लखनऊ के पत्रकारों के बीच आपसी जूतमपैजार ने लिया ख़तरनाक रूप

दरअसल मामला ये है कि हेमंत तिवारी के खिलाफ दमदारी से चुनाव लड़ने वाले एक प्रत्याशी ने दिलीप सिंन्हा को मोबाइल फोन किया. तमाम बातों में लखनऊ के बुजुर्ग पत्रकारों को मां बहन की गालियां देते हुए हारे हुए प्रत्याशी ने अपनी हार की वजह बताई. कहा कि वोटरों पर खूब खर्च किया, खिलाया पिलाया गाड़ियों का इंतजाम किया लेकिन बुड्ढों ने हेमंत को वोट देकर गद्दारी कर दी. जिसके बाद वरिष्ठ पत्रकार का ये रिएक्शन सामने आया, जो नीचे स्क्रीनशॉट में है. बताया जा रहा है कि इन दिनों लखनऊ पत्रकारिता जगत के हालात ठीक नहीं चल रहे हैं. तमाम तरह की गुटबाजियों ने संगठनों और संगठनों के बाहर अड्डा जमा रखा है.

अब दिलीप सिन्हा ने प्रभात त्रिपाठी सहित 6 वरिष्ठ पत्रकारों के लिखवाई FIR

 

गालीबाज पत्रकार दिलीप सिन्हा अपनी साफ सुथरी छवि स्थापित करने के लिये झूठ का सहारा लेकर कोई बड़ा कुचक्र हम 6 पत्रकार साधियो के खिलाफ रच रहा है।इसके पीछे जो चेहरे काम कर रहे है उनका पता लोगो को होना चाहिये।माँ बहन की गाली देकर समाज में अपने चेहरे को साफ सुथरा बनाने की कोशिश शायद ही सफल हो।शुरूआत प्रभात तुम पागल हो से करने वाला झूठा फरेबी व्यक्ति अब फर्जी एफ आई आर क्रोस लिखाकर कानून को ढेगा दिखाना चाहता है।झूठी द्यटना लिखा कर 6 पत्रकारो को जो चरित्र से लेकर पत्रकारिता में साफ सुथरा चेहरा है उन्हे बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।ताज्जुब तब होता है जब सीधी साधी महिला पत्रकारो को भी निशाना बनाया गया है।झूठी FIR दर्ज करा कर इस पर लगा माँ की गाली का दाग क्या धोया जा सकता है दोस्तो फैंसला आपको करना है।झूठी क्रोस एफ आई आर में जो तथ्य दिये है पूरी तरह भ्रामक है।हम लोगा 14 को पुलिस कमिशनर से मिले थे गाली की चैट दी थी उस पर मुकदमा 17 को दर्ज हो गया था।साधियो अगर इसको किसी ने धमकी दी थी तो मुकदमा 22 को इतनी देर से क्यो दर्ज कराया इससे साफ यह पता चलता है कि अपने ऊपर लगे दाग और आरोपो से बचने के लिये दिलीप सिन्हा ने कूटरचित भ्रामक और झूठ का सहारा लेकर कानून और थानाघ्यक्ष गोमतीनगर को भ्रमित कर गुमराह करके झूठा मुकदमा दर्जकिया है जो कानून की नजर में घोखा और 420 करने का कृत्य माना जा सकता है। मुकदमा में जो 13 की घटना का झुठा जिक्र किया हैं उसका सीसीटीवी फुटेज निकाल लिया जाये दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।क्योकि विधानसभा और पत्रकार पुरम् चौराहे के हर जगह सी सी टीवी कैमरा लगे है।साथियो इस गालीबाज पत्रकार ने हम 6 साथियो की जो मानहानि की है उसका कानूनी सहारा भी लिया जायेगा।गालीबाज पत्रकार दिलीप सिन्हा के दाग समाज में इस तरह का झूठा सहारा लेकर नहीं धुलेगे।साथियो फैसला आपको करना होगा ऐसे मॉ की इज्जत को तार तार करने वाले झूठ का सहारा लेने वाले गालीबाज पत्रकार दिलीप सिन्हा का।समाज इसका वहिष्कार करे।हम सभी लोग कानूनी कार्यवाही करेगे अलग लेकिन ऐसे साजिश रचने वाले पत्रकार को अपने फोरम से वाहर भी करेगे।

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सदस्य पद पर चुने गए वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिन्हा की भाषा देखिए, कैसे वरिष्ठ पत्रकार प्रभात त्रिपाठी को माँ की गालियां दे रहा है खुलेआम.

