क्या दागी पत्रकारों पर चलेगा बाबा का बुलडोजर ?
पुलिस प्रशासन और अन्य संस्थाओं से ऐसे पत्रकारों के बारे में सूचना एकत्रित की जा सकती है जिनके ऊपर पुलिस द्वारा आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं और अदालत में जिनके संबंध में आपराधिक कार्यवाही लंबित है।
राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार बनकर लोक भवन और सचिवालय प्रशासनिक भवनों में रुतबा झाड़ने वाले दागी पत्रकारों पर हो सकती है बड़ी कार्यवाही। एक आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायतों पर गंभीरता से विचार करने के उपरांत प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने शिकायती पत्रों पर कार्रवाई करने हेतु निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को अग्रसारित किया गया है और कहीं ना कहीं पत्रकारों की मान्यता नवीनीकरण 31 जनवरी तक शिकायती पत्रों को संज्ञान में लेने के उपरांत ही रोक दी गई है।
पुलिस प्रशासन और अन्य संस्थाओं से ऐसे पत्रकारों के बारे में सूचना एकत्रित की जा सकती है जिनके ऊपर पुलिस द्वारा आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं और अदालत में जिनके संबंध में आपराधिक कार्यवाही लंबित है।
खास तौर पर ऐसे पत्रकार जो जमानत पर बाहर घूम रहे हैं उनके लोकभवन और अन्य प्रशासनिक भवनों में आने-जाने पर रोक लगाई जा सकती है क्योंकि इन्हीं प्रशासनिक भवनों के उच्च अधिकारियों के संपर्क में रहकर दागी पत्रकार अपनी जांच को प्रभावित कर सकते हैं। प्रमुख सचिव सूचना द्वारा शिकायती पत्र को सूचना निदेशक द्वारा कितनी गंभीरता से लिया जाता है और पत्रकारों की मान्यता नवीनीकरण में दागी पत्रकारों को कितनी सहूलियत दी जाती है यह आने वाला वक्त बताएगा लेकिन कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश के पत्रकारों में प्रमुख सचिव द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट के पत्र को संज्ञान में लिए जाने के उओरांत अजीब सी खलबली मची है की मान्यता नवीनीकरण में आखिर उन पत्रकारों का क्या होगा जो जमानत पर घूम रहे हैं और जिनके ऊपर आपराधिक मुकदमों में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल है।
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