पूरा सच सामने आया हाफिज से वैदिक के ”इंटरव्यू” का
ISI ने आखिर लीक कर ही दिया आतंकी से वैदिक का पूरा इंटरव्यू
नई दिल्ली। पत्रकार वेद प्रताप वैदिक की आतंकी सरगना हाफिज सईद से मुलाकात चर्चा में है। हाफिद सईद के साथ वेदप्रताप वैदिक की मुलाकात की बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश आईएसआई ने अब लीक किए हैं। इस बातचीत में हाफिज ने वैदिक से कहा था कि भारत उन्हें आधिकारिक तौर पर आमंत्रित करे तो मोदी के पाकिस्तान आने पर किसी तरह की समस्या खड़ी नहीं की जाएगी। जब वैदिक ने सवाल किया, ‘यदि मोदी पाकिस्तान आते हैं तो मुझे उम्मीद है कि आप कोई समस्या खड़ी नहीं करोगे।’ इसके जवाब में सईद ने कहा, ‘आप यदि मुझे भारत आमंत्रित करते हो तो हमें भी उनके आने से कोई दिक्कत नहीं। अभी तक मैं कई लोगों को भारत भेजता रहा हूं, कई बार तो समुद्री रास्ते से भी, लेकिन बेहतर होगा जब आपका देश मुझे आधिकारिक तौर पर आमंत्रित करे।’
आईएसआई के मुताबिक पूरा इंटरव्यू इस प्रकार है-
सईदः मेरे धर्मार्थ और परोपकारी निवास पर आपका स्वागत है। मैंने सुना है कि आप बेहद महत्वपूर्ण शख्स हैं।
वैदिकः जी, अपने देश में मुझे वीआईपी कहा जाता है। मुझे यकीन है कि यहां भी ऐसा ही है।
सईदः हमारे यहां सभी वीआईपी आपके देश से ही तो हैं, दाऊद इब्राहिम, टाइगर मेनन, यासीन भटकल…
वैदिकः मैं यहां आपकी सोच को बदलने और आपको नई राह पर ले जाने के लिए आया हूं।
सईदः क्या यह ट्रेक टू डिप्लोमेसी है ?
वैदिकः यह आप कह सकते हैं यदि आप मेरे ट्रैक रिकॉर्ड को देंखें। मैं प्रसिद्ध पत्रकार हूं, इसीलिए पाकिस्तानी मीडिया इंटरव्यू के लिए मेरा पीछा करता है। मैं सत्ता के भी करीब हूं, इसीलिए दो ट्रैक हैं।
सईदः आप बिना टेप और नोटबुक के मेरे इंटरव्यू कर रहे हो, तो आज आप किस ट्रैक पर हैं। मैं केवल परोपकारिता कर रहा हूं। इससे मुझे याद आया
कुछ बिरयानी खा लेते हैं…
वैदिकः मैं यहां बिरयानी डिप्लोमेसी के लिए नहीं आया, मैं आपकी अप्रोच को बदलने की कोशिश कर रहा हूं। क्या आपने कभी योग किया है? मेरे गुरू बाबा रामदेव भी मेरे जितने ही फेमस हैं। योग भटके हुए लोगों के लिए चमत्कार कर सकता है।
मैं इसे वैदिक पोश्चर कहूंगा- आप लाल बनियान पहनिए और अपने चेहरे पर अंडा रखिए। इससे आप आलोचना से दूर हो जाओगे।
सईदः मेरे मेंटर ने कहा है कि मैं आपके सवालों के जवाब दूं, यह मुझे एक प्लेटफॉर्म देगा और मुझे इमेज सुधारेगा। आपके सवाल क्या हैं?
वैदिकः आपकी कितनी पत्नियां हैं? आप जानते हैं कि यदि आपकी एक से अधिक पत्नियां हैं तो इससे एक पोजिटिव संदेश जाता है। यदि कोई तीन पत्नियों को खुश रख सकता है तो जरूर उसने अपनी पिछली जिंदगी में कुछ अच्छा काम किया होगा। भारत में आपको आतंक के मास्टरमाइंड के तौर पर देखा जाता है।
सईदः पाकिस्तान कोर्ट ने मुझे क्लीन चिट दी है, आईएसआई मुझे सहारा देती है, क्योंकि पाकिस्तान सरकार को मेरी जरूरत है। मैं केवल सोशल वर्कर हूं जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।
वैदिकः और मैं केवल एक पत्रकार हूं, लेकिन भारत को लेकर आपका रवैया जाना-पहचाना है।
सईदः मैं भारतीयों को गले लगाता हूं, उन सभी को जो मुझसे मदद मांगने आते हैं, चाहे कश्मीर हो या पंजाब। जमात- उद- दावा उन लोगों के लिए एक ट्रेनिंग ग्राउंड जो जिंदगी में मकसद को पाना चाहते हैं या दिशा चाहते हैं। देशों की सीमाओं से परे जाते हुए भी मैं ऐसे लोगों को सही दिशा देता हूं।
वैदिकः अब हमारे पास एक ऐसा मजबूत नेता है जो किसी मसले पर दो टूक कहने से नहीं डरता है और आपके पीएम के साथ अच्छे संबंध भी हैं। वह सच में एक हीरा है। यदि वह पाकिस्तान आते हैं तो मुझे उम्मीद है कि आप कोई समस्या खड़ी नहीं करोगे।
सईदः आप यदि मुझे भारत आमंत्रित करते हो तो हमें भी उनके आने से कोई दिक्कत नहीं। अभी तक मैं कई लोगों को भारत भेजता रहा हूं, कई बार तो समुद्री रास्ते से भी, लेकिन बेहतर होगा जब आपका देश मुझे आधिकारिक तौर पर आमंत्रित करे। आपका कहना है कि आप नरेंद्र मोदी के करीबी हैं, शायद आप कुछ मदद करें।
वैदिकः वह (मोदी) शायद आपकी-मेरी मुलाकात के बाद खुश न हों।
सईदः ऐसा क्यों?
