लखनऊ सूचना विभाग के अजब-गजब कारनामे : मान्यता रद्द होने के बाद भी सरकारी आवासों पर काबिज हैं पत्रकार
जानकार सूत्रों का कहना है कि कई पत्रकार तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने अनुदानिद मकानों और प्लॉटों को महंगे दामों में बेच भी दिया है। इतना ही नहीं कई पत्रकार ऐसे हैं जो करोड़पति हैं। लखनऊ में उनके कई विशालकाय निजी आवास हैं, इसके बावजूद वे सरकारी मकानों पर कुण्डली जमाकर बैठे हैं। इनमें से कई पत्रकारों ने सत्ता और शासन में अपनी मजबूत पकड़ के बलबूते अपने रिश्तेदारों के नाम पर लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास की कई योजनाओं में कई-कई प्लाट और आवास आवंटित करवा लिए हैं।
कुछ पत्रकारों की मान्यता समाप्त हो चुकी है इसके बावजूद मकान उन्हीं के कब्जे में हैं। ओसीआर विधायक निवास पर तैनात राज्य सम्पत्ति विभाग के एक कर्मचारी का दावा है कि इन आवासों में ज्यादातर मूल आवंटी नहीं रहता। ज्यादातर मकान किराए पर उठे हुए हैं। कुछ मकान तो महज शराबखोरी और ऐयाशी के लिए ही आवंटित कराए गए हैं। इस कर्मचारी का कहना है कि इस बात की जानकारी सम्बन्धित विभाग के शीर्ष अधिकारी को भी दी जा चुकी है लेकिन आज तक किसी भी पत्रकार के मकान की न तो औचक जांच की गयी और न ही गैर-कानूनी ढंग से रह रहे पत्रकारों से मकान ही खाली करवाया जा रहा है।
नेता, मंत्री और नौकरशाही के भ्रष्टाचार को उजागर करते-करते लखनउ के पत्रकार भी अब भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगा रहे हैं। अनेकों बार राजनीति घरानों से लेकर नौकरशाहों तक ने मीडिया के भ्रष्टाचार पर उंगली उठायी है। एक प्रशासनिक अधिकारी ने तो इस संवाददाता से यहां तक कहा कि पत्रकार अपने मकानों के आवंटन के घिघियाता है। निश्चित तौर पर मीडिया के लिए यह शर्मनाक स्थिति है। इन अधिकारी का कहना है कि समाज और सरकार के बीच सेतु का काम करने वाले कुछ पत्रकारों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रतिष्ठित पेशे को बदनाम कर रखा है। चौंकाने वाली बात यह है कि शासन भी ऐसे पत्रकारों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने के मूड में नहीं है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि कई पत्रकार तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने अनुदानिद मकानों और प्लॉटों को महंगे दामों में बेच भी दिया है। इतना ही नहीं कई पत्रकार ऐसे हैं जो करोड़पति हैं। लखनऊ में उनके कई विशालकाय निजी आवास हैं, इसके बावजूद वे सरकारी मकानों पर कुण्डली जमाकर बैठे हैं। इनमें से कई पत्रकारों ने सत्ता और शासन में अपनी मजबूत पकड़ के बलबूते अपने रिश्तेदारों के नाम पर लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास की कई योजनाओं में कई-कई प्लाट और आवास आवंटित करवा लिए हैं।
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