दारापुरी, सिद्धार्थ रामू और श्रवण निराला की रिहाई को लेकर वाराणसी और चंदौली में प्रदर्शन
सरकार उत्तर प्रदेश में अपने राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं को फर्जी मामलों में फंसा कर दमन के जरिए समूचे विपक्ष को चुप कराना चाहती है। एस आर दारापूरी, सिद्धार्थ रामू और श्रवण कुमार निराला को इसी मकसद के तहत फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भेजा गया। 307 जैसे मुकदमे थोपे गए हैं जो कि बेहद शर्मनाक है
गोरखपुर में पूर्व आईजी एस आर दारापुरी, पत्रकार सिद्धार्थ रामू और अम्बेडकर जनमोर्चा के श्रवण कुमार निराला सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं कि अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ वाराणसी में शास्त्री घाट कचहरी से जिला मुख्यालय तक जुलूस निकालकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया और सभी की तत्काल रिहाई की मांग की गई। वहीं चंदौली में दारापुरी, सिद्धार्थ रामू और श्रवण कुमार निराला की रिहाई की मांग को लेकर सपा, माकपा, भाकपा, आईपीएफ और नागरिक समाज का प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिला और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा।
वाराणसी में विरोध प्रदर्शन पूर्वांचल बहुजन मोर्चा, कम्युनिस्ट फ्रंट और PS4 के संयुक्त बैनर तले किया गया। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जमीन की मांग और जमीन के लिए आंदोलन- खासकर दलित के लिए जमीन का आंदोलन- संविधान के अनुरूप है और 100 फ़ीसदी जायज़ है। ऐसे में हर दलित-भूमिहीन को जमीन देने के बजाए सरकार इस आंदोलन को दमन के बल पर दबा देना चाहती है जो कि संभव नहीं है।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार उत्तर प्रदेश में अपने राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं को फर्जी मामलों में फंसा कर दमन के जरिए समूचे विपक्ष को चुप कराना चाहती है। एस आर दारापूरी, सिद्धार्थ रामू और श्रवण कुमार निराला को इसी मकसद के तहत फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भेजा गया। 307 जैसे मुकदमे थोपे गए हैं जो कि बेहद शर्मनाक है।
वक्ताओं ने कहा कि पूरे प्रदेश में योगी सरकार उल्टे भूमि सुधार की तरफ बढ़ गई है। जमीनों को इकट्ठा करके कॉर्पोरेट के हवाले किया जा रहा है जबकि उत्तर प्रदेश को मुकम्मल भूमि सुधार की जरूरत है। ‘हर दलित-भूमिहीन के लिए जमीन’ का कानून बनाने की जरूरत है। हर दलित-आदिवासी को एलाट पट्टे पर कब्जा दिलाने व वन अधिकार कानून को ईमानदारी से लागू करने की जरूरत है।
लेकिन यह सब करने की बजाए योगी सरकार जमीनों को गरीबों से छीन लेने की शर्मनाक कवायद कर रही है और जो लोग इसके लिए लड़ रहे हैं उनका दमन किया जा रहा है।
जुलूस और सभा में मुख्य रूप से अनूप श्रमिक, डॉ छेदीलाल निराला, मनीष शर्मा, सुक्खू मरावी, प्रेम प्रकाश यादव, राम दुलार, सागर गुप्ता, शहजादी ध्रुव (दिशा), विनय (बीएसएम), ज़ुबैर खान, करीम रंगरेज आदि उपस्थित थे
चंदौली में डीएम के जरिए राष्ट्रपति को भेजा गया ज्ञापन
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी, पत्रकार सिद्धार्थ रामू और सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार निराला समेत सभी निर्दोष लोगों की गोरखपुर में की गई गिरफ्तारी के खिलाफ चंदौली में सपा, माकपा, भाकपा, आईपीएफ व नागरिक समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी चंदौली के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया को पत्र भेजा। राष्ट्रपति से सभी लोगों की तत्काल रिहाई की मांग की गई।
