रेखा और राजेन्द्र गौतम के ब्लैकमेलर और काली कमाई के शाब्दिक अर्थ हेतु कानूनी नोटिस

भड़ास द्वारा सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित की गई तो राजेंद्र गौतम की कलम चलना स्वाभाविक था और राजेंद्र गौतम की कलम जब चलती है तो जो शब्दावली निकलती है वह कभी पत्रकार को ठग बताती है तो किसी पत्रकार को जालसाज़ और भड़ास फॉर जर्नलिस्ट  की टीम को ब्लैकमेलर बता कर पुलिस की काली कमाई का अनोखा उदाहरण दे डाला जिसको जानने समझने के लिए राजेंद्र गौतम और उनकी टीम से लगातार संपर्क किया जाता रहा लेकिन जब कोई सफलता हासिल नहीं हुई तो भड़ास टीम ने राजेंद्र गौतम द्वारा अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले इन शब्दों के सही रूप और परिभाषा को जानने के लिए कानूनी नोटिस का सहारा लिया।

ठग, जालसाज़, 420, काली कमाई, नकली पोर्टल शब्दावली हेतु खिलाड़ी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, भगौड़े संजय पूरबिया भी आएंगे कानूनी दायरे में

पत्रकारिता के सिद्धांतों को राजेंद्र गौतम द्वारा किस तरह से पालन किया जाता है इसका उदाहरण है उनके द्वारा खबर को सनसनी खेज  बनाकर निष्पक्ष दिव्य संदेश के पोर्टल पर न सिर्फ भड़ास बल्कि उनके परिवार के सदस्यों के लिए मानहानिकारक, अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए पूरे समाज मे अपमानित करने का हर संभव प्रयास किया गया है जिसके लिए कानूनी नोटिस तो दी गई है, लेकिन आखिर ब्लैकमेलर, जालसाज़, ठग, जैसे शब्दों का राजेंद्र गौतम द्वारा क्यों प्रयोग किया जाता है यह युवा वर्ग के पत्रकार के लिए उत्सुकता बनी हुई है और संभवत इस नोटिस के माध्यम से राजेंद्र गौतम द्वारा यह बताया जाएगा कि वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी ठग कैसे, के. विक्रम राव जालसाज़ कैसे, अनूप गुप्ता 420 कैसे और भड़ास की टीम ब्लैकमेल और काली कमाई से किस तरीके से चलती है ।

राजेंद्र गौतम
ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश की मीडिया की दुनिया में कम समय में लाखों करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने वाले युगल दंपति रेखा गौतम और राजेंद्र गौतम जहां एक तरफ युवा वर्ग के लिए अपनी पहचान बना रहे हैं वही इस ऊंचाई और सफलता को पाने के लिए उनके संघर्षों और उनकी तपस्या की दास्तान को सिलसिलेवार bhadas4journalist द्वारा प्रकाशित किया गया, हालांकि bhadas द्वारा पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों का पालन करते हुए ना तो कोई शब्दावली में हिलाहवाली की गई और ना ही ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया जिसे पाठकों का आकर्षण समाचार के प्रति जागे। सच्चाई और जमीनी धरातल की बुनियाद पर सिलसिलेवार हॉकर से बने पत्रकार के परिश्रम और मेहनत को युवा वर्ग के सामने लाना इसलिए भी आवश्यक हो गया था कि कम समय में मीडिया जगत की चकाचौध और ग्लैमर को देखकर कहीं युवा वर्ग भटक न जाए और पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों से अलग एक ऐसी राह पकड़ ले जिस पर कामयाब न हो पाए और जेल की सलाखों के पीछे जिंदगी गुजारनी पड़ती है या बदनामी का एक ऐसा दाग लग जाता है कि जिसे छुड़ा पाना बड़ा मुश्किल होता है।

राजेंद्र गौतम की तिकड़म से चलता है तिजारत का लाखों…

राजेंद्र गौतम द्वारा जातियों के आधार पर पत्रकारिता को कलंकित…

Yellow Journalism की आरोपित हैं संपादिका रेखा गौतम, कानूनी नोटिस…

राजेंद्र गौतम का भी सफर आसान नहीं था लेकिन जिस शब्दावली को अपनी खबरों में डाला जाता है और प्रशासनिक अधिकारियों के संबंध में खबर लिखने का सिलसिला दिखाया जाता है और उसके बाद न सिर्फ खबरें गायब हो जाती हैं बल्कि प्रशासनिक अधिकारी के साथ उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाने लगती है, यह गुण युवा वर्ग के पत्रकारों को सीखना भी अति आवश्यक है।

