ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) को लेकर नियमों में और बदलाव करने की योजना बना रही है केंद्र सरकार
ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) को लेकर केंद्र सरकार नियमों में और बदलाव करने की योजना बना रही है। बिजनेस अखबार ‘इकनॉमिक टाइम्स’ (ET) की एक खबर के मुताबिक, सरकार ब्रॉडकास्टिंग के साथ-साथ डिफेंस, टेलिकॉम जैसे सेक्टर्स में FDI के लिए मंजूरी लेने का सिस्टम बंद कर सकती है, जिनमें लाइसेंस की जरूरत पड़ती है। इससे इन सेक्टर्स में विदेशी निवेश की प्रक्रिया और आसान हो जाएगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि लाइसेंस लेने के बाद अलग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए उन्हीं एजेंसियों से मंजूरी लेने से देरी होती है। उन्होंने कहा कि अगर कोई लाइसेंस के लिए जांच की प्रक्रिया से गुजर चुका है तो उसे दोबारा उसका सामना करने की जरूरत क्यों होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एफडीआई की शर्तों की पड़ताल लाइसेंस देने वाली अथॉरिटी ही कर सकती है। जल्द ही एक बड़ा डिफेंस ऑर्डर दिया जाने वाला है। अगर ये बदलाव हो जाते हैं तो उसमें काफी तेजी आ सकती है।
अभी जो नियम हैं, उनके मुताबिक निवेशकों को कई मंत्रालयों और विभागों से मंजूरी लेने के बाद लाइसेंस के लिए याचिका देनी पड़ती है। इनमें गृह मंत्रालय से सिक्यॉरिटी क्लीयरेंस भी जरूरी है। लाइसेंस मिलने के बाद उन्हें विदेशी निवेश के लिए अलग से आवेदन करना पड़ता है। इस क्लीयरेंस प्रोसेस में भी कई मंत्रालयों और विभागों की भूमिका होती है।
ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर में सूचना-प्रसारण मंत्रालय के बनाए रूल्स और रेग्युलेशंस लागू होते हैं। साल 2000 के बाद से टेलिकॉम सेक्टर में 24 अरब डॉलर का निवेश हो चुका है। इस दौरान जितना निवेश हुआ है, यह उसका 7.4 प्रतिशत रहा है। सरकार पहले ही फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) को खत्म करने का इरादा जता चुकी है। इसके बाद एफडीआई की मंजूरी का काम संबंधित मंत्रालयों या विभागों के जिम्मे रह जाएगा।
गौरतलब है कि बीते साल विदेशी निवेश पर केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र के नियमों में भी संशोधन किया था। इसके तहत डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्मों में एफडीआई 49 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दी गई। दरअसल सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग कैरेज सर्विसेज में ऑटोमेटिक रूट से 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दी। इन क्षेत्रों में टेलिपोर्ट, केबल टीवी, डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच), हेडएंड-इन-स्काई (हिट्स) और मोबाइल टीवी जैसी सेवाएं शामिल हैं।