दैनिक जागरण कर्मचारी मौन व्रत पर जाने की तैयारी में
रस्सी जल गई मगर बल नहीं गई,इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है दैनिक जागरण। दैनिक जागरण में कर्मचारियों द्वारा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आज सातवां दिन है। कर्मचारी काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्वक अपना-अपना कार्य कर रहे हैं। मगर कर्मचारी प्रतिनिधियों से वार्ता करने की वजाय मैनेजमेंट जोड़-तोड़ की राजनीति में लगे रहे। मैनेजेमेंट ने कर्मचारियों के आंदोलन को तोड़ने के काम पर लगाई गई अपनी कोर टीम को दो हिस्सों में बांट दिया है। उसका एक हिस्सा लोगों को अलग-अलग फुसलाने पर लगा है तो दूसरा हिस्सा जहां भी मौका मिले वहीं उकसाने पर लगाया गया है। मैनेजमेंट यह देख चुका है कि कर्मचारी लालच में आकर टूटने वाले नहीं हैं। ऐसी स्थिति में उनके पास कर्मचारियों की एकता को तोड़ने का उनके पास एक ही उपाय बचा है और वह यह है कि कर्मचारियों को उकसा उन्हें कोई गलत कदम उठाने के लिए मजबूर किया जाए। कोई ऐसा कदम जो कोर्ट में उनके ऊपर भारी पड़ जाए और इस तरह क्या पता इसमें ही कोई रास्ता ऐसा निकल आए कि इन्हें मजीठिया न देना पड़े। लेकिन कर्मचारी भी कुछ कम समझदार नहीं हैं। वे ऐसी किसी भी उकसावे वाली बात का या तो शांतिपूर्ण जवाब दे दे रहे हैं या फिर वहां से चुपचाप हट जा रहे हैं।
मैनेजमेंट के इसी रवैये को देखते हुए कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि वे काली पट्टी बांधने के साथ मौन व्रत भी रखेंग। मौन व्रत का एक कारण यह भी है कि जागरण के सीजीएम एक-एक कर्मचारी को अलग-अलग बुलाकर उससे बात करने में लगे हए हैं। जिन कर्मचारियों को वे अलग से बुला रहे हैं। प्रबंधन के गुर्गे भी कर्मचारियों से अलग-अलग संपर्क करने और उसे तोड़ने की साजिश में लगे है। ये लोग बात-बात में बड़े प्यार से धमकियां भी दे रहे है। इसके अलावा कुछ लोग कर्मचारियों को पिस्टल और लोकल गुंडों के नाम से भी उकसाने का कार्य कर रहे हैं। इन बातों को ध्यान में रखकर कर्मचारियों ने यह फैसला किया है कि जब वह कोई बात ही नहीं करेगे तो कोई क्या डराएगा और क्या उकसाएगा ? कर्मचारी जल्द ही मौन व्रत पर जाकर पहले की ही तरह काली पट्टी बांधकर कार्य करते रहेंगे, लेकिन किसी भी सूरत में कुछ बोलेंगे नहीं। यहां तक कि आपस में भी कोई बात नहीं करेंगे।
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