अमर उजाला संवाद 2025: इसे बाहर निकालो, ये भाजपा का आदमी है, भड़के सपा प्रमुख अखिलेश यादव, खुलेआम दे डाली बड़ी धमकी
लखनऊ में आयोजित ‘अमर उजाला संवाद 2025’ कॉन्क्लेव के मंच पर उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक सवाल पर अपना आपा खो बैठे।
यह घटना शुक्रवार को उस समय हुई जब एक व्यक्ति ने अखिलेश यादव से राणा सांगा से जुड़ा एक सवाल पूछ लिया। सवाल सुनते ही अखिलेश यादव गुस्से से तमतमा उठे और आयोजकों से उस व्यक्ति को ऑडिटोरियम से बाहर निकालने को कह दिया। घटना के बाद सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया, जिसमें अखिलेश यादव को उस व्यक्ति पर बरसते हुए सुना जा सकता है। वीडियो में वे कहते हैं, “ये आदमी बीजेपी का है…..निकल बाहर कर दूंगा मैं इसको। ऐ निकला भरा कर देंगे तुम्हें, झगड़ा हो जाएगा फिर, बताता हूं मैं।”
कार्यक्रम में मचा बवाल
कॉन्क्लेव में अखिलेश यादव बतौर वक्ता आमंत्रित थे और उनसे तमाम मुद्दों पर सवाल पूछे जा रहे थे। उसी दौरान एक श्रोता ने राणा सांगा से जुड़ा सवाल उठाया, जिससे सपा प्रमुख नाराज हो गए। उन्होंने मंच से ही आयोजकों को कहा कि “इसे बाहर निकालो, ये भाजपा का आदमी है।” हालाँकि, जैसे ही सुरक्षाकर्मियों ने उस व्यक्ति को हॉल से बाहर निकालने की कोशिश की, अखिलेश यादव ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उसे छोड़ दिया जाए। इस पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और लोग इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कई लोगों ने इसे अखिलेश यादव की असहिष्णुता करार दिया है, वहीं सपा समर्थकों ने इसे एक ‘राजनीतिक उकसावे’ की साजिश बताया है।
What Kind of Arrogant and Shameful Conduct is this?
Akhilesh Yadav gets into verbal spat with audience during Amar Ujala conclave.
Addresses audience with Oy, Aa , Sun …. throw him/them out …. anyone not agreeing is Bhajpai and those supporting are audience!! pic.twitter.com/p4QgyPlhOL
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) April 18, 2025
राणा सांगा विवाद फिर सुर्खियों में
इस पूरे घटनाक्रम की जड़ें उस बयान में छिपी हैं जो समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने बीते महीने संसद में दिया था। 21 मार्च 2025 को राज्यसभा सत्र के दौरान, सुमन ने एक ऐतिहासिक दावा करते हुए कहा था कि “राणा सांगा ही वो शख्स थे जिन्होंने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत आमंत्रित किया था।” उन्होंने आगे कहा था कि इस कार्य के लिए राणा सांगा को “देशद्रोही” माना जाना चाहिए। सुमन के इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भूचाल ला दिया। राजपूत समुदाय, विशेषकर करणी सेना, ने इस बयान को सीधे तौर पर अपने गौरव पर हमला माना और तीखा विरोध शुरू कर दिया। सुमन ने बाद में अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर बात की थी, लेकिन उनकी ‘देशद्रोही’ टिप्पणी ने माहौल को और भड़का दिया।
करणी सेना का आक्रोश और हमला
इस बयान के बाद 26 मार्च 2025 को राजस्थान के आगर जिले में रामजी लाल सुमन के घर पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। दर्जनों कार्यकर्ता बुलडोजर लेकर उनके घर पहुंचे और वहां जमकर तोड़फोड़ की। रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने घर की खिड़कियां तोड़ी, वाहनों को नुकसान पहुंचाया और पत्थरबाजी की। इस हमले को लेकर कई राजनैतिक प्रतिक्रियाएं आईं। समाजवादी पार्टी ने इस हमले की कड़ी निंदा की, जबकि करणी सेना ने अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा कि “राजपूत इतिहास का अपमान किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया क्यों?
विश्लेषकों का मानना है कि अमर उजाला संवाद 2025 के दौरान सवाल पूछने वाले व्यक्ति ने इसी विवाद से जुड़ा कोई सवाल उठाया होगा, जिससे अखिलेश यादव भड़क गए। यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह सवाल राजनीतिक रूप से उकसावे वाला था, जिससे अखिलेश यादव ने इसे भाजपा की साजिश बताकर उस व्यक्ति को बाहर निकालने की बात कही। अखिलेश यादव पहले भी कई बार भाजपा पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि वह सांप्रदायिक और जातीय भावनाओं को भड़काकर राजनीति करती है। संभवतः इसी संदर्भ में उन्होंने उस शख्स को “बीजेपी का आदमी” कहकर हॉल से बाहर निकालने को कहा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं। कुछ लोगों ने अखिलेश यादव की भाषा को असंसदीय और लोकतंत्र विरोधी बताया, वहीं कुछ समर्थकों ने उनकी भावनाओं को सही ठहराया। एक ट्विटर यूजर ने लिखा – “इतिहास पर सवाल पूछना अगर झगड़े का कारण है, तो फिर संवाद कैसे संभव होगा?” वहीं एक अन्य यूजर ने कहा – “सांप्रदायिक राजनीति के नाम पर नेता जब इतिहास को भी अपनी सुविधा के अनुसार मोड़ने लगते हैं, तो ऐसे ही दृश्य सामने आते हैं।”
अमर उजाला संवाद 2025 का मंच जिस उद्देश्य से आयोजित किया गया था – संवाद और विमर्श – वह इस घटना के चलते क्षणिक रूप से दब गया। हालांकि आयोजकों ने माहौल को संभाल लिया, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत की राजनीति में असहमति को स्थान मिल पा रहा है या नहीं? राणा सांगा से जुड़ा विवाद, रामजी लाल सुमन का बयान और करणी सेना की प्रतिक्रिया पहले ही राजनीति को गरमा चुकी थी। अब अखिलेश यादव की मंच से दी गई प्रतिक्रिया ने इस विवाद को और अधिक राजनीतिक रंग दे दिया है। आगामी चुनावों से पहले, ऐसे मुद्दे और भी तेजी से गरमाएंगे, यह तय माना जा सकता है। लेकिन इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि भारत की राजनीति में इतिहास और पहचान की बहसें सिर्फ अकादमिक नहीं रहीं – अब वे सीधे चुनावी रणनीतियों का हिस्सा बन चुकी हैं।