वैदिकः वह वर्ल्ड लीडर के साथ मीटिंग अटैंड कर रहे हैं। मैं आपके साथ यहां हूं और मैं (भारत जाकर) मोदी जी से ज्यादा खबरों में रहूंगा।
हाफिज सईद: मैं आपके लेख पढ़ता रहा हूं और आपके टीवी इंटरव्यू भी मैंने देखे हैं। अपने बारे में थोड़ा और बताइए।
वेदप्रताप वैदिक: मैं अखबार और एक न्यूज़ एजेंसी का संपादक रहा। विदेश नीति और अन्य विषयों पर लगभग दर्जन भर किताबें लिखी हैं। पिछले 50-55 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। आपके देश में पिछले 30-35 साल से बराबर आ रहा हूं। क्या आप मुझे अपने बारे में बताएंगे?
सईद: हां, क्यों नहीं। मेरा जन्म मार्च 1948 में हुआ। मेरे माता-पिता भारत से पाकिस्तान आए थे।
वैदिक: आप क्या बिहार के हैं, मुहाजिर ?
सईद: मेरी मां रोपड़ की थीं और पाकिस्तान आकर उन्होंने मुझे जन्म दिया। इस तरह मेरा भारत से भी संबंध है।
वैदिक: यदि भारत से संबंध है तो फिर यह बताइए कि आपने भारत पर ऐसे भयंकर हमले क्यों करवाए?
सईद: यह बेबुनियाद इल्जाम है। जब बंबई के ताज होटल की खबर मैंने टीवी पर देखी तो क्या देखा कि दो घंटे के अंदर ही अंदर मेरा नाम आने लगा। बार-बार आने लगा।
वैदिक: उसकी कुछ तो वजह होगी?
सईद: वजह बस एक ही थी। पिछली सरकार मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई थी। उसका गृहमंत्री रहमान मलिक मेरा दुश्मन था। उसने मुझे जबर्दस्ती गिरफ्तार कर लिया।
वैदिक: उनके पास कुछ ठोस सबूत जरूर रहे होंगे?
सईद: सबूत वगैरह कोई नहीं थे। उसे सिर्फ अमेरिका की गुलामी करनी थी। सरकार का दिवाला पिट रहा था। मुझे पकड़कर अमेरिका को खुश कर दिया और बड़ी मदद ले ली, लेकिन मैंने अदालत में सरकार को चारों खाने चित कर दिया।
वैदिक: ये आपकी अपनी अदालतें हैं। यदि ये अंतर्राष्ट्रीय अदालतें होतीं तो कुछ और बात होती। मैं आपसे पूछता हूं कि अल्लाहताला का कोई कानून आप मानते हैं या नहीं ?
सईद: क्यों नहीं मानता हूं? मैं तो जिहादी हूं।
वैदिक: क्या अल्लाहताला बेकसूरों की हत्या को जायज मान लेगा? उसकी अदालत में आप क्या जवाब देंगे?
सईद: मैं जिहादी हूं।
वैदिक: मैं तो ‘जिहादे-अकबर’ को मानता हूं। इस ऊंचे जिहाद का मतलब तो मैं यही समझता हूं कि इसमें हिंसा की कोई जगह नहीं है।
सईद: आप फिर मुझ पर इल्जाम लगा रहे हैं। मेरा दहशतगर्दी से कोई लेना-देना नहीं है। मैं हिंसा में विश्वास करता ही नहीं। मैं तो शुद्ध सेवा-कार्य करता हूं। मदरसे चलाता हूं, अनाथों की देखभाल करता हूं और देखिए अभी जो वजीरिस्तान से लाखों लोग भाग रहे हैं, उनकी सेवा सरकार से ज्यादा मेरे संगठन के लोग कर रहे हैं। आप चलें, खुद अपनी आंखों से देखें।
वैदिक: लेकिन आखिर संयुक्त राष्ट्र ने आपके संगठन को गैर-कानूनी क्यों घोषित किया है? अमेरिका ने आपके सिर पर करोड़ों का इनाम क्यों रखा है? भारत सरकार ने आपके खिलाफ ठोस सबूत देकर कई दस्तावेज़ तैयार किए हैं। उन सबका आपके पास क्या जवाब है?
