‘हॉकर’ निकाल रहे अमर उजाला मुरादाबाद

amar-ujalaचौंकिए मत, अमर उजाला मुरादाबाद संस्करण के संपादकीय कप्तान नीरज कांत राही के नए फरमान से यहां से सभी पत्रकार हॉकर बन चुके हैं। अखबार के मालिकान को कोट करते हुए जारी उनके मेल में सभी पत्रकारों को युवान बेचने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यही नहीं इस काम को वे कितनी ईमानदारी से कर रहे हैं, उन्हें इसका सुबूत भी देना होगा। इसके लिए उन्हें उन सभी स्कूलों व कॉलेजों का फोटो करने को कहा गया है, जहां वे युवान बेचने गए थे और कितनी प्रतियां बेची। यह फरमान राही के एक तीर से दो निशाना साधने के हुनर की एक और बागनी भर है। अब आप ही देखिए राही साहब ने अपनी राह आसान करने के लिए मुरादाबाद संस्करण के सभी पत्रकारों को हॉकर बना कर साबित कर दिया कि वह इस संस्करण के एकलौता पत्रकार हैं और अखबार पत्रकार नहीं हॉकर निकालते हैं। उधर उनके खास चींटू-पिंटू का कहना है, ‘उनका यह फैसला आधुनिक पत्रकारिता जगत में मील का पत्थर साबित होगा। राष्ट्रीय स्तर के कुछ अन्य अखबार भी इसे लागू करना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने राही जी से संपर्क भी किया है।’ राही साहब के इस नए फरमान पर मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इससे एक ओर से जहां मुरादाबाद संस्करण के बुजुर्ग पत्रकारों की नींद उड़ गई है तो दूसरी ओर युवा पत्रकार ईश्वर का शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि चलो वक्त पर फरमान आ गया वर्ना बुड़ापे में युवान कैसे बेच पाते। पर मजे की बात तो यह है कि कुछ युवा पत्रकार अब मार्केटिंग में एमबीए करने की सोच रहे हैं। इसके वे उन संस्थानों का पता लगा रहे हैं जो उन्हें घर बैठे एमबीए की डिग्री दे दे। उनका मानना है कि जब पत्रकार होकर अखबार को नून-तेल की तरह बेचना है तो क्यों न आधुनिक विधा यानी एमबीए की तकनीक का इस्तेमाल किया जाए। वैसे बुजुर्ग पत्रकार भी अपनी नौकरी बचाने में जुट गए हैं। कुछ अपने रिश्तेदारों से युवान खरीदने की मिन्नत कर रहे हैं तो कुछ ने बेटे-बेटियां को ही अपना सेल्स प्रतिनिधि बनाकर मार्केट में उतारने का मन बना लिया है। आखिर पापी पेट का सवाल है।

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