भड़ास4जर्नलिस्ट के बेमिसाल 12 साल, लोगों का मिला भरपूर प्यार
आज हमने अपने जन्मकाल के 12 वर्ष पूरे किये हैं। यह बारह वर्ष होते हैं जब व्यक्ति अपने यौवनकाल में प्रवेश करता है। अभी तो संस्था का बाल्यकाल पूरा हुआ है। अब हमने यौवनकाल में प्रवेश किया है जिसे अंग्रेजी में टीन ऐज कहते हैं यह काल अंगड़ाई का, उमंग का, जोश का, जज्बे का है। अब तो भड़ास4जर्नलिस्ट नये जज्बे व जोश के साथ आगे बढ़ेगा।
निर्लिप्त और निष्पक्षता का ऐसा मंच, जिस पर रहती है सबकी नजर
भड़ास4जर्नलिस्ट ने अपने जन्मकाल के 12 वर्ष पूरे करके 13वें वर्ष में प्रवेश कर लिया। कहने को तो कई संस्थाओं के वर्षों की तरह हमने भी इस संख्या को पार कर लिया। लेकिन जब भड़ास की संकल्पना की गयी तो मन में विचार था कि एक ऐसे मंच की रचना की जाये जहां निर्लिप्त और निष्पक्षता से चीजों को परोसा जा सके। जहां पर न किसी का भय हो न किसी के प्रति रोष। न ही किसी के प्रति राग-द्बेष। बस मंशा हो जमाने के सामने सच लाने का। फिर चाहे कोई भी हो और सामने वाला किसी भी पद पर। बस इसी विचार ने जब जन्म लिया तो उसका रूप भड़ास4जर्नलिस्ट के रूप में सामने आया।
शुरुआत में तो लगा कि बस हो जायेगा लेकिन कहते हैं कि जब विचार धरातल पर उतरते हैं तो थाह की पता चलती है। जब भड़ास 4जर्नलिस्ट पर तमाम कद्दावर और ऊंचे पदों पर बैठे लोंगों की सच्चाई सामने परोसी जाने लगी तो लगा कि आसान नहीं है । तमाम धमकियां और दबाव का तो मानो पुलिंदा ही लग गया । लेकिन न झुकने की आदत और सब कुछ सह जाने का साहस ।
अधिकारियों पर लिखे जाने का दबाव तो समूह सह गया। लेकिन जब बारी आयी पत्रकारिता के गिरते स्तर को संभालने का । यह पीड़ा दिखी तो चंद ऐसे भी लोग दिखे जो अपने ही लोगों के बीच चेहरे के पीछे दूसरा चेहरा लिये बैठे थे । और जब भड़ास4जर्नलिस्ट ने इनके सच को उजागर किया तो हर तरह का दबाव पड़ा। क्योंकि कहते हैं कि आदमी बाहरी झंझट झेल लेता है लेकिन घर के अंदर के संकट को नहीं झेल सकता। और यही हुआ जब हमने पत्रकारों की कलई खोलनी शुरू की। लेकिन भड़ास4जर्नलिस्ट रुका नहीं, झुका नहीं, टूटा नहीं और फिर तो भड़ास4जर्नलिस्ट पर हर एक की भड़ास उजागर होने लगी।
अब तो मानो सभी को पता है कि अगर भड़ास4जर्नलिस्ट पर कुछ लिखा गया है तो उसका विरोध न करो शांत ही रहो तो अच्छा है। क्योंकि हमने बिना साक्ष्य कभी कुछ नहीं लिखा। आदत है कि जब लिखो तो ऐसा महसूस करो कि जिसके खिलाफ लिख रहे हो वह आपके सामने बैठा है और वह पूछ सकता है। जब इस विचारधारा के साथ आगे बढ़ा गया तो अब विरोध के स्वर भी कमजोर पड़ने लगे हैं। अब लोग बस इस फिराक में रहते हैं कि सब कुछ करो पर भड़ास4जर्नलिस्ट की नजर से बचे रहो।
आज हमने अपने जन्मकाल के 12 वर्ष पूरे किये हैं। यह बारह वर्ष होते हैं जब व्यक्ति अपने यौवनकाल में प्रवेश करता है। अभी तो संस्था का बाल्यकाल पूरा हुआ है। अब हमने यौवनकाल में प्रवेश किया है जिसे अंग्रेजी में टीन ऐज कहते हैं यह काल अंगड़ाई का, उमंग का, जोश का, जज्बे का है। अब तो भड़ास4जर्नलिस्ट नये जज्बे व जोश के साथ आगे बढ़ेगा। मौका आया तो हमने भी चंद लोगों की तलाश की जो हमारी कसौटी पर खरे हैं तो हमने तलाशे जिनके अंदर कुछ कर गुजरने की प्रेरणा है। इस तलाश में हमने पूर्व सूचना निदेशक शिशिर सिंह, वर्तमान सूचना निदेशक विशाल सिंह, जे. पी. सिंह , उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सम्मानित किया ।
