बिखरने लगा नेशनल वायस न्यूज चैनल का घोंसला, तीन-तलाकों की भारी भीड़
कुमार सौवीर (मेरी बिटिया डॉट कॉम से सभार)
लखनऊ : जिन्दर सिंह वाले न्यूज चैनल नेशनल वायस पर बड़े-दिग्गज पत्रकारों की नजर लग गयी है। हालत तो इतनी बुरी हो चुकी है कि प्रोफेशनल एंकरों को या तो जबरिया गेट के बाहर कुर्सी पर बिठाने का हुक्मनामा थमा दिया गया है, या फिर वे खुद ही अपना कपड़ा-लत्ता लेकर चैनल के बाहर निकल चुके हैं। नतीजा यह है कि इस वैक्यूम के चलते एंकरगिरी का काम चैनल के मालिक बिजिन्दर सिंह ने खुद ही सम्भाल लिया है। खबर तो यह तक है कि इस चैनल से कई बड़े नामचीन लोगों ने इस चैनल को हमेशा के लिए बाय-बाय कह दिया है।
बिलकुल अभी-अभी ही तो पत्रकारिता के मैटरनिटी होम से ताजा-ताजा पैदा हुआ था न्यूज-चैनल नेशनल वायस। लेकिन अचानक ही इस पर आवाजाही वायरस ने हमला कर दिया। कहीं डिप्थीरिया की तरह एंकर रोहित रंजन ने इस चैनल को ब्रेक लगायी, स्टैंड लगाया और खुद कूद कर बाहर निकल गये। अब रोहित रंजन कहां गये हैं, यह तो पता नहीं चल पाया है, लेकिन इन हालातों ने बिजिन्दर सिंह की हालत बुरी तरह पतली कर दी है। खबर है कि अब तक दो अन्य महिला एंकरों को भी चैनल ने खुद ही दफ्तर से निकाल बाहर कर दिया है।
खबर तो यह तक है कि बिजेंदर सिंह को इस चैनल के बड़े सफेद हाथियों का असली चेहरा साफ दीखने लगा है। इसीलिए या तो कुछ को नौकरी से बाहर किया जा रहा है, या फिर कुछ लोगो के लिए ऐसे हालात पैदा किये जा रहे हैं, जिससे अपमानित होकर लोग खुद ही नौकरी छोड़ कर बाहर निकल जाएं। चैनल के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार खबर तो यहां तक है कि प्रभु चावला का खेमा भी अब कसमसाहट के दौर में है। इस खेमे को साफ पता चल चुका बताया जाता है कि भारी-भरकम सैलरी और हल्के कामधाम पर घटिया आउटपुट देने वालों पर नेशनल वायस प्रबंधन खफा है। ऐसी हालत में यह भी हो सकता है कि प्रभु चावला जैसे कई लोगों की विदाई जल्दी ही चैनल से हो बाकी एंकरों को लेकर प्रबंधन की शिकायत यह है कि वे अप-टू-द-मार्क नहीं रह पाते हैं। प्रबंधन की चिन्ता कार्यक्रमों की गुणवत्ता को लेकर है। ऐसे में अब समस्या यह है कि चैनल के कार्यक्रमों में एंकरिंग कोई करे भी तो कौन। बदहवासी का माहौल है, चीजें सम्भलती ही नहीं दिख रही हैं। रास्ता खुद बिजिन्दर सिंह ने खोजा है और नतीजा यह कि वे अब खुद ही एंकरिंग करने लगे हैं। फिलहाल तो जिन्दर सिंह ने अपनी बैटिंग 8 से 9 बजे के प्राइम-टाइम से शुरू कर दिया है।
लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत तो आउट-पुट और इनपुट को लेकर है। आउटपुट के हेड राजेश सिन्हा, जो आजतक में सीनियर प्रोड्यूसर के पद पर थे, वे भी कुर्सी पर नहीं हैं। यही हालत है पी-7 से आये रमन पाण्डेय इनपुट का है। इन दोनों के ही विभाग प्रमुखों को किन्हीं न किन्हीं कारणों-शिकायतों के चलते प्रबंधन ने चलता कर दिया है। यह दोनों ही अब पूरी तरह खलिहर हो चुके हैं। मनमर्जी का बाजार मनचाही दरों पर जोरों पर है।
नेशनल वायस के इस मीडिया-चोंचला का बिखरा घोंसला केवल यहीं तक नहीं सिमटा-रूका है। खबर है कि रिपोर्टिंग फील्ड में ही भी यही हालत हे। कई जिलों के स्ट्रिंगर्स को भी चलता कर दिया गया है। मतलब यह कि नेशनल वायस की सुहागरात अभी ठीक से निपटी ही नहीं, कि तीन-तलाक की नौबत आयी, उल्टे मुताह गले पड़ चुका।
मतलब नेशनल वायस, यानी चले थे कारवां जोड़ने, बिखरनी लगीं गोटियां है।