शराफ़त से जीना क्या वाकई में मुश्किल है ! (परवेज़ अख़्तर ने जिस खबर को लेकर अपनी बात bhadas4journalist को भेजी है उसे भी bhadas4journalist ने पूरे सम्मान के साथ लगाया है)

है ना कमाल की बात
मैं अपराधी भी हूं इस बात की मुझको ही ख़बर नहीं!!
मेरे ऊपर संगीन धाराओं में मुक़दमे दर्ज़ हैं, इस बात की मुझको ही ख़बर नहीं!!

पिछले 18 वर्षों की पत्रकारिता में मैंने समाजिक मुद्दों की खबरों के साथ साथ उसके निस्तारण करवाने तक को ही पत्रकारिता जाना है, और किया है। इन 18 सालों में 18 रुपए का भी मेरे ऊपर आरोप नहीं है, क्योंकि मैं दलाली मक्कारी और घृणित कार्यों से हमेशा दूर रहा हूं। मेरे अब तक के नौ सौ आर्टिकल में मैंने जो भी लिखा है दिल से लिखा मैं क्या हूं मेरे आर्टिकल से भी मुझको महसूस किया जा सकता है। अल्लाह का शुक्र है, मदद के लिए मेरे पास रात 2 – 3 बजे भी अगर फ़ोन आ जाता है, भले ही किसी अनजान शक्स का ही क्यों ना हो मेरी पूरी कोशिश रहती है कि उस शक्स के काम आऊं।
इसके अलावा लोगों के थाने स्तर से लेकर अन्य विभागों के भी ऐसे काम रहते हैं, जिसमें हम खूब अच्छे से पैसे कमा सकते हैं, पर चूंकि मैंने हमेशा सीधी और सच्ची ज़िंदगी जी है, और हराम हलाल का हमेशा ध्यान रखा, किसी ने मिठाई फल खिला दिया हो तो उसकी कसम नहीं खा सकते, पर किसी से चार आने तक नहीं लिए हैं, उसकी कसम खा सकते हैं। बहुत सारे ऐसे नेक काम अल्लाह हमसे लेता है, जिसको मैं कभी पब्लिश ही नहीं करता हूं। हर इन्सान किसी की नज़र में अच्छा तो किसी की नज़र में बुरा हो सकता है, मैं भी किसी की नज़र में बहुत अच्छा हूं तो किसी की नज़र में बुरा हूं। अभी तक जितने भी मेरे जानने वाले हैं फ़्लैश बैक में जाकर पूरी तरह अपने दिमाग़ पर ज़ोर देकर सोचें और बताएं कि मैंने कब किसके साथ बुरा किया है?? हां कुछ जगहों पर मेरी तरफ़ से मत भेद तो हो सकते हैं, पर मेरे दिल में कभी भी किसी के लिए मैल या नफ़रत नहीं रही है, कोई बात बुरी लगी भी है, तो तुरन्त ही कह कर बात साफ़ कर लेते हैं,
इसके अलावा किसी ने भी मेरी किस जगह पर अपराधिक छवि वाली हरकत देखी हो तो बताएं।
जानबूझ कर तो बहुत दूर की बात है,,, मैंने अनजाने में भी किसी का बुरा नहीं किया है,,, और ना ही कभी किसी से हराम कमाया है, सिर्फ़ मान सम्मान को ही सर्वोपरि माना है, और वही कमाया है,
और जब बात सम्मान पर भी आ जाए, तो हालात बेचैन कर देते हैं। जैसा कि एच.एस इदरीसी इस बात के लिए ही मशहूर हैं कि वे अभी तक के अपने पत्रकारिता के जीवन में सिर्फ़ और सिर्फ़ लोगों की बुराइयों को ही लिखते हैं, और पूरी कोशिश करते हैं कि सामने वाले का किस प्रकार बुरा किया जाय, और इसी क्रम में मेरे लिए भी लिखा है, अब इस बारे में मेरी क्या प्रतिक्रिया होगी इस पर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी।
बस ख़बर के माध्यम से हम एच.एस इदरीसी से यही कहना चाहेंगे कि जब तक कोई साक्ष्य न हों किसी भी शरीफ़ आदमी पर व्यर्थ इल्ज़ाम लगाना बंद करें।
अन्यथा हम लोग तो इंसानियत के नाते शायद न बोलें, पर ऊपर वाला सब देख रहा है, और उसकी लाठी में आवाज़ भी नहीं होती है।

परवेज़ अख़्तर ✍️

 

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