जब बेशर्म अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया को दीपिका पादुकोण ने ट्विटर पर सरेआम दौड़ा लिया…
कब बंद होगी मीडिया की बदतमीजी… एक अंग्रेज़ी अखबार के अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किए गए वीडियो और उसके साथ के ट्वीट पर दीपिका पादुकोण का जवाब जो आया, उस पर कई हस्तियों ने खुलकर दीपिका का साथ दिया है. अंग्रेज़ी अख़बार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर दीपिका पादुकोण का एक वीडियो पोस्ट किया और उसके नीचे लिखा, “ओह माय गॉड ! दीपिका पादुकोण क्लीवेज शो!” इस पर दीपिका पादुकोण ने इस अंग्रेज़ी अख़बार को ट्वीट कर जवाब दिया, “हां, मैं एक औरत हूं. मेरे पास स्तन हैं, क्लीवेज है. आपको कोई समस्या है इस बात से?”
इसके बाद अंग्रेज़ी अख़बार ने दीपिका के इस ग़ुस्से पर झैंप मिटाते हुए ढीठता के साथ जवाब देते हुए ट्वीट किया, “दीपिका, हम तो आपकी तारीफ़ कर रहे हैं. आप बेहद ख़ूबसूरत हैं और हम चाहते हैं कि हर किसी को इस बात का पता चले.” सवाल यह उठता है कि दीपिका खूबसूरत है…यह बात ये अखबार किसे बताना चाहता है? और जो ट्वीट उसकी तरफ से एक वी़डियो के साथ किया गया है, वह क्या इंगित करता है? मीडिया का एक अंग लगातार इस तरह की बदत्तमीजी कर रहा है। सेलेब्रिटी की उल्टी-सीधी तस्वीरें प्रकाशित करता है। उन पर भद्दे कमेंट करके अपनी मानसिकता के दिवालियेपन का सबूत देता है।
होंगे ऐसे सेलेब्रिटी जिन्हें अखबारों और पत्रिकाओं की ये हरकतें रास आती होंगी परन्तु बहुत सी अभिनेत्रियां हैं, जो दीपिका की तरह मुंहतोड़ जवाब देना जानती हैं। इस अखबार ने जो हरकत की है, उस पर चर्चा होनी ही चाहिए। उसकी सफाई भी बेहद आपत्तिजनक है बल्कि कहना होगा कि वह भी आधी आबादी का सीधे-सीधे अपमान है। इससे यह भी पता चलता है कि मीडिया हाउसेज में किस तरह की गंदी मानसिकता के लोग घुस गए हैं…इनका कड़ा प्रतिवाद जरूरी है। दीपिका ने सही लिखा है कि महिला सशक्तिकरण की बात ना करें यदि आप ये नहीं जानते कि महिलाओं का सम्मान कैसे किया जाता है ?….
वरिष्ठ पत्रकार ओमकार चौधरी के फेसबुक वॉल से
Samar Anarya : शुक्र है दीपिका पादुकोण का कि प्राइम टाइम नारीवादियों को भी ‘ऊप्स मोमेंट’ ढूंढ़ते रहने वाले मीडिया का स्त्रीद्वेष समझ आ गया (या टीआरपी आ गयी?)। आज शाम वे ये हरकत करने वाले टाइम्स ऑफ़ इंडिया के चैनल टाइम्स नाऊ पर आग उगलेंगी, बहिष्कार नहीं करेंगी। तब भी नहीं जब यही मीडिया राखी सावंतों का ऊप्स मोमेंट ढूंढ़ता रहेगा, छापता रहेगा। यू नो, सब जगह टीआरपी एक बराबर नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय समर के फेसबुक वॉल से.
