केजरीवाल के साढ़ू की मौत के पीछे कोई साज़िश तो नहीं…………….?
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रिश्तेदार की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में दिल्ली के आईपी एस्टेट थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। दरअसल केजरीवाल के साढ़ू सुरेंद्र कुमार बंसल की उसी दिन मौत हो गई, जिस दिन पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने 50 करोड़ रुपये की लैंड डील का भंडाफोड़ किया। कपिल मिश्रा का आरोप था कि पीडब्लूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने केजरीवाल के साढ़ू की 50 करोड़ की लैंड डील करवाई थी। इसके तहत 7 एकड़ जमीन खरीदी गई। इसके अलावा बंसल के 10 करोड़ रुपये के फर्जी बिल सत्येंद्र जैन ने पीडब्लूडी से पास करवाने के आरोप भी कपिल मिश्रा ने लगाया था। ये हैरानी की बात है कि आरोप लगने के कुछ घंटों के अंदर ही सुरेंद्र कुमार बंसल की रहस्यमय हालात में मौत हो गई। कहा गया कि उनका ब्लड शुगर लेवल बहुत बढ़ गया था, जिसके बाद उन्हें मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया। ब्लड शुगर से मौत और मेदांता अस्पताल के नाम के कारण कई लोगों को यह शक है कि यह सामान्य मौत नहीं, बल्कि इसके पीछे जरूर कोई साजिश है।
दिल्ली के पीडब्लूडी घोटाले में केजरीवाल के साढ़ू सुरेंद्र बसंल के शामिल होने का भंडाफोड़ करने वाले पत्रकार विप्लव अवस्थी ने आईपी एस्टेट थाने में अर्जी देकर कहा है कि उनकी मौत संदेहास्पद हालात में हुई है और इसके पीछे किसी तीसरे व्यक्ति का हाथ हो सकता है। पत्रकार विप्लव अवस्थी ने इसी साल सुरेंद्र बंसल के घोटाले का भंडाफोड़ किया था। जिसके बाद से उन्हें लगातार धमकियां दी जा रही थीं। यहां तक कि नोएडा में 22 फरवरी के दिन उन पर अज्ञात लोगों ने हमला भी किया और कार के शीशे तोड़ डाले थे। जिसके बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि हमले के पीछे खुद केजरीवाल हैं। यह रिपोर्ट आप नीचे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
शक की क्या है वजह?
केजरीवाल के साढ़ू की अचानक मौत को लेकर पैदा हो रहे शक के पीछे सबसे बड़ा कारण इसकी टाइमिंग है। बताया जा रहा है कि वो एक दिन पहले तक बिल्कुल स्वस्थ और सामान्य थे। कपिल मिश्रा के आरोप लगाने के कुछ वक्त के अंदर ही खबर आ गई कि मेदांता अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया है। वो पीतमपुरा में रहते थे और अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने खुद केजरीवाल भी पहुंचे। सोशल मीडिया और निजी बातचीत में कई लोग कह रहे हैं कि मेदांता अस्पताल के कारण उन्हें शक है। क्योंकि ये अस्पताल शुरू से ही अरविंद केजरीवाल की राजनीति का केंद्र रहा है। मेदांता अस्पताल के मालिक डॉ. नरेश त्रेहन अन्ना हजारे के मंच पर भी मौजूद रहते थे। सरकारी डॉक्टर की बजाय वही अनशन के दौरान उनकी जांच करते थे। 13 दिन के अनशन के बाद अन्ना को मेदांता अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था। अन्ना यहां कई दिनों तक भर्ती रहे और उनकी तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्होंने लगभग जबर्दस्ती अस्पताल छोड़ दिया था, जिसके बाद वो खुद ही ठीक हो गए थे। उस वक्त भी शक जताया गया था कि कहीं ऐसा तो नहीं कि केजरीवाल अन्ना को मरवाना चाहते थे, क्योंकि उन्होंने आम आदमी पार्टी बनाने के फैसले का विरोध कर दिया था।
साढ़ू की मौत के बाद सबसे ज्यादा हैरानी तब हुई जब अरविंद केजरीवाल की पत्नी समेत आम आदमी पार्टी के कई नेताओं ने इस मसले पर सहानुभूति हासिल करने की कोशिश की। केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने ट्वीट कर कपिल मिश्रा को गाली तक दे डाली। उन्होंने लिखा कि “यह स्टुपिड (मूर्ख) आदमी मेरे ब्रदर-इन-ला पर आरोप लगा रहा है, जिनका निधन हो गया।” इसके अलावा भी आम आदमी पार्टी के कई नेताओं से बंसल जी का नाम लेने के लिए कपिल मिश्रा पर हमला किया और मौत के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने की भी कोशिश की। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने लिखा कि कपिल मिश्रा इतना गिर जाएंगे ये उन्हें पता नहीं था। जिस शख्स पर आरोप लगाया जा रहा है उसकी चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है।
My brother in law is no more n this stupid man is speaking all written script without any mind.
— Sunita Kejriwal (@KejriwalSunita) May 8, 2017
लगातार विवाद में रहे साढ़ू जी
कहते हैं कि केजरीवाल के सत्ता में आने के साथ ही सुरेंद्र बंसल ने नंबर दो की कमाई शुरू कर दी थी। एंटी करप्शन ऑर्गेनाइजेशन नामक एक एनजीओ के मुताबिक केजरीवाल ने साढ़ू सुरेंदर कुमार बंसल को 2014 से 2016 के बीच कई सरकारी निर्माण कार्यों का ठेका दिलाया। इनमें कई फर्जी कंपनियां बनाकर कागज पर करोड़ों का काम दिखाया गया और सरकार से पैसे लिए गए। इसी एनजीओ से जुड़े पत्रकार विप्लव अवस्थी का कहना था कि उन्होंने इस विभाग से जुड़े खर्चों पर डेढ़ सौ से ज्यादा आरटीआई डालीं, लेकिन एक का भी जवाब नहीं आया। जाहिर है सरकार इस मामले में सच छिपाने की कोशिश में है।
कैसे होगा साज़िश का खुलासा?
अगर सुरेंद्र कुमार बंसल की मौत स्वाभाविक नहीं है तो ये जरूरी था कि उनका पोस्टमार्टम किया जाता। अब जबकि अंतिम संस्कार हो चुका है यह साबित करना बेहद मुश्किल होगा कि उनकी मौत के पीछे कोई साजिश है। फिलहाल ये तभी हो सकता है जब कोई दूसरा गवाह या साक्ष्य सामने आ जाए। यह तय है कि उनकी मौत से 50 करोड़ रुपये के जमीन सौदे और पीडब्लूडी में फर्जी बिलों के घोटालों की जांच पर बुरा असर पड़ेगा। इससे किसे फायदा होगा यह समझना बहुत मुश्किल नहीं है। फिलहाल सोशल मीडिया पर लोग खुलकर इस बात को लिख रहे हैं कि बंसल की मौत पहली नजर में संदिग्ध हालात में हुई है और इसकी जांच कराई जानी चाहिए।