दिलीप सिन्हा पुराने और खाटी पत्रकार हैं. नेशनल हेराल्ड/नवजीवन में लम्बे समय तक काम करके रिटायर हुए थे. इसके बाद स्वतन्त्र पत्रकार के रूप में काम कर रहे हैं. बेदाग और सम्मानित पत्रकार हैं. इनकी उम्र सत्तर प्लस है. आठ बार से मान्यता समिति में सबसे अधिक मतों से जीतने का रिकार्ड है.

हाल ही में एक विवाद में उनका नाम उछल रहा है. कुछ लोग उनकी चैट का गालियों वाला स्क्रीन शॉट वायरल कर रहे हैं, शिकायतें कर रहे हैं.

दरअसल मामला ये है कि हेमंत तिवारी के खिलाफ दमदारी से चुनाव लड़ने वाले एक प्रत्याशी ने दिलीप सिंन्हा को मोबाइल फोन किया. तमाम बातों में लखनऊ के बुजुर्ग पत्रकारों को मां बहन की गालियां देते हुए हारे हुए प्रत्याशी ने अपनी हार की वजह बताई. कहा कि वोटरों पर खूब खर्च किया, खिलाया पिलाया गाड़ियों का इंतजाम किया लेकिन बुड्ढों ने हेमंत को वोट देकर गद्दारी कर दी.

जिसके बाद वरिष्ठ पत्रकार का ये रिएक्शन सामने आया, जो नीचे स्क्रीनशॉट में है. बताया जा रहा है कि इन दिनों लखनऊ पत्रकारिता जगत के हालात ठीक नहीं चल रहे हैं. तमाम तरह की गुटबाजियों ने संगठनों और संगठनों के बाहर अड्डा जमा रखा है.

प्रभात त्रिपाठी ने दिलीप सिन्हा के खिलाफ़ दर्ज कराया FIR

समाज में पत्रकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है वो भी अगर पत्रकार 60 की दहलीज पार कर ले तो उसे और तजुरबे वाला वरिष्ठ पत्रकार कहा जाता है लेकिन राजधानी लखनऊ में अपने को वरिष्ठ पत्रकार कहने वाला दिलीप सिन्हा ने एक ऐसा कृत्य किया जिसे क्या माफी योग्य समझा जाना चाहिये।

प्रिय साथियो आज चुप्पी तोड़ना बहुत जरूरी हो गया हैं।क्योकि समाज में उस चेहरे को लाना जरूरी हैं जो मॉ की इज्जत को चन्द कुछ लफ्जो में तार तार कर देता है। समाज में पत्रकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है वो भी अगर पत्रकार 60 की दहलीज पार कर ले तो उसे और तजुरबे वाला वरिष्ठ पत्रकार कहा जाता है लेकिन राजधानी लखनऊ में अपने को वरिष्ठ पत्रकार कहने वाला दिलीप सिन्हा ने एक ऐसा कृत्य किया जिसे क्या माफी योग्य समझा जाना चाहिये।

माँ की गाली, जिस मॉ ने अपनी कोख से मुझे पैदा किया उसकी इज्जत तार तार होते एक बेटा कैसे सुन सकता लेकिन मैने आपा नही खोया।इसका फैसला कानूनी प्रक्रिया और समाज के ऊपर छोड़ दिया। माँ जगत की जननी है। क्या दिलीप सिन्हा की मॉ नही है?

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों की समिति का…

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दिलीप सिन्हा के इस कृत्य से मेरा मानसिक स्थित और मन बहुत पीड़ा में है।मेरे जीवन के 35 साल की पत्रकारिता में ऐसा दिन कभी नहीं आया। मेरी पीड़ा कल तमाम पत्रकार साथियो ने जन्म दिन मनाकर मुझे थोड़ा सा उस पीड़ा से उबारने का काम किया। मै उन सभी का हृदय से आभार ब्यक्त करता हॅू। मेरी माँ के साथ-साथ उसके लिये भी अपशबदो का इस्तेमाल किया जो मेरे लिये 1985 में पिता के निधन के बाद मेरे जीवन में पिता से वढ़कर थे। श्रद्देय मुलायम सिंह यादव।

उनके लिये भी अपशब्दों का प्रयोग किया। मुझे बहुत पीड़ा है मॉ की गाली और मेरे श्रद्देय नेता जी के लिये अपशब्द बोलने के लिये। पीड़ा शायद मेरे मरने के बाद ही समाप्त होगी। गालीबाज पत्रकार दिलीप सिन्हा के इस कृत्य पर में फैंसला आप सब के ऊपर छोड़ता हॅू। घन्यवाद मेरे सभी भाई व बहने।

आपका भाई

प्रभात त्रिपाठी

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