कभी माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव की बेहद करीबी रहीं पत्रकार ममता त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट से राहत

इलाहाबाद हाई कोर्ट के 11 सितंबर के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 120 बी, 420 (धोखाधड़ी) और 501 (मानहानी) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 के तहत उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

वरिष्ठ पत्रकार ममता त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहत मिलने की खबर है. त्रिपाठी पर आरोप था कि उन्होंने दैनिक भास्कर में यूपी सरकार के कामकाज संबंधी एक वीडियो रिपोर्ट की थी, जिसे लेकर मामला दर्ज किया गया था.

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि त्रिपाठी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. साथ ही अदालत ने त्रिपाठी पर दर्ज एफआईआर रद्द करने के लिए राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है.

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त्रिपाठी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 11 सितंबर के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 120 बी, 420 (धोखाधड़ी) और 501 (मानहानी) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 के तहत उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था.
इससे पहले 3 मई को तलब किया गया था. जिसके बाद त्रिपाठी हाई कोर्ट गई थीं और वहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई. इसके बाद त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

बार एंड बेंच डॉट कॉम में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पूरी परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम अदालत ने राज्य से जवाब मांगा लेकिन त्रिपाठी के पक्ष में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया. अब मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

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