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विकिपीडिया का भारत के खिलाफ षड्यंत्र: क्या है कार्यशैली, किसके साथ वित्तीय लेन-देन, कैसे करता है सूचनाओं पर कंट्रोल

इस विस्तृत दस्तावेज को तैयार करने के पीछे उद्देश्य यह है कि लोग जान सकें - (1) विकिपीडिया स्वतंत्र नहीं है (2) संपादकीय हस्तक्षेप-मुक्त विश्वकोश नहीं है (3) जैसा विकिमीडिया फाउंडेशन दावा करता है कि उसके लिए दुनिया भर के हजारों अवैतनिक (खुद से काम करने के इच्छुक) काम करते हैं - यह दावा गलत है।

विकिपीडिया का भारत के खिलाफ षड्यंत्रयह डोज़ियर (दस्तावेज) यह प्रदर्शित करने और निर्णायक रूप से स्थापित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है कि विकिपीडिया, एक स्वतंत्र, संपादकीय हस्तक्षेप से मुक्त विश्वकोश नहीं है, जैसा कि विकिमीडिया फाउंडेशन दावा करता है। विकिमीडिया फाउंडेशन दावा करता है कि विकिपीडिया दुनिया भर के हजारों अवैतनिक, उत्साही स्वयंसेवकों के स्वैच्छिक कार्य पर निर्भर करता है।

यह डोज़ियर विशेष रूप से भारत, भारतीय कानूनों और भारत से संबंधित सामग्री पर केंद्रित है, ताकि विकिपीडिया को एक ‘प्रकाशक’ के रूप में मानने के बारे में सिफारिशें तैयार की जा सकें, जो अपने प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित सामग्री के लिए सीधे जिम्मेदार है। ‘प्रकाशक’ शब्द से यहाँ मतलब है भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 में तय किए गए दिशा-निर्देश। इसके तहत वेबसाइट को दो कैटेगिरी में रखा गया है – इंटरमीडियरी और प्रकाशक।

फोटो साभार: MIB + सर्वे ऑफ इंडिया

यह डोज़ियर विकिपीडिया और इसकी मूल कंपनी, विकिमीडिया फाउंडेशन के विभिन्न पहलुओं का संक्षेप में विश्लेषण करता है, ताकि विकिपीडिया को “सभी के लिए स्वतंत्र रूप से संपादन योग्य विश्वकोश” के रूप में प्रस्तुत करने के फाउंडेशन के दावों, विश्वसनीय स्रोतों का उपयोग करने, तटस्थ दृष्टिकोण बनाए रखने, और दान पर निर्भर रहने जैसे दावों को समझा जा सके।

डोज़ियर यह भी जाँच करता है कि विकिमीडिया फाउंडेशन को मिलने वाले अनुदान, इन्हें देने वाली संस्थाएं, और एनजीओ व अन्य इकाइयों को दिए गए अनुदानों का विवरण क्या है। इसके अलावा, यह समझने का प्रयास करता है कि भारत में अपनी भौतिक उपस्थिति बनाए बिना, विकिमीडिया फाउंडेशन कैसे भारत में कार्यरत है और अपने व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न संस्थाओं को वित्तपोषण कर रहा है।

विकिपीडिया के सह-संस्थापक लैरी सैंगर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विकिपीडिया में एक स्पष्ट वामपंथी झुकाव है। कई साक्षात्कारों और वार्ताओं में उन्होंने यह बताया है कि विकिपीडिया कैसे संतुलन के पैमाने को विकृत करता है, जिससे जानकारी वास्तविकता का सटीक प्रतिनिधित्व नहीं करती और वामपंथी पक्षपात से ग्रस्त होती है।

यह डोज़ियर और शोध-पत्र यह पाता है कि विकिपीडिया की संरचना ही कुछ व्यक्तियों, जिन्हें ‘प्रशासक’ कहा जाता है, को अनियंत्रित शक्ति देती है। पूरी दुनिया में केवल 435 सक्रिय प्रशासक हैं, जिनके पास संपादकों को प्रतिबंधित करने, स्रोतों को ब्लैकलिस्ट करने, योगदानकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने और लेखों पर किए गए संपादन को स्वीकृत या अस्वीकार करने की शक्ति है। ये प्रशासक विकिपीडिया पर सामग्री के संबंध में असीमित शक्ति रखते हैं।

