडिया द्वारा सेंसरशिप लागू करने के आदेशों से भी जो डरा नहीं और निडर रूप से आगे बढ़ता रहे वही एक दिन ऐसी कामयाबी प्राप्त कर सकता है और पत्रकार को ठग और दलाल कहकर संबोधित करने का यह सिलसिला कामयाबी की एक नई मंजिल और राह पर ले जाता है। खास तौर पर एक खास वर्ग के पत्रकार जिसमें के विक्रम राव, हेमंत तिवारी, या श्यामल त्रिपाठी दिखाई दे तो उनको आसानी से निशाना बनाया जा सकता है क्योंकि जातीसूचक मुकदमा दर्ज करने में न सिर्फ आसानी होगी बल्कि मुकदमे और आरटीआई पत्रों के आधार पर अपने इशारों पर नाचाया जा सकता है

1. RTI से लाखो रुपये की सरकारी बकाये धनराशि की जानकारी से कैसे डराया वरिष्ठ पत्रकार को।
2. कुलपति के विरुद्ध सिलसिलेवार समाचारों को ग़ायब करने की अनोखी कला।
3. ठग, दलाल, ब्लैकमेलर जैसी शब्दावली के शब्दकोश का अनोखा संग्रह।

निष्पक्ष दिव्य संदेश – सिलसिलेवार,भाग-3

पत्रकार राजेन्द्र गौतम द्वारा मेहनत, लगन और परिश्रम से कमाए गए लाखों करोड़ों रुपए की संपत्ति की जगमगाहट लेकर युवा पीढ़ी जो मीडिया जगत में प्रवेश कर रही है उसके लिए राजेंद्र गौतम एक बड़ी मिसाल बनकर उभरे हैं लेकिन राजेंद्र गौतम को समझना इतना आसान भी नहीं है, उनकी प्रणाली, कार्यशैली और हर फन में महारत हासिल कर मीडिया के फनकार का तमगा जो जुड़ा है, उसको समझने के लिए निचले स्तर पर उतरना होगा। पत्रकारिता के मूल सिद्धांत का पालन करते हुए निचले यानी जमीनी या अंग्रेज़ी भाषा मे ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग की जो बात कही जाती है उसी जमीन पर उतर कर अपने स्वाभिमान, अभिमान, अहंकार को ताक पर रखते हुए राजेंद्र गौतम के विचारों और कारगुज़ारियों को देखना समझना भी एक बड़ा निराला खेल है ।

पत्रकार राजेन्द्र गौतम के सहयोगी घोषित भगौड़े को होगी जेल…

निचले स्तर पर राजेंद्र गौतम की पत्रकारिता को आदर्श मानकर जो नवयुवक करोड़ों रुपए की संपत्ति का सपना सजाए बैठे है उनके लिए यह मुकाम पाना आसान नही होगा क्योंकि निचले/जमीन स्तरीय पत्रकारिता हर व्यक्ति, हर युवा वर्ग के लिए आसान नहीं है क्योंकि पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों के साथ कब कहा और कैसे समझोता करना पड़ेगा इसको समझना भी एक कला है जो राजेन्द्र के व्यवहार और निपुणता से समझा जा सकता है।

पत्रकारिता में करोड़ों की कामयाबी और सफलता के पीछे महिला…

राजेंद्र गौतम द्वारा खबरों को लिखने में जिस भाषा शैली का इस्तेमाल किया जाता है वो निष्पक्ष दिव्य संदेश में युवा वर्ग के पत्रकारों के लिए प्रस्तुत है लेकिन इस तरह की भाषा शैली के साथ-साथ RTI का भी भरपूर इस्तेमाल करते हैं और सूचना प्राप्त कर उसको तलवार या ढाल में किस रूप में।प्रयोग करना है इसको भी समझने की आवश्यकता है तभी लाखो कराड़ों की संपत्ति का दिव्य स्वप्न, दिव्य संदेश की भांति साकार होगा।