पत्र में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में अपने राजनीतिक विरोधियों खासतौर पर जो लोग जनमुद्दों जैसे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेत मजदूर और गरीब किसानों के लिए जमीन के अधिकार के सवाल को उठाते हैं उनका हर तरह से प्रशासनिक उत्पीड़न कर रहा है। इसी सोच के तहत एस.आर दारापुरी, सिद्धार्थ रामू और श्रवण कुमार निराला जैसे अन्य लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
पत्र में कहा है कि दारापुरी, सिद्धार्थ रामू, श्रवण कुमार निराला और अन्य की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि उत्तर प्रदेश सरकार को राजनीतिक मान्यता और मर्यादा की कतई परवाह नहीं है और सीधे-सीधे कानून सम्मत कार्रवाई की जगह अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर शासन करती है।
अन्यथा कोई कारण नहीं है कि 10 अक्टूबर 2023 को कमिश्नरी प्रांगण में शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई सभा को सम्बोधित करने वाले दारापुरी जैसे जिम्मेदार नागरिक को दूसरे दिन गिरफ्तार करके आईपीसी की धारा 307 के तहत जेल भेजा जाता है। उन्हें विदेशी ताकतों से सांठ गांठ करने वाले के बतौर भी पेश करने की कोशिश हो रही है जबकि उनकी नागरिकता और देशभक्ति की प्रमाणिकता दशकों तक बतौर आईपीएस अधिकारी की भूमिका निभाने में दर्ज है।
पत्र में कहा गया है कि 10 अक्टूबर को मजदूरों और दलितों के भूमि अधिकार के सरोकार को लेकर जो आम सभा बेहद शांतिपूर्ण वातावरण में हुई उसके आयोजन और सम्बोधन करने वालों को 307 जैसे अपराध में गिरफ्तार किया गया और 82 वर्षीय दारापुरी जो पार्किंसन जैसी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें जेल भेज दिया गया। लोकतंत्र के लिए चीजें कितनी भयावह होती जा रही हैं वह इसी बात से साफ होता है कि सरकार के उच्च ओहदों पर बैठे हुए लोगों के निर्देशन पर बिना तथ्य और प्रमाणिकता के आधार पर गम्भीर आपराधिक मुकदमे लगाए गए और जेल भेज दिया गया।
प्रतिनिधिमंडल में सपा के जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राय, माकपा जिला सचिव शम्भु नाथ यादव, भाकपा जिला सचिव शुकदेव मिश्रा, आईपीएफ जिला संयोजक अखिलेश दुबे, आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय, पूर्व जिला पंचायत सदस्य तिलकधारी बिंद, नागरिक समाज के शमीम मिल्की, इंद्रजीत शर्मा, सपा के जिला सचिव सुदामा यादव, मुगलसराय विधानसभा अध्यक्ष अंसारी, बैजनाथ यादव, प्रेमनाथ तिवारी,विजयी यादव सहित कई पार्टियों के नेता शामिल रहे।
सीपीआई (एमएल) के गोरखपुर इकाई के नेताओं ने पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर जेल में बंद लोगों की तत्काली रिहाई की मांग की है। उन्होंने महानिदेशक को दिए गए एक ज्ञापन में कहा कि जिला प्रशासन की यह कार्यवाही जिले में आम लोगों में भय एवं दहशत फैला रही है और मामले को निर्मूल और फर्जी तथ्यों के आधार पर सनसनीखेज बनाकर तनाव पैदा कर रही है। और गोरखपुर को बदनाम कर रही है।इस पर रोक लगाई जाए।
प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि धरने के 1 दिन बाद पूर्व आईजी 80 वर्षीय एस आर दारापुरी को गिरफ्तार किया गया, डॉ. सिद्धार्थ रामू, अंबेडकर जन मोर्चा के संयोजक श्रवण कुमार निराला सहित अन्य बुद्धिजीवी सजग एवं प्रबुद्ध नागरिक हैं और संविधान में प्रदत्त अधिकार के तहत जायज मांग के समर्थन में आए थे, इन पर फर्जी आरोप लगाकर जेल भेजना न्याय का गला घोटना है, इनको तत्काल रिहा किया जाए। उन्होंने कहा कि धरना देने व जायज मांग करने पर 10-/10/ 2023 को दर्ज सभी मुकदमे वापस लेते हुए जेल में कैद सबको रिहा किया जाए।
इसके साथ ही उन्होंने ग्रामीणों की मांग के अनुसार पात्र गरीबों को एक एकड़ जमीन दिए जाने की भी मांग की।
उनका कहना था कि विदेशी नागरिक की उपस्थिति दिखाकर संविधान सम्मत जायज मांग करने की कार्यवाही को दमन की मंशा से दूसरी दिशा दिए जाने पर तत्काल रोक लगाया जाए। प्रतिनिधिमंडल की अगुआई जिले के संयोजक राजेश साहनी कर रहे थे।