राजेंद्र गौतम की तिकड़म से चलता है तिजारत का लाखों का व्यापार

हॉकर से पत्रकार बनकर लाखो, कराड़ों की संपत्ति अर्जित कर युवा वर्ग की पत्रकारिता के आदर्श समझे जाने वाले राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त राजेंद्र गौतम की असलियत धीरे-धीरे सामने आ रही है और लाखों करोड़ों की संपत्ति पत्नी रेखा गौतम के नाम से संचालित समाचार पत्र द्वारा जिस फॉर्मूले से अर्जित की गई है उसको देखकर युवा वर्ग की आंखों के सामने लगा काला चश्मा हटने लगा है और पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों को आदर्श मानने वाला युवा वर्ग कहीं ना कहीं राजेंद्र गौतम की पत्रकारिता को समझने लगा है ।

राजेन्द्र गौतम के झूठ का बड़ा खुलासा

वित्तीय संचालन की जब बात आती है तो समाचार पत्र को प्राप्त होने वाले विज्ञापनों पर नजर डाली जाए तो एक बड़ा खेला दिखाई देता है जहां विभिन्न समाचार पत्रों को विज्ञापन जारी करने वाली एजेंसियां विज्ञापन की तिथि से  विज्ञापन प्रकाशित करने का आदेश पत्र जारी करती हैं वहीं तिजारत दैनिक हिंदी समाचार पत्र को विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद एक ही तिथि में एक ही एजेंसी द्वारा जिस तरह से आदेश पत्र जारी किया गया वह गंभीर जांच का विषय है।

ऐसा प्रतीत होता है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा तिजारत समाचार पत्र को विज्ञापन देने के लिए सभी नियम कानून को ताक पर रख दिया गया है और विज्ञापन प्रकाशित करने की तिथि के उपरांत विज्ञापन हेतु एजेंसी से आदेश पत्र जारी किया जाता है जिसमे निश्चित ही राजेंद्र गौतम की तिकड़म काम आ सकती है क्योंकि सूत्रों की माने तो रेखा गौतम को कभी भी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में आते-जाते नहीं देखा गया है, ऐसे में राजेंद्र गौतम द्वारा समाचार पत्र तिजारत को एक ही तिथि में सात पृष्ठ के विज्ञापन हेतु आदेश पत्र किस तिकड़म से प्राप्त किया गया इसकी जांच जारी है।

निष्पक्ष दिव्य संदेश – सिलसिलेवार

8 पृष्ठ के समाचार पत्र को 7 पृष्ठ के विज्ञापन का अनोखा खेल

राजेन्द्र गौतम की पत्नी रेखा गौतम की शैक्षिक योग्यता पर उठने लगे सवाल

हॉकर से पत्रकार बनकर लाखो, कराड़ों की संपत्ति अर्जित कर युवा वर्ग की पत्रकारिता के आदर्श समझे जाने वाले राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त राजेंद्र गौतम की असलियत धीरे-धीरे सामने आ रही है और लाखों करोड़ों की संपत्ति पत्नी रेखा गौतम के नाम से संचालित समाचार पत्र द्वारा जिस फॉर्मूले से अर्जित की गई है उसको देखकर युवा वर्ग की आंखों के सामने लगा काला चश्मा हटने लगा है और पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों को आदर्श मानने वाला युवा वर्ग कहीं ना कहीं राजेंद्र गौतम की पत्रकारिता को समझने लगा है ।

राजेन्द्र गौतम

भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक कार्यालय द्वारा वार्षिक विवरण के लिए जैसे ही नया प्रारूप लाया गया राजेंद्र गौतम की छटपटाहट सोशल मीडिया पर दिखने लगी, कहीं ना कहीं जीएसटी और टैक्स के साथ छेड़छाड़ का मामला प्रदर्शित हो रहा था जो सोशल मीडिया पर राजेंद्र गौतम द्वारा लिखे गए शब्दों से दर्शित एवं प्रमाणित होता है।

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Yellow Journalism की आरोपित हैं संपादिका रेखा गौतम, कानूनी नोटिस…

बढ़ती महंगाई और बढ़ते टैक्स और ऑनलाइन समाचार पत्रों के पोर्टल के चलते जहां बड़े बड़े ब्रांडेड समाचार पत्र चाहे दैनिक जागरण हो या हिंदुस्तान या अमर उजाला उनकी प्रसार संख्या में निरंतर कमी आती जा रही है वही राजेंद्र गौतम के घरेलू समाचार पत्र निष्पक्ष दिव्य संदेश और तिजारत की प्रसार संख्या का आकलन देखकर ऐसा लगता है कि लखनऊ के सभी पाठक इसी समाचार पत्र को पढ़ना चाहते हैं लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है।

