45 दिन, 450 छापेमार, गुप्त जाँच, तकनीकी निगरानी: ‘पुलिस का भी मोबाइल जब्त’ जैसी प्लानिंग के बाद जाल में फँसा NewsClick

न्यूज क्लिक (NewsClick) और इससे जुड़ी चायनीज फंडिंग के मामले में छापेमारी की गई 3 अक्टूबर 2023 को। कुल 46 पत्रकारों से पूछताछ की गई, 2 गिरफ्तार भी हुए। तथाकथित मीडिया और जंग खाए चंद कहानीकारों (खुद को पत्रकार कहते हैं) वाली फर्जी वेबसाइट न्यूज क्लिक पर हाथ डालने की शुरुआत लेकिन होती है 17 अगस्त से यानी 45 दिन पहले

NewsClick दिल्ली पुलिसIAS/IPS अधिकारियों को गिरफ्तार होते हम सबने देखा है। डॉक्टर-इंजीनियर-जज-नेता-सासंद-विधायक भी होते हैं। बवाल, प्राइम टाइम, दंगल, खबर पर खबर, संपादकीय… ये सब लेकिन सिर्फ तब होता है, जब बात पत्रकार की गिरफ्तारी की होती है। प्रेस क्लब इसके खिलाफ मोर्चा खोल देता है, एडिटर्स गिल्ड चिट्ठी-पत्री लिखने लगता है। ऐसी बवाली ‘जाति’ पर कार्रवाई करने से पहले पुलिस-प्रशासन क्या-क्या तैयारी करती होगी? किन-किन मुद्दों पर सोचती होगी? आरोप को साबित करने के लिए कहाँ-कहाँ से डेटा निकालती होगी? इन सब सवालों का जवाब है न्यूज क्लिक (NewsClick) पर की गई कार्रवाई।

न्यूज क्लिक (NewsClick) और इससे जुड़ी चायनीज फंडिंग के मामले में छापेमारी की गई 3 अक्टूबर 2023 को। कुल 46 पत्रकारों से पूछताछ की गई, 2 गिरफ्तार भी हुए। तथाकथित मीडिया और जंग खाए चंद कहानीकारों (खुद को पत्रकार कहते हैं) वाली फर्जी वेबसाइट न्यूज क्लिक पर हाथ डालने की शुरुआत लेकिन होती है 17 अगस्त से यानी 45 दिन पहले।

पुलिस के एक्शन से 12 दिन पहले न्यूज क्लिक (NewsClick) पोस्टमॉर्टम छपता है ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में। 5 अगस्त को ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अमेरिकी व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम के साथ चीनी सरकार के संबंध और ‘न्यूज क्लिक’ नामक वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल को मिल रही फंडिंग को लेकर खुलासा किया था।

अंतररराष्ट्रीय मीडिया में ‘न्यूज क्लिक’ को लेकर छपी खबर के बाद भारत सरकार के मंत्री अनुराग ठाकुर ने 7 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था। इसके 10 दिन के बाद दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने 17 अगस्त को यूएपीए (UAPA: Unlawful Activities Prevention Act, गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम) के तहत केस दर्ज किया और जाँच शुरू की गई।

शुरुआत में यह जाँच ईडी (ED: Enforcement Directorate, प्रवर्तन निदेशालय) के जुटाए फाइल, डॉक्यूमेंट्स के आधार पर आगे बढ़ रही थी। यह केस लेकिन इतना आसान भी नहीं था। बात यहाँ सिर्फ पैसों के लेन-देन की नहीं थी।

जाँच जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, इसमें चायनीज पैसा, चीनी षड्यंत्र, अमेरिकी कनेक्शन, वामपंथी संगठन, भारत-विरोधी गतिविधियाँ आदि तक इस केस में जुड़ते चले गए। भारत की संप्रभुता को खतरा जैसी षड्यंत्रकारी गतिविधियों को देखते हुए पूरी जाँच के लिए स्पेशल टीम का गठन किया गया। अच्छी तरीके से जाँच कर पूरे मुद्दे के तह तक जाने के लिए आरोपितों की तकनीकी निगरानी के लिए स्पेशल उपकरणों का उपयोग भी किया गया।

