GST फ्रॉड मामले में ‘द हिंदू’ के पत्रकार महेश लांगा को नहीं मिली जमानत
दालत ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा जमानत देने का मामला अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है।
लांगा के वकील ने बेल याचिका लगाते हुए तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल का किसी भी धोखाधड़ी गतिविधि से कोई सीधा संबंध नहीं है और न ही उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत प्रस्तुत किए गए हैं।
हालाँकि, अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा जमानत देने का मामला अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है।
न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि लांगा की गिरफ्तारी और रिमांड आदेश उचित थे क्योंकि जाँच अधिकारी ने यह दावा किया था कि लांगा ने अपने रसूख का दुरुपयोग करते हुए फर्जी कंपनियों के साथ लेन-देन की। इसके अलावा जाँच में उनके पास से ₹20 लाख नकद बरामद हुए थे। साथ ही उनके ऊपर 28 लाख की धोखाधड़ी के भी आरोप हैं। जीसएटी विभाग ने लांगा को 7 अक्तूबर को गिरफ्तार किया था।
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