अब कैदी बनेंगे पत्रकार, निकालेंगे पत्रिका

रविशंकर तिवारी की रिपोर्ट । तिहाड़ जेल के कैदी अब बनेंगे पत्रकार और निकालेंगे पत्रिका. तिहाड़ से शीघ्र प्रकाशित न्यूज लेटर का संपादन जेल के कैदियों द्वारा किया

अब कैदी बनेंगे पत्रकार, निकालेंगे पत्रिका

रविशंकर तिवारी की रिपोर्ट । तिहाड़ जेल के कैदी अब बनेंगे पत्रकार और निकालेंगे पत्रिका. तिहाड़ से शीघ्र प्रकाशित न्यूज लेटर का संपादन जेल के कैदियों द्वारा किया जाएगा.इस मासिक पत्रिका के लिए रिपोर्टिग, प्रूफ रीडर और ग्राफिक्स डिजायनिंग तक का काम कैदी ही करेंगे. मानवाधिकार आयोग की पत्र पेटिका में मन की पीड़ा व्यक्त करने वाले कैदी अब पत्रकारिता के जरिए अपनी बेबाक राय अधिकारियों तक पहुंचाएंगे.

कैदियों को रचनाधर्मी बनाने के साथ ही साथ वाक् एवं अभिव्यक्ति की आजादी देने के लिए तिहाड़ प्रशासन ने कारगर कदम उठाया है. दो दिन पहले तिहाड़ एफएम रेडियो की शुरुआत की गई है. दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक रेडियो से प्रसारण किया गया.

एफएम रेडियो को आपरेट तिहाड़ के कैदी ही कर रहे हैं. फिलहाल कैदियों की फरमाइश पर फिल्मी गानों का प्रसारण किया गया. एफएम रेडियो के प्रस्तोता कैदियों ने कंपेयरिंग के दौरान चुटकुले भी सुनाये. तिहाड़ एफएम रेडियो से अभी जेल नंबर-4 के कैदी ही जुड़े हैं. अन्य जेलों में भी स्पीकर सिस्टम लगाकर प्रसारण फ्रीक्वेंसी बढ़ाने की तैयारी चल रही है.

इलेक्ट्रानिक माध्यम के बाद अब तिहाड़ प्रशासन प्रिंट माध्यम को भी लोकप्रिय बनाने की तैयारी में है. जेल से जल्द मासिक न्यूज लेटर का प्रकाशन किया जाएगा. पत्रिका के प्रकाशन के लिए एडिटोरियल बोर्ड गठित करने की प्रक्रिया शुरू है.

तिहाड़ जेल की महानिदेशक विमला मेहरा ने बताया है कि मासिक न्यूज लेटर का प्रकाशन अगले माह से शुरू होगा. इससे पहले एडिटोरियल बोर्ड का गठन कर लिया जाएगा. एडिटोरियल बोर्ड में बुद्धिजीवी कैदियों को शामिल किया जाएगा. बुद्धिजीवी कैदी ही संपादकीय टीम का गठन करेंगे. मेहरा ने कहा कि सभी जेलों में मानवाधिकार आयोग की पत्र पेटिका है.

अपनी पीड़ा लिखकर कैदी पत्र पेटिका में डालते रहे हैं. लेकिन अपनी बात रखने के लिए कैदियों को और सशक्त माध्यम दिया जा रहा है. न्यूज लेटर के रिपोर्टर कैदी दूसरे कैदियों की पीड़ा या समस्या को उजागर कर सकते हैं. जेल के दरम्यान खट्टे-मिठ्ठे अनुभव को बांट सकते हैं. राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर आर्टिकल लिख सकते हैं. इससे कैदियों के भीतर क्रिएशन का विकास होगा. एक दूसरे तक अपनी बात भी पहुंचा सकेंगे. हर जेल में न्यूज लेटर मुफ्त में दिया जाएगा. जेल के भी न्यूज लेटर के प्रसार का काम भी कैदी संभालेंगे.

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