लखनऊ शहर के अनेक बुक स्टॉल से प्राप्त जानकारी के अनुसार समाचार पत्र की मात्र कुछ ही प्रक्रिया कभी कभार छपती हैं जब किसी कुलपति के खिलाफ कोई खबर लगती हो या किसी पत्रकार को बदनाम करने के लिए समाचार पत्र दिखाई देता हो या किसी प्रशासनिक अधिकारी के भ्रष्टाचार की कहानी को उजागर किया जाता हो तो समाचार पत्र की कुछ कॉपिया बाजार में दिखाई देती है वरना समाचार पत्र कहीं दूर-दूर भी नहीं दिखता।

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यह भी आश्चर्यचकित करने वाला सत्य है कि एक ही संपादक द्वारा दो-दो दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन और प्रसारण किया जाता है, ऐसे में खबरों को किस अंदाज से संपादन किया जाता है ये संपादक की शैक्षिक योग्यता पर भी सवाल उठना स्वाभाविक सा प्रतीत होता है लेकिन इस सबसे दूर कहीं ना कहीं वित्तीय संचालन की जब बात आती है तो समाचार पत्र को प्राप्त होने वाले विज्ञापनों पर नजर डाली जाए तो एक बड़ा खेला दिखाई देता है जहां विभिन्न समाचार पत्रों को विज्ञापन जारी करने वाली एजेंसियां विज्ञापन की तिथि से पूर्व विज्ञापन प्रकाशित करने का आदेश पत्र जारी करती है वहीं तिजारत दैनिक हिंदी समाचार पत्र को विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद एक ही तिथि में एक ही एजेंसी द्वारा जिस तरह से आदेश पत्र जारी किया गया वह गंभीर जांच का विषय है।

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ऐसा प्रतीत होता है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा तिजारत समाचार पत्र को विज्ञापन देने के लिए सभी नियम कानून को ताक पर रख दिया गया है और विज्ञापन प्रकाशित करने की तिथि के उपरांत विज्ञापन हेतु एजेंसी से आदेश पत्र जारी किया जाता है जिसमे निश्चित ही राजेंद्र गौतम की तिकड़म काम आ सकती है क्योंकि सूत्रों की माने तो रेखा गौतम को कभी भी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में आते-जाते नहीं देखा गया है, ऐसे में राजेंद्र गौतम द्वारा समाचार पत्र तिजारत को एक ही तिथि में सात पृष्ठ के विज्ञापन हेतु आदेश पत्र किस तिकड़म से प्राप्त किया गया इसकी जांच जारी है।

सूचना विभाग के अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार यह पहला मौका नहीं है जब निष्पक्ष. दिव्य संदेश और तिजारत को इतनी भारी मात्रा में विज्ञापन दिया गया हो। जन सूचना अधिकार के माध्यम से जानकारी प्राप्त की जाएगी तो अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे वहीं वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए राजेंद्र गौतम द्वारा स्वयं को 33 वर्ष के पत्रकारिता क्षेत्र का अनुभव बताया गया है तो फिर हॉकर का कार्य उनके द्वारा किस उम्र में किया जाता था यह भी लखनऊ में चर्चा का विषय बना है ।

युवा वर्ग के पत्रकारों के बीच इस बात की भी चर्चा है कि यदि बाल्यअवस्था में राजेंद्र गौतम द्वारा हॉकर का कार्य किया जा रहा था और उसके उपरांत पत्रकारिता में दक्षता हासिल की गई तो उनकी शैक्षिक योग्यता क्या है और किस विश्वविद्यालय से किस वर्ष में प्राप्त की गई इसकी जानकारी के लिए हलचल मची हुई है।

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भड़ास द्वारा सिलसिलेवार जिस तरह का खुलासा किया जा रहा है उसकी अगली कड़ियों में हम कुछ इन्हीं विषयों पर अपने अनेक पाठकों और राजेन्द्र गौतम के पड़ोसियों के विचार को साझा करेंगे जिससे राजेंद्र गौतम की जीवनी के अनेक रहस्यमयी बिंदुओं से पर्दा उठेगा और युवा वर्ग के पत्रकारों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

 

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