एक चैनल की डायरेक्टर कुसुमलता की कंपनी को 31 प्लाट
यादव सिंह के लॉकर खुलने का क्रम जारी है। इनमें से बिल्डर व ठेकेदारों को दिए गए टेंडर व जमीन आवंटन संबंधित दस्तावेज मिले हैं। विभाग इनकी जांच कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के करीब 50 नामी बिल्डर ऐसे हैं जिनमें किसी न किसी नाम से उनकी हिस्सेदारी है। इन प्रोजेक्टों से कई वर्षों तक रकम आती रहेगी। यादव सिंह के लॉकरों में 50 से अधिक बिल्डरों के कागजात मिले हैं। सूत्रों के अनुसार, उसमें मिली बिल्डरों की सूची में मध्यम वर्ग के अलावा कई बड़े नामी बिल्डरों के नाम भी शामिल हैं। इससे इनके कई प्रोजेक्टों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अब इन बिल्डरों को भी जांच का डर सताने लगा है। वहीं, बिल्डरों की हालत यह रही कि जितना पैसा प्राधिकरण के खाते में गया, उतना ही काली कमाई वाले ले गए। इसके अलावा मध्यम वर्ग के कई बिल्डर अभी तक हालत खराब होने के चलते प्रोजेक्ट पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं। उधर, प्रदेश सरकार ने बसपा शासन में यादव सिंह के दिए गए ठेकों की रिपोर्ट लखनऊ तलब की है।
सूत्र बताते हैं कि इन प्रोजेक्टों के जरिये यादव सिंह ने अपना ही नहीं बल्कि नाती और पोतों की जिंदगी ऐश से गुजारने तक का जुगाड़ कर दिया था। इन प्रोजेक्टों से कई वर्षों तक रकम आती रहेगी। प्रोजेक्ट एक बार पूरा होने के बाद उससे कई साल तक कमाई होती रहती है। फ्लैटों के बिकने के समय तो कीमत वसूल होती ही है। साथ ही जब भी फ्लैट किसी अन्य को बिकता है तो ट्रांसफर चार्ज के नाम से लाखों रुपये बनते हैं। ऐसे में जब तक फ्लैट हैं, तब तक कमाई होती रहती है। साथ ही किसी भी कार्य के लिए जमा की जाने वाली राशि या समय-समय पर अन्य शुल्कों से भी कमाई का जरिया बना रहता है। यादव सिंह और उनके सहयोगियों ने मिलकर 40 बोगस कंपनियां बनाई थीं। उन्होंने प्राधिकरण की जमीन सस्ते में इन कंपनियों को आवंटित करा दी। इसके बाद इन कंपनियों ने ऊंचे दामों पर बिल्डरों को जमीन बेच दी। वहीं, कुछ ऐसे बिल्डर भी हैं, जिनसे सांठगांठ कर यादव सिंह ने सस्ती दरों पर बिल्डरों को जमीन आवंटित की। यही नहीं एकमुश्त राशि लेकर इनकी बैंकों में ईएमआई बनवा दी, ताकि आगे भी सिंह उनसे बेनामी रकम वसूल की जा सके। यादव सिंह ने नए या नौसिखिया बिल्डरों के साथ कभी हिस्सेदारी नहीं की। उन्होंने हमेशा देश के जाने माने बिल्डरों पर विश्वास किया, ताकि भविष्य में उन पर दबाव बनाया जा सके। यादव सिंह द्वारा साइन की गई फाइल को यदि उच्चाधिकारी रोक देते थे तो उन्हें उसका अंजाम भुगतना पड़ता था। रसूख के चलते तीन सीईओ का तबादला काफी समय तक चर्चा में रहा। बताया जा रहा है कि कमाई तो यादव सिंह ने की लेकिन प्राधिकरण में इस दौरान जो भी अधिकारी आया, उसे बदनामी झेलनी पड़ी।
प्लॉट आवंटन के खेल में पूरा सिंडीकेट शामिल, खुलने लगी कलई
लखनऊ। नोएडा अथॉरिटी के मुख्य अभियंता रहे यादव सिंह और उसकी पत्नी कुसुम लता के डायरेक्टर वाली कंपनियों के प्लॉट आवंटन के खेल की कलई खुलने लगी है।
सूत्र बताते यादव सिंह सिंडीकेट ने चार साल मेें 320 से अधिक भूखंड को हथियाया जिनकी अब तक कीमत 750 करोड़ आंकी गई है। एक भूखंड की औसतन ढाई करोड़ रुपये की कीमत का आकलन है। यादव सिंह सिंडीकेट ने इन भूखंड की खरीद-फरोख्त पर बड़े पैमाने पर आयकर चोरी की है जिनका आकलन हो रहा है। सूत्र ने बताया कि नोएडा अथॉरिटी ने साल 2011-12 में कुल 319 भूखंड को आवंटित किया जिसमें 31 भूखंड यादव सिंह सिंडीकेट के खाते में आए। इन 31 भूखंड में पांच बड़े भूखंड शैक्षिक संस्थान और अन्य ग्रुप हाउसिंग एवं वाणिज्यिक भूखंड शामिल हैं।
इसी प्रकार नोएडा अथॉरिटी ने चार साल में यादव सिंह की पत्नी कुसुम लता की कंपनियों को 320 से अधिक भूखंड आवंटित किए आयकर विभाग के सूत्र बताते कि अधिकतर भूखंड एक से दो करोड़ रुपये कीमत के हैं। जिनको यादव सिंह सिंडीकेट ने कंपनियों सहित बेच दिया है। आयकर विभाग की जांच इकाई इस भूखंड के खेल पर आयकर चोरी का आकलन करने में जुटी है।