NDTV: बस इस चश्मे पर क्लिक कीजिए, देखिए आंखें खुद नम हो जाएगी…
‘ये उस 48 वर्षीय आदमी का चश्मा है, जिसे 17 साल की नौकरी के बाद कंपनी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। कई घंटों से इन्होंने चश्मे को अपनी आंखों पर नहीं लगाया है। आखिर लगाएं भी तो कैसे, जब उनके आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। वह सोमवार की उस घड़ी को कोस रहे हैं, जब उन्हें यह मनहूस खबर सुनने को मिली। दरअसल, सोमवार की मीटिंग के बाद जब उनके पास सामान्य दिनों की तरह फोन आया तो उन्हें लगा कि कंपनी ने मेहमानों के लिए चाय बनाने को फोन किया है। आखिर दैनिक मानदेय पर काम करने के दौरान यह भी उनकी नौकरी का ही हिस्सा था। लेकिन यह फोन तो उनके अरमानों पर पानी फेरने वाला निकला। कंपनी की ओर से एक झटके में कह दिया गया कि अब उनकी जरूरत नहीं है।’
एनडीटीवी के पत्रकार आलोक पांडेय ने फेसबुक पर चश्मे की फोटो के साथ कंपनी से निकाले गए व्यक्ति का दर्द कुछ इसी तरह बयां किया है।
वैसे सूत्रों के अनुसार छंटनी की सूचना देने के लिए दिल्ली से पहुंचे एनडीटीवी समूह के एचआर अधिकारी लखनऊ के पंचसितारा होटल में ठहरे थे। ऐसे में लगता है कि आज के दौर में वाकई दूसरों पर ऐसा कुठाराघात करने वालों की आंखों का पानी वाकई सूख गया है।
इसमें कुछ झूठ भी नहीं है, क्योंकि जिन लोगों को कंपनी ने बाहर कर रास्ता दिखाया है, वे सबके सब निराश और हताश है। आखिर इस कंपनी के लिए उन्होंने न जाने अपनी जिंदगी के कितने साल दिए थे और कंपनी ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। कई लोग तो ऐसे हैं, जिन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि आखिर उम्र के इस पड़ाव में वे कहां जाएंगे और कैसे अपनी व परिवार की जरूरतों को पूरा करेंगे।
दरअसल, इस साल के जाते-जाते 19 दिसंबर को एनडीटीवी ग्रुप ने ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ को बताया था कि वह अपने कर्मचारियों में 25 प्रतिशत तक की कटौती करने जा रहा है। इसी के तहत कर्मचारियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि कंपनी 300 से ज्यादा कर्मचारियों की छुट्टी करेगी। यहां तक कि ‘एनडीटीवी प्राइम’, ‘एनडीटीवी प्रॉफिट’ और ‘एनडीटीवी गुड टाइम्स’ का भविष्य भी खतरे में है। कंपनी की इस घोषणा के बाद प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने डॉ. प्रणॉय रॉय को पत्र भेजकर एनडीटीवी का दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिए कहा था।
कर्मचारियों को भेजे गए एक आंतरिक ईमेल में ‘एनडीटीवी ग्रुप’ की सीईओ सुपर्णा सिंह का कहना है कि इस कवायद के तहत मैनेजमेंट से जुड़े शीर्ष लोगों के वेतन में भी कटौती की गई है। इसके अलावा कई विभागों को एकीकृत कर दिया गया है।
‘एनडीटीवी’ में कार्यरत एक सूत्र का कहना है कि हर आदमी एनडीटीवी की स्थिति के बारे में जानता है, सभी लोग देख रहे हैं लेकिन कोई भी इससे ज्यादा कुछ कर नहीं सकता है। बर्खास्तगी के आदेश वरिष्ठ प्रबंधन स्तर से आए हैं।
सूत्र के अनुसार, सभी विभागों में नौकरियों में कटौती की गई है। स्पोर्ट्स टीम से आठ से दस लोगों की छुट्टी की जा चुकी है। वहीं विभिन्न शो के सेट का डिजाइन करने वाले कई लोगों को भी जाने को कह दिया गया है। इसके अलावा पिछले कुछ महीनों में करीब 60 विडियो एडिटर्स और 40 से ज्यादा कैमरामैन को इस्तीफा देने को कहा गया है। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों से कहा गया है कि वे इस्तीफे पर हस्ताक्षर कर दें और उन्हें तीन महीने की सैलरी (21 दिसंबर से 21 मार्च) दी जाएगी। हालांकि अक्टूबर से पहले जिन लोगों को हटाया गया था, उन्हें छह से नौ महीने तक की सैलरी दी गई थी।
एनडीटीवी टीवी के एंकरों पर जो सच बोलने का दावा करते हैं, भड़कते हुए एक बर्खास्त कर्मचारी का कहना था कि ऑफिस में तो कोई कुछ नहीं कहेगा,टीवी पर लेक्चर देना बड़ा आसान है लेकिन जब बात आपकी नौकरी पर आती है तो कोई कुछ नहीं बोलता। ऐसे लोगों को अब बोलना चाहिए कि जो हो रहा है, वह गलत है। लेकिन वे लोग कभी भी मैनेजमेंट के खिलाफ नहीं जाएंगे। क्या अब उनके लिए ‘बागों में बहार’ है।
सूत्र का यहां तक कहना था कि हजारों में वेतने पाने वालो लोगों को तो बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है लेकिन लाखों की सैलरी लेकर ऊंचे पदों पर बैठे लोगों से कुछ नहीं कहा जा रहा है। जो बीस हजार रुपये महीना कमाता है, उसे बर्खास्त किया जा रहा है जबकि लाखों रुपये वेतन पाने वालों को छुआ तक नहीं जा रहा है। वहीं कंपनी के निशाने पर आए एक वरिष्ठ पत्रकार का तो यहां तक कहना था कि वह इसके खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। पत्रकार का कहना था कि उनकी लड़ाई किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि पूंजीवाद के खिलाफ है।
निशांत सक्सेना