केरल में 3 पत्रकारों के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज, जानिए क्या है पूरा मामला?
केरल में बच्चों के यौन शोषण के मामलों में वृद्धि एक गंभीर चिंता का विषय है, और POCSO एक्ट के तहत उचित कार्रवाई और जागरूकता के बिना यह समस्या और बढ़ सकती है. बच्चों, खासकर किशोरों को इस विषय पर शिक्षा देने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.
केरल से हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक प्रमुख मलयालम समाचार चैनल के वरिष्ठ संपादक और दो रिपोर्टरों के खिलाफ बुधवार (15 जनवरी) को बच्चों से यौन उत्पीड़न की रोकथाम (POCSO) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. यह मामला चैनल द्वारा हाल ही में राज्य स्कूल उत्सव की रिपोर्टिंग के दौरान कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियों के आधार पर दर्ज किया गया है, जो एक प्रतियोगी से संबंधित थीं. पुलिस के मुताबिक, यह अपराधी जमानती हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस का कहना है कि जनवरी के पहले हफ्ते में राज्य स्कूल उत्सव के कवरेज के दौरान चैनल के रिपोर्टरों ने एक प्रतियोगी के बारे में ऐसी टिप्पणियां कीं, जिनमें “दोहरा मतलब” था. इस पर कार्रवाई करते हुए कैंटोनमेंट पुलिस स्टेशन ने POCSO एक्ट की धारा 11 (यौन उत्पीड़न) और धारा 12 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) के तहत FIR दर्ज की.
बच्चों के यौन शोषण पर बढ़ती चिंता
केरल में बच्चों के यौन शोषण के मामलों में वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, POCSO एक्ट के तहत 2012 से अब तक केरल में 4,196 मामलों की रिपोर्ट की गई थी. सूत्रों का कहना है कि दिसंबर 2024 के आंकड़े जारी होने के बाद यह संख्या 4,500 से अधिक हो सकती है. 2023 में कुल 4,641 POCSO मामले दर्ज किए गए थे. जबकि, थिरुवनंतपुरम में सबसे अधिक (541) मामले सामने आए, जबकि अन्य जिलों में मलप्पुरम (465), कोझिकोड (416), और कोल्लम (397) शामिल हैं.
पुरुष पीड़ितों के मामलों में वृद्धि
POCSO मामलों के विशेष अभियोजक सोजा थुलसिधरन ने बताया कि हाल के वर्षों में बच्चों के यौन शोषण के मामलों में वृद्धि हुई है, खासकर उन मामलों में जो बच्चों के घरों और शैक्षिक संस्थानों से संबंधित हैं. उन्होंने यह भी बताया कि अब पुरुष पीड़ितों के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है और लोगों में पुरुष बच्चों के शोषण की रिपोर्टिंग के प्रति जागरूकता बढ़ी है.
POCSO एक्ट के तहत जागरूकता की जरूरत
सोजा थुलसिधरन ने यह भी बताया कि किशोरों के बीच सहमति से शारीरिक संबंधों में वृद्धि हो रही है, जो इस मुद्दे को बढ़ा रही है. किशोरों को यह नहीं समझ आता कि 18 वर्ष से कम उम्र का यौन संबंध कानूनी रूप से सहमति से नहीं होता. उन्होंने कहा,’इस तरह के मामले अक्सर तब सामने आते हैं जब पीड़ित गर्भवती हो जाता है या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करता है. ऐसे में बच्चों को POCSO एक्ट के बारे में जागरूक करना और उन्हें शिक्षा देना आवश्यक है.