मुख्यमंत्री का छोटा बयान भी बन जाता है अखबार के प्रथम पृष्ठï की लीड

akhilesh ka bayan
गत्ï दिनों लखनऊ से लांच हुए मिड डे एक्टिविस्ट जहां अपनी कई सारी कारगुजारियों को लेकर चर्चा में रहा और हमेशा यह दंभ भरता रहा कि देश के सबसे ईमानदार पत्रकारों द्वारा चलाया जाने वाला अखबार मिड डे एक्टिविस्ट है। लेकिन चाटुकारिता और खबर चोरी की सारी हदें इस अखबार ने पार कर दीं। प्रथमत: तो यह है कि जो अखबार प्रदेश से रजिस्टर्ड भी नहीं है उस अखबार को आखिर किस मजबूरी के तहत दो फुल पेज ऐड दिए गए। अभी गत्ï दिनों एक खबार सुर्खियों में आई थी कि केंद्र सरकार सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जेड प्लस सिक्योरिटी वापस ले सकती है। यह खबर बड़ी खबर थी और चैनलों से लेकर प्रिंट मीडिया तक प्रथम पृष्ठï की गरिमा बनी, लेकिन पहली बार यह भी देखने को मिला कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक छोटा सा वक्तव्य दिया कि सिक्योरिटी नहीं होगी तब भी मैं चलता रहूंगा। उनके इस बयान को मिड डे एक्टिविस्ट अखबार ने अपने प्रथम पृष्ठï की लीड के तौर पर लोगों के सामने प्रस्तुत किया। खबर की प्रस्तुतिकरण से ही साफ हो गया कि यह अखबार आने वाले समय में अखबारी गरिमा की धज्जियां बेखौफ उड़ाता दिखेगा। यह चाटुकारिता की ही तो निशानी है कि मुख्यमंत्री कुछ भी बोल दें उसे अखबार के प्रथम पृष्ठï पर लीड बना दिया जाए। मैं अखबार के संपादक से जानना चाहता हूं कि आपका अखबार मिड डे एक्टिविस्ट क्या सामाजिक सरोकार का अखबार है या समाजवादी पार्टी का मुखपत्र। ऐसा नहीं है कि इस तरह की चाटुकारिता इस अखबार में आज पहली बार हुई। इसके पहले भी जिस दिन यह अखबार लखनऊ के गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठïान में लांच हुआ उस दिन भी लांचिंग कार्यक्रम में जिस तरह से समाजवादी पार्टी जिंदाबाद, अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगते रहे उससे भी हर किसी को यही लगा था कि यह सामाजिक सरोकार का अखबार न होकर समाजवादी पार्टी का मुखपत्र है।

एच पी सिंह के फेसबुक वॉल से सभार

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