वकालत के साथ पत्रकारिता करने की इजाज़त देते है बार काउंसिल आफ इंडिया के नियम

बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा नियम 51 में स्पष्ट रूप से पत्रकार शब्द का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि कार्यरत अधिवक्ता पत्रकार के रूप में और समाचार पत्र में खबरों हेतु अपनी सेवाएं देने के लिए पूर्ण रूप से अधिकृत है। बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश द्वारा इसी तरह के मामले में कार्यरत अधिवक्ता को पत्रकार के रूप में कार्य किए जाने की शिकायत को समाप्त करते हुए आदेश पारित किया गया वहीं माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ द्वारा भी एक मामले की सुनवाई करते समय सर्वोच्च न्ययालय की तर्ज पर पत्रकार और वकील के रूप में कार्यरत याचिककर्ता द्वारा स्पष्टीकरण प्राप्त करने के उपरांत याचिका की सुनवाई करते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को पत्रकार की मान्यता के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह से जुड़े अवमानना के मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एक बार फिर से बार काउंसिल के नियमों को उठाते हुए वकीलों को पत्रकारिता पेशे को साथ-साथ न करने पर बार कौंसिल ऑफ इंडिया से स्पष्टीकरण मांगा है जबकि बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया के नियम 51 में स्पष्ट तौर पर किसी भी कार्यरत अधिवक्ता को पत्रकारिता के साथ-साथ शिक्षण क्षेत्र में कार्य करने की अनुमति दी गई है और इन्हीं नियमों के तहत सर्वोच्च न्यायालय के अनेक वरिष्ठ अधिवक्ता राजनीतिक दलों के प्रवक्ता बनकर समाचार पत्र और टीवी चैनल पर दिखाई देते हैं । यही नहीं अनेक वरिष्ठ अधिवक्तागण समाचार पत्र में नियमित रूप से अपने लेख प्रकाशित करते हैं ।

बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा नियम 51 में स्पष्ट रूप से पत्रकार शब्द का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि कार्यरत अधिवक्ता पत्रकार के रूप में और समाचार पत्र में खबरों हेतु अपनी सेवाएं देने के लिए पूर्ण रूप से अधिकृत है। बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश द्वारा इसी तरह के मामले में कार्यरत अधिवक्ता को पत्रकार के रूप में कार्य किए जाने की शिकायत को समाप्त करते हुए आदेश पारित किया गया वहीं माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ द्वारा भी एक मामले की सुनवाई करते समय सर्वोच्च न्ययालय की तर्ज पर पत्रकार और वकील के रूप में कार्यरत याचिककर्ता द्वारा स्पष्टीकरण प्राप्त करने के उपरांत याचिका की सुनवाई करते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को पत्रकार की मान्यता के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस प्रकरण पर पुनः आपत्ति दर्ज करते हुए बार काउंसिल आफ इंडिया और बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश से स्पष्टीकरण मांगा गया है जबकि पूर्व में पारित आदेश एवं बार काउंसिल के प्रचलित नियमों के अनुसार स्पष्ट है कि कार्यरत अधिवक्ता पत्रकार के रूप में अपनी सेवाएं स्वतंत्र रूप से दे सकता है और इस पर कोई बाधा नहीं है। वर्ष 2016 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा IFWJ के सचिव परमानंद पांडे के विरुद्ध शिकायती पत्रों पर बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया से जांच करने के उपरांत इस प्रकरण को समाप्त किया गया है।

इस सन्दर्भ में 2016 की इस खबर को भी पढ़े 

परमानंद पांडेय के खिलाफ शिकायती पत्र पर सर्वोच्च न्यायालय ने बार कौंसिल को दिया कार्यवाही का निर्देश

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के बार कौंसिल को निर्देशित किया है कि वह IFWJ द्वारा अपने पूर्व प्रधान सचिव परमानंद पाण्डेय (अब एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) के विरुद्ध प्रदत्त शिकायत पत्र पर कार्यवाही करे| विगत 10 मार्च 2016 को IFWJ ने भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर को आवेदन दिया था कि वकील परमानन्द पाण्डेय “पेशेवर अवचार, उपेक्षा, दुर्व्यपदेशन और कपट” के दोषी है| अपने 20-पृष्ट के ज्ञापन में, जिसमे कई दस्तावेज तथा नियमावली शामिल है,  IFWJ ने कहा कि “ पाण्डेय पूर्णकालिक अधिवक्ता( एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड : क्रमांक 809, पंजीकृत संख्या 13888, तारीख 14-12-2001, सर्वोच्च न्यायालय) है तथा साथ ही में पूर्णकालिक श्रमजीवी पत्रकार भी है|” ऐसी बात वकील और पत्रकार दोनों के नैतिक आचरण के विरुद्ध है|

