वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल बने प्रसार भारती बोर्ड के चेयरमैन

यूपी कैडर के 1988 बैच के आईएएस अफसर नवनीत सहगल प्रदेश की नौकरशाही के सबसे चर्चित चेहरों में रहे हैं। सत्‍ता में चाहे जो रहा हो नवनीत सहगल कभी भी ज्‍यादा दिनों तक महत्‍वपूर्ण भूमिकाओं से अलग नहीं रहे। उन्‍हें हर बार कमबैक करने वाले अधिकारी के तौर पर जाना जाता है।

वरिष्ठ आईएएस नवनीत सहगल को भारत सरकार ने प्रसार भारती का चेयरमैन बनाया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसके लिए बाकायदा आदेश जारी कर एक एक पत्र साझा करते हुए इसकी जानकारी दी है। उन्हें तीन साल के लिए ये पद और जिम्मेदारी दी गई है।

कौन हैं नवनीत सहगल

वर्ष 1963 में पंजाब के फरीदकोट में पैदा हुए नवनीत सहगल की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा हरियाणा में हुई क्योंकि इनके पिता यहीं नौकरी करते थे. अंबाला से दसवीं कक्षा पास करने के बाद सहगल ने भिवानी में रहकर इंटरमीडियट परीक्षा उत्तीर्ण की. वर्ष 1982 में 19 साल की उम्र में सहगल ने बीकॉम पास किया. ये सिविल सर्विस में जाना चाहते थे लेकिन उम्र नहीं हुई थी. इसके बाद सहगल ने चार्टेड एकाउंटेंटशिप (सीए) कोर्स में दाखिला लिया. 1986 में उन्होंने सीए कोर्स पूरा कर लिया. इसके अगले साल इन्होंने कंपनी सेकेटरीशिप का कोर्स भी पूरा कर लिया. सीए करने के बाद वर्ष 1986 में सहगल ने प्रैक्टिस और साथ में सिविल सर्विसेज की तैयारी भी शुरू कर दी. बड़ी कंपनियों के कंसल्टेंट के तौर पर सहगल ने देश में कई नई फैक्ट्रियों की शुरुआत कराई। यूपी कैडर के 1988 बैच के आईएएस अफसर नवनीत सहगल प्रदेश की नौकरशाही के सबसे चर्चित चेहरों में रहे हैं। सत्‍ता में चाहे जो रहा हो नवनीत सहगल कभी भी ज्‍यादा दिनों तक महत्‍वपूर्ण भूमिकाओं से अलग नहीं रहे। उन्‍हें हर बार कमबैक करने वाले अधिकारी के तौर पर जाना जाता है।

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उत्‍तर प्रदेश की नौकरशाही में पिछले दो दशक से नवनीत सहगल की ताकत का लोहा हर कोई मानता रहा है। मायावती राज में वह लखनऊ के डीएम रहे। मुलायम सिंह यादव के शासन काल में 2005 में उन्‍हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया तो 2007 में मायावती की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद उनकी यूपी वापसी हो गई। इस बार वह पावर सेंटर बन गए। 2010 आते-आते वह शहरी विकास, यूपीएसआईडीसी और ऊर्जा जैसे महत्‍वपूर्ण विभागों का काम काज संभाल चुके थे। मायावती सरकार में उनका नाम सबसे ताकतवर अफसर के तौर पर लिया जाता था।

आईएएस के तौर पर नवनीत सहगल की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि जब जो दल विपक्ष में रहा वो उनके बहाने सरकार पर सवाल उठाता रहा लेकिन सत्‍ता में आने के बाद उन्‍हें सबने महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारियां दीं। 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद अखिलेश यादव ने तीन दिन के अंदर सहगल को हटाकर वेटिंग लिस्‍ट में डाल दिया था। इसके 10 दिन बाद उन्‍हें धर्मार्थ कार्य विभाग की जिम्‍मेदारी दी गई। जल्‍द ही सहगल की काबलियत का असर दिखने लगा और वह सूचना जैसे अहम विभाग में आ गए। तीन महीने बाद उन्‍हें यूपीडा का सीईओ बना दिया गया। कहते हैं कि अखिलेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्‍ट आगरा एक्‍सप्रेस वे को जमीन पर उतारने में उनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका रही।

उस दौर में बीजेपी आगरा एक्‍सप्रेस वे में भ्रष्‍टाचार को लेकर अक्‍सर सरकार को घेरती थी। 2017 में योगी आदित्‍यनाथ की अगुवाई में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो एक बार फिर एक महीने के अंदर सहगल वेटिंग लिस्‍ट में भेज दिए गए। फिर खादी और एमएसएमई होते हुए सहगल ने एक बार फिर महत्‍वपूर्ण भूमिका में वापसी की। 2022 के चुनाव के करीब डेढ़ साल पहले उन्‍हें सूचना विभाग की जिम्‍मेदारी दी गई। सीएम योगी की दूसरी पारी में उन्‍हें खेल विभाग में भेज दिया गया था। इसी विभाग से वह सोमवार को रिटायर हो गए।

देखें आदेश..

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