फर्जी समाचार या खबरों पर प्रेस काउंसिल आफ इंडिया द्वारा सेंसरशिप लागू करने के आदेशों से भी जो डरा नहीं और निडर रूप से आगे बढ़ता रहे वही एक दिन ऐसी कामयाबी प्राप्त कर सकता है और पत्रकार को ठग और दलाल कहकर संबोधित करने का यह सिलसिला कामयाबी की एक नई मंजिल और राह पर ले जाता है। खास तौर पर एक खास वर्ग के पत्रकार जिसमें के विक्रम राव, हेमंत तिवारी, या श्यामल त्रिपाठी दिखाई दे तो उनको आसानी से निशाना बनाया जा सकता है क्योंकि जातीसूचक मुकदमा दर्ज करने में न सिर्फ आसानी होगी बल्कि मुकदमे और आरटीआई पत्रों के आधार पर अपने इशारों पर नाचाया जा सकता है और यह बात बटलर पैलेस के निवासी दबंग पत्रकार के साथ हुई घटना से सीखा जा सकता है।

अनेक वर्षों से पत्रकारों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ पत्रकार जिन्होंने बटलर पैलेस में सरकार द्वारा अथक प्रयासों और परिश्रम से आवास आवंटित कराया गया है उनके संबंध में राजेंद्र गौतम द्वारा जब अपनी खास भाषा शैली में समाचार प्रकाशित किया गया तो उनका क्रोधित होना स्वाभाविक लगता है। अपने स्वाभिमान, मान, मर्यादा के चलते थाना हजरतगंज में राजेंद्र गौतम के विरुद्ध मुकदमा तो दर्ज कर दिया परंतु राजेंद्र गौतम की कार्य प्रणाली से भली भांति परिचित न थे ।

साईकल हॉकर से विदेशी यात्राओं और करोड़ो की संपत्ति का…

राजेंद्र गौतम द्वारा आरटीआई के तहत लगभग 15 लाख की बकायेदारी की सूचना प्राप्त करते ही सूचना को तलवार बनाकर प्रस्तुत किया तो दबंग पत्रकार की सारी दबंगई छूमंतर हो गई और जाति सूचक मुकदमा दर्ज कराकर पत्रकार महाशय की बटलरी को ऐसा ठिकाने लगाया कि आज राजेंद्र गौतम शान से उनके घर जाते हैं और अपनी बहादुरी के किस्से और अपने पत्रकारिता के किस्से सुनाते है जो बहादुर के साथ सुनना उनकी मजबूरी दिखती हैं।

निष्पक्ष दिव्य संदेश और तिजारत की संपादिका रेखा गौतम एवं…

दबंग पत्रकार बेचारे बहादुर के साथ सिर्फ देखते रह जाते है, उनको अपनी सरकारी जमीन से ऐसा लगाव हो गया है कि उसके जाने के डर से ही सारी बहादुरी गायब हो जाती है। सिर्फ पत्रकार ही नहीं राजेंद्र गौतम द्वारा अपनी कलम से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को किस तरीके से और किस भाषा शैली में जमीनी स्तर की पत्रकारिता का अनुभव कराया गया है इसका भी सिलसिलेवार खुलासा होगा, लेकिन अब बारी है लाखों करोड़ों रुपए की संपत्ति का संपूर्ण ब्यूरा प्रस्तुत करने का और सभी पाठकों से अनुरोध है कि वह अपने अपने हिसाब से संपत्ति की बाज़ारू मूल्य का आंकलन कर युवा वर्ग के पत्रकारों को इस स्तर को पाने हेतु निचले स्तर या जमीनी स्तर या ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग के लिए आदर्श बने राजेंद्र गौतम के पदचिन्हों, भाषाशैली को पालन करने के लिए प्रेरित करे।

सिलसिलेवार, भाग-4
प्रशासनिक अधिकारी को कैसे हिलाया राजेन्द्र गौतम ने।
लम्बे अधिकारी को क्यों डराया राजेन्द्र गौतम ने, वाद विवाद गहराया, सुलहनामा किसने कराया।

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