भड़ास द्वारा सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित की गई तो राजेंद्र गौतम की कलम चलना स्वाभाविक था और राजेंद्र गौतम की कलम जब चलती है तो जो शब्दावली निकलती है वह कभी पत्रकार को ठग बताती है तो किसी पत्रकार को जालसाज़ और भड़ास फॉर जर्नलिस्ट  की टीम को ब्लैकमेलर बता कर पुलिस की काली कमाई का अनोखा उदाहरण दे डाला जिसको जानने समझने के लिए राजेंद्र गौतम और उनकी टीम से लगातार संपर्क किया जाता रहा लेकिन जब कोई सफलता हासिल नहीं हुई तो भड़ास टीम ने राजेंद्र गौतम द्वारा अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले इन शब्दों के सही रूप और परिभाषा को जानने के लिए कानूनी नोटिस का सहारा लिया।

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हॉकर से पत्रकार बने राजेंद्र गौतम को निचले स्तर पर…

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कानूनी नोटिस रेखा गौतम, राजेंद्र गौतम, उनके सहयोगी खिलाड़ी विशेषज्ञ ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी और न्यायालय द्वारा भगोड़ा घोषित संजय पुरबिया उर्फ संजय श्रीवास्तव को जारी की गई है। युगल दंपति संजय पूरबिया और दिव्या श्रीवास्तव की कहानी राजेंद्र गौतम दंपति से कुछ ना कुछ मिलती-जुलती जरूर है क्योंकि सूत्रों की माने तो राजेंद्र गौतम हॉकर से पत्रकारिता जब सीख रहे थे तो संजय पुरबिया ने शब्दावली से लेकर पत्रकारिता के अनेक गुण भी सिखाये हैं जिसके चलते आज संजय पूरबिया और उनकी पत्नी को न्यायालय द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया है और इनके विरुद्ध अन्य मुकदमे भी न्यायालय में लंबित है।

कानूनी नोटिस के माध्यम से रेखा गौतम और राजेंद्र गौतम से यह जानने की कोशिश की है कि आखिर नाम कैसे शर्मिंदा होता है और वह कौन से काले कारनामे हैं जिनकी जानकारी राजेंद्र गौतम को तो है लेकिन भड़ास की टीम को नहीं है, राजेंद्र गौतम द्वारा भड़ास फॉर जर्नलिस्ट को डीटीपी ऑपरेटर किन अभिलेखों और किन माध्यम से बताया गया है जबकि स्वयं डीएनए अखबार में राजेंद्र गौतम एक सामान्य रिपोर्टर के तौर पर कार्य थे तब उनके सीनियर सब एडिटर के रूप में भड़ास4जनरलिस्ट के मुख्य कर्ताधर्ता कार्यरत थे।

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राजेंद्र गौतम द्वारा नकली वेबसाइट का जो खुलासा किया गया है उसकी जानकारी भी आवश्यक है, आखिर कैसे यह वेबसाइट नकली बनती है ताकि युवा पीढ़ी इसको समझ सके, वही राजेंद्र गौतम ने व्हाट्सएप के जरिए समाचार पत्र आई वॉच के संबंध में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तो उनको अवगत करा दिया गया था कि ऐसा कोई समाचार पत्र न तो प्रकाशित किया जा रहा है और न ही वार्षिक विवारंटी भारत सरकार के पंजीयक कार्यालय में प्रेषित की गई है परंतु पत्रकारिता के सिद्धांतों को राजेंद्र गौतम द्वारा किस तरह से पालन किया जाता है इसका उदाहरण है उनके द्वारा खबर को सनसनी क्षेत्र बनाकर निष्पक्ष दिव्य संदेश के पोर्टल पर न सिर्फ भड़ास बल्कि उनके परिवार के सदस्यों के लिए मानहानिकारक, अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए पूरे समाज मे अपमानित करने का हर संभव प्रयास किया गया है जिसके लिए कानूनी नोटिस तो दी गई है, लेकिन आखिर ब्लैकमेलर, जालसाज़, ठग, जैसे शब्दों का राजेंद्र गौतम द्वारा क्यों प्रयोग किया जाता है यह युवा वर्ग के पत्रकार के लिए उत्सुकता बनी हुई है और संभवत इस नोटिस के माध्यम से राजेंद्र गौतम द्वारा यह बताया जाएगा कि वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी ठग कैसे विक्रम राव जालसाज़ कैसे,अनूप गुप्ता 420 कैसे और भड़ास की टीम ब्लैकमेल और काली कमाई से किस तरीके से चलती है ।

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