आँखे खोलो-मुँह खोलो-कुछ बोलो …
इस वीडियो को देखिये। य मौका था दिल्ली मे पत्रकारों के साथ बदसलूकी के खिलाफ हजरतगंज स्थिति गाँधी प्रतिमा के नीचे विरोध प्रदर्शन का। इस तरह का मुजाहिरा पत्रकार एकता और एकजुटता की दलील भी देता है। लेकिन यहाँ का मंजर तो मकसद से विपरीत पत्रकारों के मतभेद, खंडित होने और बिखराव के साथ पत्रकार खुद बदसलूकी का शिकार होता दिखाई दिया।
दो के बीच जमकर हुयी तकरार मे एक वरिष्ठ था और एक उनसे काफी कनिष्ठ।
एक युवा और एक बुजुर्ग, (सम्मानित, जाने-पहचाने और राष्ट्रीय स्तर की ट्रेड यूनियन के संस्थापक अध्यक्ष। )
दो पीढ़ियों के पत्रकारों के हुजूम के बीचो-बीच दो पीढ़ियों के इन दो पत्रकारों की तकरार मे दोनों मे कोई एक गलत और कोई एक सही होगा।
जो सही है वो गलत के आगे बदसलूकी का शिकार हुआ होगा।
ये फैसला इस तकरार के बीच बैठे जिम्मेदार पत्रकारों को तो करना ही होगा।
यहां छोटा-बड़ा, जूनियर-सीनियर, ताकतवर-कमजोर,
मजबूत संगठन वाला, प्रभावशाली राजनेताओं से मजबूत पकड़ वाला
या अकेला तन्हा।
इस आधार पर कतई नही।
आपका फैसला दूसरे की ताकत के पैमाने पर भी नही। सच या झूठ, गलत या सही के बीच होगा । इस बात का विश्वास और अपेक्षा भी है।
मोहम्मद कामरान ifwj के राष्ट्रीय पार्षद चुने गयै है। उन्होने दर्जनो बार ifwj के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के विक्रम राव और upwju के अध्यक्ष श्री हसीब सिद्दीकी से यूनियन के संविधान की जानकारी के लिये इन लोगो से यूनियन के कार्यालय मे सम्पर्क किया। कई बार ई-मेल के जरिये संविधान माँगा। ये महत्वपूर्ण सवाल किया कि यूनियन के चुनाव बिना वोटरो/ सदस्यो को किसी भी प्रकार की सूचना दिये बिना कैसे हो जाते है ? अगर सूचना दी जाती है तो किस माध्यम से दी जाती है ? जब इन सवालों का जवाब नही मिला तब कामरान जी ने सार्वजनिक तौर पर पत्रकारों के समक्ष सवाल पूछने की कोशिश की। बाकी सब आपके सामने ( इस वीडियो मे दिखाई दे रहे कुछ अंश) है।
राव साहब कह रहे हैं कि सबकुछ ifwj की website मे मौजूद है।
पत्रकार भाइयों अब आपके लिये फैसला करना बहुत आसान है।
यदि कामरान जी के सवालो का हर जवाब ifwj की website मे मौजूद है। तो आपको कामरान को गलत ठहराना पड़ेगा। और उसे बेवजह परेशान किये जाने और नाहक सियासत करने का दोषी माना जाना चाहिये।
और यदि website मे ऐसी कोई जानकारी नही है तो आपको ifwj /upwju की कार्यशैली के खिलाफ खुल कर सामने आना होगा।
बीच का कोई रास्ता नही बचता। खासतौर से वो जिम्मेदार पत्रकार नेता तो बीच का रास्ता अपना ही नही सकते जो जन समर्थन ( वोट) के लिये पत्रकारों के बीच जाते हैं। पत्रकारो की समस्याये सुलझाने का वादा करते है।
आपको बताना ही होगा। क्या किसी भी पत्रकार यूनियन से जुड़ा व्यक्तित्व या बाहरी पत्रकार भी यूनियन के बारे मे या उसकी कार्यशैली से जुड़ा सवाल नही पूछ सकता है ?
क्या किसी भी elected body की transparency नही होना चाहिये है ? अगर ifwj की website पर यूनियन की वो सारी बाते हैंl ifwj के चुनाव की सूचना किसी भी रूप मे यूनियन के सदस्यो / वोटरो को दी गयी थी फिर भी कामरान इस तरह के सवाल बेवजह कर रहे हैं। तो क्या कामरान जी को गलत ठहराने का फर्ज जिम्मेदार पत्रकारों का नही है ?
और यदि ifwj वोटरो/सदस्यो को बिना सूचना दिये चुनाव करवाता है तो क्या आप इन चुनावों को अवैध/असंवैधानिक/ नाजायज नही मानते ?
कामरान जी द्वारा ifwj के संविधान की जानकारी कई बार माँगने के बाद भी नही दी गयी। और जब एक विरोध प्रदर्शन मे पत्रकारों के बीच संविधान की जानकारी माँगने का आग्रह किया तो राव साहब ने कामरान को डाट-डपट के सबके सामने कहा कि सारी जानकारी ifwj की website पर है।
और यदि website पर ऐसी कोई जानकारी नही तो क्या जिम्मेदार पत्रकारों को ifwj के अध्यक्ष श्री के विक्रम राव जी और उनकी यूनियन को गलत नही ठहराना चाहिये ?
सच का साथ देना क्या पत्रकारों का दायित्व नही है ?
तकरार का ये वाकिया जिन पत्रकारों के बीच हुआ था वहाँ बहुत सारे पत्रकारों में वरिष्ठ पत्रकार, ifwj के राष्ट्रीय पार्षद, प्रेस क्लब एवं Upsacc के पूर्व पदाधिकारी परम आदरणीय भाई सुरेश बहादुर सिंह, Upsacc के अध्यक्ष भाई प्रांशु मिश्र और फोटो ज्रर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष भाई एस एम पारी साहब के अतिरिक्त कई जिम्मेदार वरिष्ठ पत्रकार मौजूद थे।
इन पत्रकार नेताओं से निवेदन है कि सम्पूर्ण मामले पर अपनी राय और अपना फैसला सुनाते हुए पत्रकारों को अवश्य अवगत कराये कि पूरे वाकिये में सही कौन है और कौन गलत है ? पत्रकार आपके जवाब/फैसले/ और आपकी राय का इन्तजार करेंगे।
क्योकि आप पत्रकारों के नेता है। वरिष्ठ / जिम्मेदार/ निष्पक्ष पत्रकार है। आप लोग मौका-ए-वाकिये पर भी थे। इसलिये जवाब देना आपका फर्ज / दायित्व है। समस्त पत्रकार आपके जवाब के मुन्तजिर रहेंगे ।।