संकट में है शशि शेखर एण्ड कंपनी

shashi_shekharयह कोई पहली बार नहीं है जब हिन्दुस्तान से शशि शेखर के विदाई की अफवाहें मीडिया मार्केट में तैर रही हैं कि अब गये कि तब गये। जब से वे हिन्दुस्तान आये हैं उनके जाने की खबरें चलनी शुरू हो गई थीं। लेकिन अब तक शशि शेखर ने न तो हिन्दुस्तान का दामन छोड़ा है और न हिन्दुस्तान को शशि शेखर का विकल्प मिल पा रहा है। लेकिन अबकी शायद मामला गंभीर है।

गंभीर इस लिहाज से अब अकेले हिन्दुस्तान के संपादक शशि शेखर पर ही नहीं बल्कि शशि शेखर एण्ड कंपनी पर ही संकट मंडरा रहा है। इन अफवाहों को बल तब और मिला जब टीम शशि शेखर के एक वरिष्ठ सहयोगी ने हाल में ही भाषा पहुंचकर संपादकीय जिम्मेदारी निभाने की मांग रख दी थी। बात बन भी जाती लेकिन बुन्देलों की जमीन से आये शशि शेखर के इन साथी को भाषा का पैकेज बहुत कम नजर आया लिहाजा वे हिन्दुस्तान वापस लौट आये। बात अंदरखाने ही दबकर रह गई।

लेकिन हिन्दुस्तान से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर शशि शेखर अपने खास लोगों को भी बाहर का विकल्प तलाशने से नहीं रोक रहे हैं तो जाहिर है वहां हालात उनके और उनके साथियों के लिए अच्छे नहीं हैं। हाल में ही एक मीडिया कार्यक्रम में नजर आये शशि शेखर के चेहरे पर वह रौनक नजर नहीं आई जिस जिन्दादिली के साथ वे जिन्दगी जीते हैं। जाहिर है, शशि शेखर के लिए हिन्दुस्तान के अंगूर खट्टे हो रहे हैं।

इस संबंध में जो अफवाहें सुनाई दे रही हैं उसके मुताबिक हिन्दुस्तान समूह बड़ी शिद्दत से किसी नये संपादक की खोज कर रहा है जो डायनमिक पर्सानिलिटी वाला हो और जिसकी उम्र पचास के पार न हो। शशि शेखर को हिन्दुस्तान लाते समय भी यही तर्क दिया गया था कि मृणाल पांडे को इसलिए विदा किया गया था कि उन्हें शशि शेखर जैसा डायनमिक पर्सनालिटी वाला संपादक चाहिए था। पता नहीं हिन्दुस्तान समूह के लिए डायनमिक होनेसे आशय क्या है लेकिन अगर शशि शेखर जैसा ही डॉयनमिक संपादक लाना है तो खुद शशि शेखर में क्या बुराई है?

लेकिन लगता है इस बार खुद शशि शेकर भी अपने आपको बचाकर रखने की बजाय अपने लोगों को बचाते हुए बाहर जाने की तैयारी कर रहे हैं। शायद इसलिए अपने खास सहयोगियों को बाहर विकल्प तलाशने से भी नहीं रोक रहे हैं।

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