टारगेट पर 3 टीम, 100 लोकेशन, पुलिस वाले 450

न्यूज क्लिक (NewsClick) और इससे जुड़ी चायनीज फंडिंग के मामले में इसके संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और HR हेड अमित चक्रवर्ती गिरफ्तार किए गए हैं। यह लेकिन इतना आसान नहीं था।

वित्तीय मामलों की जाँच कर रही स्पेशल टीम ने इनको दबोचने से पहले इनके बैंक डिटेल्स, इनकी संस्था से जुड़े कॉर्पोरेट बिल आदि से संबंधित हजारों पन्नों की खाक छानी। वित्तीय मामलों से अलग एक टीम सिर्फ यह जाँच कर रही थी कि ‘न्यूज क्लिक’ पर कैसे कॉन्टेंट पब्लिश किए गए, वीडियो कैसे-कैसे डाले गए। इस टीम को यह भी देखना था कि अगर कोई कॉन्टेंट या डेटा इनकी वेबसाइट से डिलीट किया गया है तो वो कब हुआ, उसका संदर्भ क्या था?

जाँच करने वाली स्पेशल टीम जब सारा काला चिट्ठा जुगाड़ लेती है, तब जाकर 2 अक्टूबर 2023 की आधी रात को दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम की मीटिंग होती है। इस बैठक में 200 से अधिक पुलिसकर्मी हिस्सा लेते हैं। किसी भी तरह की जानकारी लीक होने से रोकने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों के मोबाइल फोन इस मीटिंग से पहले जमा कर लिए गए थे। फिर 100 जगहों पर छापेमारी, कुल 46 पत्रकारों से पूछताछ आदि का खाका तैयार हुआ।

जिस पर आरोप गंभीर, दबोचने का तरीका भी लीक-प्रूफ

सभी आरोपितों से एक जैसा सवाल-जवाब किया गया, ऐसा नहीं था। आरोपितों को भी उनके चायनीज कनेक्शन/फंडिंग को देखते हुए ए, बी और सी कैटेगिरी में बाँटा गया। 3 अक्टूबर की सुबह से जब छापेमारी शुरू हुई, तो वो रात में बनाई गई प्लानिंग के तहत ही थी। इस प्लान का डिटेल आप ऐसे समझ सकते हैं कि गिरफ्तार किए गए प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती ए कैटेगिरी में थे। इसी ए कैटेगिरी में 4 और आरोपितों पर स्पेशल पुलिस की रडार है।

ऐसे जाल में फँसा NewsClick

ए कैटेगिरी वाले हर आरोपितों को पकड़ने, पूछताछ करने के लिए 8 से 10 पुलिस वाले लगाए गए थे। 3 अक्टूबर की सुबह छापेमारी के वक्त तक इन पुलिस वालों को पता नहीं था कि इनका टास्क क्या है, किस पर हाथ डालना है। बस एक जगह बता दी गई थी कि फलां जगह पहुँचो। छापेमारी जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी, जरूरत के हिसाब से पुलिस वालों को जानकारी दी जा रही थी।

देश के अलग-अलग शहरों जैसे दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई में न्यूज क्लिक (NewsClick) से संबंधित छापेमारी की गई। इन जगहों पर कुल 46 पत्रकारों से पूछताछ की गई,जिनमें से 9 महिलाएँ हैं। इन सभी के डिजिटल उपकरण (मोबाइल, लैपटॉप आदि), दस्तावेज आदि को जाँच के लिए जब्त कर लिया गया है।

आपको बता दें कि न्यूज क्लिक (NewsClick) पर जो एफआईआर की गई है, वो यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियाँ); धारा 16 (आतंकवादी कृत्य); धारा 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना); धारा 18 (षड्यंत्र रचना); धारा 22 (सी) (कंपनियों, ट्रस्टों द्वारा अपराध करना) के तहत की गई है। इनके अलावा आईपीसी की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 120बी (आपराधिक साजिश) भी जोड़ी गई है।

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