सईद: (थोड़ा उत्तेजित होकर) जवाब क्या है? सारे जवाब मैं दे चुका हूं। क्या मेरे जवाबों से आप संतुष्ट नहीं हैं?
वैदिक: भारत के खिलाफ आप जबर्दस्त नफरत फैलाते हैं। मैंने खुद टीवी पर आपके भाषण सुने हैं।
सईद: और भारत जो हमारे कश्मीरी भाइयों की हत्या करता है, जो बलूचिस्तान और सिंध में दहशतगर्दी फैलाता है, वह कुछ नहीं? अफगानिस्तान को हमारे खिलाफ भड़काता है।
वैदिक: यह बिल्कुल गलत है। हम उस देश की दोस्ताना मदद करते हैं। हिंदुस्तान की जनता आपके नाम से नफरत करती है। मुंबई के रक्तपात को भुलाना मुश्किल है।
सईद: मैं हिंदुस्तानियों की गलतफहमी दूर करना चाहता हूं।
वैदिक: इसका तो एक ही तरीका है कि आप अपना जुर्म कबूल करें और उसकी उचित सजा मांगें। यह आपकी बहादुरी होगी। आप यह रास्ता नहीं अपना सकते हैं तो माफी मांगे।
सईद: (थोड़ी ऊंची आवाज में) मैंने जब कोई जुर्म ही नहीं किया तो इन सब बातों का सवाल ही नहीं उठता।
सईद: यह बताइए कि यह नरिंदर मोदी कैसा आदमी है? इसका आना समूचे दक्षिण एशिया के लिए खतरनाक नहीं है?
वैदिक: इसमें शक नहीं कि नरेंद्र मोदी बहुत सख्त आदमी हैं, लेकिन मोदी साहब ने अपने चुनाव-अभियान में किसी मुल्क के खिलाफ कुछ नहीं बोला। इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ कुछ नहीं बोला। देखिए, आते ही उन्होंने अपनी शपथ-विधि में पड़ोसी देशों और खासकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बुलाया।
सईद: क्या बुलाया? बुलाकर बेइज्जत कर दिया। आपकी विदेश सचिव ने कहा कि मोदी ने मियां नवाज को डांट लगाई?
वैदिक: मैंने मियां नवाज, आपके विदेश मंत्री और विदेश सचिव से भी यह पूछा तो उन्होंने ऐसी किसी बात से साफ इंकार किया। यह तो सिर्फ मीडिया की करतूत है।
वैदिक: हम मानते हैं कि भारत-पाक संबंधों की राह में आप सबसे बड़े रोड़े हैं। जरा संबंध सुधरते हैं कि कोई न कोई आतंकवाद की घटना घट जाती है।
सईद: मैं बिल्कुल भी रोड़ा नहीं हूं। आपकी यही गलतफहमी दूर करने के लिए मैं एक बार भारत आना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि दोनों मुल्कों के ताल्लुकात अच्छे बनें। हम दोनों मुल्कों की तहजीब एक जैसी है। मैं भारत के किसी बड़े जलसे में भाषण (तकरीर) देना चाहता हूं।
वैदिक: मुझसे पाकिस्तान में लोगों ने कहा कि मोदी साहब पाकिस्तान क्यों नहीं आते। अगर आएं तो क्या आप पत्थरबाजी करवाएंगे? प्रदर्शन करेंगे? विरोध करेंगे?
सईद : (थोड़ा रुककर) नहीं, नहीं, हम उनका स्वागत (इस्तकबाल) करेंगे।
उत्तेजित हुआ लेकिन बौखलाया नहीं सईद-
हाफिज सईद के साथ बातचीत के दौरान मुझे इस बात का बहुत आश्चर्य हुआ कि वह मेरे तीखे सवालों से थोड़ा उत्तेजित तो हुआ, लेकिन बौखलाया बिल्कुल भी नहीं। इतना भयंकर आतंकवादी संयमित कैसे रह सका? शुरू-शुरू के पांच-सात मिनट मुझे ऐसा जरूर लगा कि वातावरण बहुत तनावपूर्ण है और कहीं ऐसा न हो कि बात एकदम बिगड़ जाए। अनेक बंदूकधारी कमरे के बाहर और अंदर भी खड़े थे। मैं ऐसे दृश्य अफगानिस्तान में प्रधानमंत्री हफीजुल्लाह अमीन के साथ भी 35 साल पहले देख चुका हूं। घंटे भर की बातचीत में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन तू-तू, मैं-मैं की नौबत नहीं आई। किन्हीं फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल नहीं हुआ। सारी बातचीत के बाद मुझे लगता है कि हाफिज सईद का व्यक्तित्व एक पहेली है। बातचीत खत्म होने के बाद वह मुझे कार तक छोड़ने आया।