इस शोध में यह भी पाया गया है कि इनमें से कई संपादक और प्रशासक विकिमीडिया फाउंडेशन द्वारा विकिमीडिया से संबंधित परियोजनाओं के लिए अनुदानों के रूप में भुगतान प्राप्त करते हैं। इस प्रकार यह निर्णायक रूप से सिद्ध होता है कि विकिपीडिया वह “सभी के लिए स्वतंत्र रूप से संपादन योग्य मॉडल” नहीं है, जैसा कि यह दावा करता है। स्वयं जिमी वेल्स ने भी स्वीकार किया है कि वह विकिपीडिया पर सामग्री का अंतिम मध्यस्थ है।

विकिमीडिया फाउंडेशन के वित्तीय संबंध टाइड्स फाउंडेशन के साथ गहरे हैं, जिस पर जॉर्ज सोरोस के साथ मिलकर अमेरिकी विश्वविद्यालयों में हमास के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन का वित्तपोषण करने का आरोप है।

विकिमीडिया और टाइड्स फाउंडेशन कई ऐसी संस्थाओं को भी फंड करते हैं, जो विशेष रूप से भारत के हितों के खिलाफ कार्य करती हैं और विभिन्न स्तरों पर इसकी संप्रभुता को कमजोर करती हैं।

विकिमीडिया फाउंडेशन और टाइड्स फाउंडेशन के संबंध संदिग्ध संगठनों जैसे हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स, इक्वालिटी लैब्स, आर्ट+फेमिनिज्म, एक्सेस नाउ और भारतीय उद्योगपतियों के खिलाफ ‘हिंडनबर्ग हिट जॉब’ जैसे मामलों के साथ जुड़े पाए गए हैं।

भारत में, विकिमीडिया फाउंडेशन की कोई भौतिक उपस्थिति नहीं है। इसकी पंजीकृत सोसायटी, जो पहले भारत में थी, 2019 में बंद हो गई थी। भारत में उपस्थित न होते हुए भी विकिमीडिया फाउंडेशन दान के रूप में लाखों रुपये एकत्र करता है और भारत में एनजीओ को फंड करता है, जो विकिमीडिया फाउंडेशन के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाते हैं। इन संगठनों में सभी वामपंथी झुकाव वाले हैं।

विकिपीडिया पर सामग्री के संदर्भ में, यह पाया गया कि संपादकों और प्रशासकों का एक छोटा समूह भारत में सामग्री को विकृत करता है। इसमें एक वो संपादक भी शामिल है, जिस पर मणिपुर राज्य में असंतोष फैलाने और कलह उत्पन्न करने के लिए केस दर्ज किया गया है। ये संपादक अक्सर विकिपीडिया लेखों में तथ्यों (जिनसे उन्हें असुविधा हो) और वैकल्पिक दृष्टिकोण जोड़ने के प्रयासों को बाधित करते हैं। इसके अलावा, गूगल और विकिमीडिया फाउंडेशन की साझेदारी के कारण सामग्री में विशिष्ट हिंदू-विरोधी और भारत-विरोधी पक्षपात देखा गया है।

यह डोज़ियर शोधकर्ता द्वारा सुझाई गई सिफारिशों की सूची के साथ समाप्त होता है। इन सिफारिशों का उद्देश्य विकिमीडिया फाउंडेशन को जवाबदेह बनाना है, जो भारतीय कानूनों का पालन किए बिना एक संपादकीय दिशा निर्धारित करता है। जबकि विकिमीडिया फाउंडेशन का दावा है कि विकिपीडिया केवल एक मध्यस्थ है, यह पाया गया कि विकिपीडिया “प्रकाशकों” के लिए निर्धारित सभी मानकों को पूरा करता है, जैसा कि आईटी दिशा-निर्देशों में परिभाषित है। इसका अर्थ यह होगा कि विकिमीडिया फाउंडेशन को विकिपीडिया पर सभी सामग्री के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए और भारतीय कानूनों के अधीन रहने के लिए भारत में अपनी उपस्थिति स्थापित करनी चाहिए, जिसमें एफसीआरए, एनजीओ, आईटी दिशा-निर्देश, वित्तीय प्रकटीकरण मानक और अन्य कानून शामिल हैं।

रिसर्च पेपर में सिफारिशें

विकिमीडिया फाउंडेशन और विकिपीडिया पर किए गए शोध के आधार पर निम्नलिखित सिफारिशें दी गई हैं:

विकिपीडिया को एक प्रकाशक घोषित करना

विकिपीडिया ने खुद को एक मध्यस्थ (intermediary) के रूप में दावा किया है, जो ‘विश्वसनीय स्रोतों’ पर आधारित किसी सामग्री या संपादकीय नीति के हस्तक्षेप के बिना एक समुदाय की बुद्धिमत्ता पर निर्भर करता है तथा तटस्थ दृष्टिकोण बनाए रखता है। हालाँकि, जैसा कि शोध में प्रमाणित हुआ है, यह सच नहीं है। विकिपीडिया प्रकाशकों के मानकों को पूरा करता है। वे वर्तमान घटनाओं और ऐतिहासिक घटनाओं पर जानकारी संकलित करते हैं, वे अपने संपादकों और व्यवस्थापकों को भुगतान करते हैं और वे इंटरनेट पर आम लोगों द्वारा आसानी से उपलब्ध हैं। चूँकि विकिपीडिया का एक संपादकीय दृष्टिकोण है, जो संपादकों और व्यवस्थापकों पर आधारित है, इससे यह प्रमाणित होता है कि वे अब एक मध्यस्थ माने जाने के योग्य नहीं हैं। एक प्रकाशक के रूप में घोषित होने के बाद, विकिमीडिया को भारत में अपने कार्यालय स्थापित करने होंगे, एक शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करनी होगी और भारतीय कानूनों के तहत अवैध सामग्री जो भारत की संप्रभुता को कमजोर करती है या असंतोष उत्पन्न करती है, के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

वित्तीय लेन-देन की जाँच

विकिमीडिया फाउंडेशन भारत में कई वित्तीय लेन-देन करता है ताकि अपने व्यापारिक हितों को बढ़ावा दे सके और उन वामपंथी संगठनों और व्यक्तियों को वित्तीय सहायता दे सके जो अंततः भारत की संप्रभुता को कमजोर करते हैं और असंतोष उत्पन्न करते हैं। भारत में किसी भी वित्तीय लेन-देन, भुगतान और भारत से धन संग्रह भारतीय कानूनों के अंतर्गत आता है, जिनमें आईटी कानून, एफसीआरए, एनजीओ को नियंत्रित करने वाले कानून और आईटी दिशा-निर्देश आदि शामिल हैं। सरकार को विकिमीडिया फाउंडेशन पर यह दबाव डालना चाहिए कि उन्हें कानूनी रूप से भारत में अपनी आधिकारिक उपस्थिति स्थापित करनी चाहिए और भारतीय कानूनों के अनुसार वित्तीय जाँच के अधीन होना चाहिए।

विकिपीडिया लेखों में पक्षपात चिह्नित करने के लिए ब्राउज़र एक्सटेंशन

इस शोध में जैसी चर्चा की गई है, विकिमीडिया फाउंडेशन ने विकिपीडिया के व्यवस्थापक ‘न्यूज़लिंगर’ को हजारों डॉलर का भुगतान किया है, ताकि एक ऐप और ब्राउज़र एक्सटेंशन तैयार किया जा सके, जो विकिपीडिया के पक्षपाती स्रोतों को टेम्पलेटाइज कर सके – इसका मतलब है कि जब भी कोई व्यक्ति इंटरनेट पर किसी वेबसाइट को पढ़ेगा, तो विकिपीडिया संपादकों के पक्षपाती विचार सामने आएँगे, जो यह तय करेंगे कि कौन सा स्रोत विश्वसनीय है और कौन सा नहीं। विकिमीडिया फाउंडेशन और गूगल के सहयोग से, इसमें कोई संदेह नहीं कि इस परियोजना को लागू किया जा सकता है। भारत सरकार को एक ब्राउज़र एक्सटेंशन पर काम करना चाहिए जो विकिपीडिया लेखों में, कम से कम भारत से संबंधित, पक्षपाती विचारों, गलत जानकारी, फर्जी खबरों और मिथ्या सूचना को चिन्हित कर सके।

विकिपीडिया को प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के तहत जाँचना

प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002, भारत में एंटीट्रस्ट समस्याओं से निपटने के लिए मुख्य कानून है। यह कानून बाजारों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, गलत प्रतिस्पर्धात्मक प्रथाओं को रोकने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए लागू किया गया था। गूगल और विकिमीडिया फाउंडेशन के सहयोग से विकिपीडिया सामग्री और जानकारी के पक्ष में लाभ उठाते जा रहा है, जिससे भारतीय मीडिया और सामग्री स्रोतों को नुकसान हो रहा है। स्रोतों की उपेक्षा और गूगल तथा विकिमीडिया फाउंडेशन द्वारा पक्षपाती जानकारी को प्रमाणित करने से भारतीय वेबसाइटों की राजस्व और रैंकिंग पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिनसे वे संपादकीय रूप से सहमत नहीं होते हैं। गूगल और विकिमीडिया फाउंडेशन की प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं की जाँच की जानी चाहिए।

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