…तो जनसंदेश लखनऊ के मार्केटिंग इंचार्ज विनोद वर्मा भी खोज रहे हैं नौकरी
गत् दिनों जिस तरह से इलाहाबाद में तालाबंदी हुई है और लखनऊ में जब से यह चर्चा शुरू हुई कि अब विनीत मौर्या के दिन खत्म हो गए तब से लखनऊ एडीशन में कार्यरत मार्केटिंग हेड विनोद वर्मा भी काफी परेशान हो गए हैं। वह इस समय अखबारों के दर माथा टेकने में पूरा दिन निकाल दे रहे हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार श्री टाइम्स में भी उन्होंने सारा दम लगाया था लेकिन इसके बावजूद उनकी इंट्री नहीं हुई। इतना ही नहीं वह अपने पुराने संस्थान कैनविज टाइम्स में भी जाने के लिए पूरा जोर लगा चुके हैं लेकिन कैनविज से भी अभी सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। सोचने वाली बात यह है कि एकाएक विनोद वर्मा बिना किसी बात के ही जनसंदेश छोडऩा क्यों चाहते हैं क्योंकि जनसंदेश में उनको तो कोई दिक्कत नहीं थी, उनकी सैलरी टाइम से मिलती थी, ऐड आए न आए उनका वेतन निर्धारित नहीं था और न ही कोई सवाल जवाब था फिर भी एकाएक जनसंदेश को छोडऩे की बात कुछ हजम नहीं हो रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें भी इस बात का अहसास हो गया कि अभी तक विनीत मौर्या के साथ मिलकर जो धांधलीबाजी चल रही थी, अब वह नहीं चल पाएगी और पहले की धांधलियों पर जवाब देना पड़ जाएगा। इससे बचने के लिए अनुज पोद्दार के बैठने से पहले ही वह भी संस्थान छोड़ देना चाहते हैं लेकिन वाह रे वक्त वह जिस दर भी नौकरी के लिए जा रहे हैं, निराशा ही हाथ लग रही है। वहीं इस मुद्दे पर जब विनोद वर्मा से फोन पर बात हुई तो उन्होन इसका बात का खण्डन किया और बताया कि वो फिलहाल जनसंदेश को छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं।