मानवाधिकार आयोग करेगा जनसंदेश टाइम्‍स कर्मियों के उत्‍पीड़न की जांच

jansandesh

जनसंदेश टाइम्‍स के कर्मचारियों के उत्‍पीड़न मामले को मानवाधिकार आयोग ने अपने संज्ञान में ले लिया है। कर्मचारियों के कई महीने से बकाये वेतन और बिना बकाया चुकता किये मनमाने तरीके से निकाले जाने को लेकर मिली शिकायत को संज्ञान में लेते हुए राष्‍टृीय मानवाधिकार आयोग ने मामला 172302/सीआर/2014 पंजीकृत करते हुए आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे जनसंदेश कर्मियों को न्‍याय मिलने की उम्‍मीद जगी है। गौरतलब है कि जनसंदेश टाइम्‍स में इस समय मालिकों की हिटलरशाही चल रही है। कर्मचारियों को कई महीनों से तनख्‍वाह नहीं दी गयी है। पीएफ का पैसा भी मार्च के बाद नहीं जमा किया गया है। इसके बावजूद कर्मचारियों पर रौब गांठी जा रही है।
यदि किसी ने वेतन मांगने की भूल कर दी तो अगले दिन उसे बिना बकाया अदा किये बाहर होने का फरमान सुना दिया जा रहा है। अखबार में न कोई नियम है और न कोई कानून। डाइरेक्‍टर रितेश अग्रवाल के आदेश का वेदवाक्‍य की तरह पालन हो रहा है। दर्जनों कर्मी पूर्व में कोई सूचना दिये बिना काम से रोक दिये गये। उनका कई माह का बकाया वेतन भी नहीं दिया गया। अब वे अपने बकाये वेतन के लिए रोज आफिस की दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन उनसे कोई सीधे मुंह बात तक नहीं कर रहा है। तीन नवंबर को रोहनियां स्थित प्रेस अचानक बंद कर दिया गया। दर्जनों गरीब कर्मी एक झटके में सड़क पर आ गये। अब वे कर्मी न्‍याय के लिए श्रम कार्यालय का चक्‍कर लगा रहे हैं। इस बीच मानवाधिकार आयोग द्वारा मामला पंजीकृत करने से उम्‍मीद जगी है कि शीघ्र ही कर्मचारियों को न्‍याय एवं मालिकों की हिटलरशाही पर लगाम लगेगी।

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