इस खबर को फालोअप क्यों नहीं छापा जागरण ने

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पिछले महीने की 18 तारीख को दैनिक जागरण में मुख्‍य न्‍यायाधीश के खिलाफ कथित रूप से एक महिला द्वारा यौवन शोषण के लगाए गए आराेप की सुनवाई दिल्‍ली हाईकोर्ट में हाने की खबर प्रमुखता से छापी गई थी। खबर में बताया गया था कि इसकी सुनवाई दिल्‍ली की मुख्‍य न्‍यायधीश की खंडपीठ बृहस्‍पतिवार को करेगी। मजेदार बात यह है कि यह खबर उसी दिन छापी गई जिस दिन इसकी सुनवाई होनी थी और बड़ी सफाई से सुनवाई की तारीख बताने के बजाय सिर्फ दिन बताया गया। एक तो महिला के आरोपों में कोई दम नहीं था और आरोप में सीधे न्‍यायमूर्ति का नाम लिया गया था या नहीं इस पर भी को ई साफ साफ नहीं लिखा गया था। लेकिन सबसे मजेदार बात तो यह कि इतनी प्रमुखता से आरोप की खबर को सनसनीखेज बनाने वाला संपादक सह मालिक जब इसपर फैसला आया तो कोई खबर नहीं छापी। इसे क्‍या समझा जाए। अगर आरोप संगीन थे तो उसपर आया फसला भी महत्‍वपूर्ण था।
खबर उसी दिन छापी गई जिस दिन इस पर सुनवाई हुई। इसके दूसरे दिन यानि 19 सितंबर को दिल्‍ली हाईकोर्ट की माननीय मुख्‍य न्‍यायधीश और एक अन्‍य न्‍यायधीश की खंडपीठ ने फैसला सुनाया था। इस फैसले में कहीं भी किसी न्‍यायाधीश के नाम का जिक्र नहीं है। ख्‍बार के अनुसार इंटर्न का भी कोई जिक्र नहीं है। हां, सुप्रीमकोर्ट के एक खंडपीठ का जरूर जिक्र आया है जिसपर इस तरह के आरोप की बात कही गई है। लेकिन महिला के किसी भी आरोप को माननीय अदालत ने सही नहीं पाया और पीटिशन को खारिज कर दिया। इस तरह की सनसनीखेज और आरोप आधारित खबर कोप्र काशित कर दैनिक जागरण किस तरह की पत्रकारिता कर रहा है। क्‍या यह जिम्‍मेदारी उस संपादक की नहीं बनती है कि एक मुख्‍य न्‍यायाधीश जेसे अति महत्‍वपूर्ण पद को धारण करने वाले व्‍यक्ति के खिलाफ इस तरह की खबर फैलाए और जब सच्‍चाई सामने आए तो उसप कुंडली मार कर बैठ जाए। यह तो प्‍लांटेशन है।

मजीठिया मंच के फेसबुक वाल से

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