लखनऊ के पत्रकारों के बीच आपसी जूतमपैजार ने लिया ख़तरनाक रूप
दरअसल मामला ये है कि हेमंत तिवारी के खिलाफ दमदारी से चुनाव लड़ने वाले एक प्रत्याशी ने दिलीप सिंन्हा को मोबाइल फोन किया. तमाम बातों में लखनऊ के बुजुर्ग पत्रकारों को मां बहन की गालियां देते हुए हारे हुए प्रत्याशी ने अपनी हार की वजह बताई. कहा कि वोटरों पर खूब खर्च किया, खिलाया पिलाया गाड़ियों का इंतजाम किया लेकिन बुड्ढों ने हेमंत को वोट देकर गद्दारी कर दी. जिसके बाद वरिष्ठ पत्रकार का ये रिएक्शन सामने आया, जो नीचे स्क्रीनशॉट में है. बताया जा रहा है कि इन दिनों लखनऊ पत्रकारिता जगत के हालात ठीक नहीं चल रहे हैं. तमाम तरह की गुटबाजियों ने संगठनों और संगठनों के बाहर अड्डा जमा रखा है.
अब दिलीप सिन्हा ने प्रभात त्रिपाठी सहित 6 वरिष्ठ पत्रकारों के लिखवाई FIR
प्रभात त्रिपाठी ने दिलीप सिन्हा के खिलाफ़ दर्ज कराया FIR
समाज में पत्रकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है वो भी अगर पत्रकार 60 की दहलीज पार कर ले तो उसे और तजुरबे वाला वरिष्ठ पत्रकार कहा जाता है लेकिन राजधानी लखनऊ में अपने को वरिष्ठ पत्रकार कहने वाला दिलीप सिन्हा ने एक ऐसा कृत्य किया जिसे क्या माफी योग्य समझा जाना चाहिये।
प्रिय साथियो आज चुप्पी तोड़ना बहुत जरूरी हो गया हैं।क्योकि समाज में उस चेहरे को लाना जरूरी हैं जो मॉ की इज्जत को चन्द कुछ लफ्जो में तार तार कर देता है। समाज में पत्रकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है वो भी अगर पत्रकार 60 की दहलीज पार कर ले तो उसे और तजुरबे वाला वरिष्ठ पत्रकार कहा जाता है लेकिन राजधानी लखनऊ में अपने को वरिष्ठ पत्रकार कहने वाला दिलीप सिन्हा ने एक ऐसा कृत्य किया जिसे क्या माफी योग्य समझा जाना चाहिये।
माँ की गाली, जिस मॉ ने अपनी कोख से मुझे पैदा किया उसकी इज्जत तार तार होते एक बेटा कैसे सुन सकता लेकिन मैने आपा नही खोया।इसका फैसला कानूनी प्रक्रिया और समाज के ऊपर छोड़ दिया। माँ जगत की जननी है। क्या दिलीप सिन्हा की मॉ नही है?
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दिलीप सिन्हा के इस कृत्य से मेरा मानसिक स्थित और मन बहुत पीड़ा में है।मेरे जीवन के 35 साल की पत्रकारिता में ऐसा दिन कभी नहीं आया। मेरी पीड़ा कल तमाम पत्रकार साथियो ने जन्म दिन मनाकर मुझे थोड़ा सा उस पीड़ा से उबारने का काम किया। मै उन सभी का हृदय से आभार ब्यक्त करता हॅू। मेरी माँ के साथ-साथ उसके लिये भी अपशबदो का इस्तेमाल किया जो मेरे लिये 1985 में पिता के निधन के बाद मेरे जीवन में पिता से वढ़कर थे। श्रद्देय मुलायम सिंह यादव।
उनके लिये भी अपशब्दों का प्रयोग किया। मुझे बहुत पीड़ा है मॉ की गाली और मेरे श्रद्देय नेता जी के लिये अपशब्द बोलने के लिये। पीड़ा शायद मेरे मरने के बाद ही समाप्त होगी। गालीबाज पत्रकार दिलीप सिन्हा के इस कृत्य पर में फैंसला आप सब के ऊपर छोड़ता हॅू। घन्यवाद मेरे सभी भाई व बहने।
आपका भाई
प्रभात त्रिपाठी