सर्वोच्च न्यायालय ने आभासी तौर पर सूक्ष्म जांच कर IFWJ को सूचित किया कि उसके आवेदन को बार कौंसिल को निर्देशित कर दिया गया है| इस निर्देश को सर्वोच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने दिया है| अपने निष्कर्ष को निरुपित करते हुए प्रधान निबंधक कार्यालय ने टिप्पणी भी की है कि IFWJ का आवेदन “ स्वत: स्पष्ट” (self explanatory) है| विधि शब्दावली में इस संज्ञा सूचक “स्वत: स्पष्ट” शब्द का अर्थ होता है कि “ प्रदत्त सूचना से सुगमतापूर्वक समझा जा सकता है तथा अन्य अथवा अतिरिक्त स्पष्टीकरण आवश्यक नही है”|

भारत की बार कौंसिल के निर्णय से सारा भ्रम (काफी तो अब तक मिट चुका है), जिसे पूर्व प्रधान सचिव ने फैलाया है, पूर्णतया दूर हो जाएगा| परमानंद पाण्डेय ने जो अवैध, फर्जी तथा जाली संगठन में नक्कालों और छदमरूप-धारियों को भर रखा है, वह नेस्तानाबूद हो जाएगा| इस बीच IFWJ ने भारत की बार कौंसिल के अध्यक्ष से मौखिक सुनवाई का अनुरोध किया है| दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी, राष्ट्रीय, दिल्ली प्रदेशीय तथा सर्वोच्च न्यायालय के बार एसोसिएशनों के अध्यक्षो से भी भेंट का समय माँगा है| इससे पाण्डेय का छल-कपट उजागर किया जा सकेगा|

 

शुभकामनाओं के साथ

 

संतोष चतुर्वेदी
राष्ट्रीय सचिव

चेन्नई पुलिस द्वारा कार्यवाही

 

IFWJ ने तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक को लिखित शिकायत दी थी कि गत मार्च माह में चेन्नई नगर में परमानन्द पाण्डेय तथा हेमंत तिवारी नामक व्यक्ति IFWJ के कथित प्रधान सचिव तथा कथित उपाध्यक्ष बनकर किसी समारोह में शरीक हुए थे| दोनों फर्जीवाड़ा के अपराधी है| राज्य विधानसभा निर्वाचन के कारण जांच विलंबित हो गई| चेन्नई पुलिस कमिश्नर कार्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार इसी माह के अंत में कार्यवाही की जायेगी एवं फौजदारी मुकदमा कायम होगा|

 

Supreme Court asks Bar Council for action on IFWJ plea against Pandey

 

The Supreme Court of India has asked the Bar Council of India to take action on the IFWJ representation against its former secretary general Parmanand Pandey, an Advocate on Record. The IFWJ has lodged a complaint against Pandey with Mr.Justice Tirath Singh Thakur, Chief Justice of India, on 10th March 2016 for “Professional Misconduct, Negligence, Misrepresentation and Fraud by him(Pandey)”.  In a 20-page representation, including several documents and the Rule Book, the IFWJ has stated that “Pandey is a full-time practicing Lawyer (Advocate on Record, Serial No.809, Regn. No. 13888 of 14-12-2001 SCI) and also at the same time a full-time working journalist”. Such a thing is against the ethical conduct of both Lawyer and Journalist.

 

The Supreme Court of India, apparently after a close scrutiny, has informed the petitioner (IFWJ) that it has referred the matter to the Bar Council of India. The reference was made by the office of the Registrar General of Supreme Court, New Delhi. It underscores its finding by stating that the IFWJ’s complaint is “Self Explanatory”, meaning in legal terms, that the representation “is easily understood from the information already given and not needing any further explanation and also that it is obvious, bearing its meaning in its own face”.

 

The decision of the Bar Council of India will clear the confusion, (clear to all already, but a stamp of approval is more than welcome) created by the former secretary general who is trying to promote an illegal, bogus and fake body of imposters and impersonators. Meanwhile the IFWJ has requested for a hearing with the Chairman of the Bar Council of India, New Delhi. The IFWJ also proposes to seek audience with the Chief Justice of the Delhi High Court (Justice G.Rohini) and the Chairmen of the Bar Associations of India, of the Supreme Court and also of Delhi, to expose Pandey’s fraud.

 

With warm regards
Santosh Chaturvedi
Secretary (North)

 

Chennai Police initiates action

 

On the IFWJ complaint to the Tamil Nadu Director General of Police, the Chennai Police Commissioner has initiated probe against Parmanand Pandey and one Hemant Tiwari for impersonating as the so-called IFWJ secretary general and so-called vice president at a function in Chennai last March. The probe was delayed due to State Assembly Elections but will be completed by this month end. Criminal action will ensue.

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