Yellow Journalism की आरोपित हैं संपादिका रेखा गौतम, कानूनी नोटिस जारी
राजेंद्र गौतम की कार्यशैली इस बात को प्रमाणित करती है कि फर्जी समाचार लिखे जाने के खिलाफ वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी द्वारा उनके विरुद्ध थाना हजरतगंज मुकदमा दर्ज कराया गया तो अपने तरकश से जाति सूचक मुकदमा दर्ज करा दिया गया और फिर सुलह समझौता करके मामले को रफा दफा किया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हॉकर से बने पत्रकार राजेंद्र गौतम विदित नोटिस मिलने के उपरांत अपने इस हथियार को पुनः इस्तेमाल न करें इसलिए मुख्यसचिव एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को विधिक नोटिस की प्रति उपलब्ध कराते हुए राजेंद्र गौतम एवं उनके परिवार के संबंध में समस्त जानकारियां उपलब्ध करा दी गयी है
1. पत्नी चालीसा छापने वाले अखबार पर मेहरबानी
2. पीत पत्रकारिता की आरोपिता को लाखों का विज्ञापननिष्पक्ष दिव्य संदेश – सिलसिलेवार,भाग-5
इंसान का रहन-सहन, संगति, पालन पोषण उसकी भाषा में झलकता हैं, करोड़ों की संपत्ति कैसे कमाई गयी ये तो सभी जानते है लेकिन भाषा शैली और समाचार लिखने में जिन शब्दावली का प्रयोग किया जाता है वो हॉकर पत्रकारिता ही हो सकती है जिसमे समाचार की कोई विश्वसनीयता नही होती है बल्कि बढ़ा-चढ़ा कर मनमाफिक लिखी गई खबर, ठग, 420, दागदार, ब्लैकमेलर, जालसाज लिख कर सनसनीख़ेज़ पत्रकारिता और पीत पत्रकारिता की जाती है।
हॉकर की पहचान से कभी शर्मिंदा नहीं होते पत्रकार राजेंद्र…
हॉकर से पत्रकार बने राजेंद्र गौतम को निचले स्तर पर…
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी को ठग, तो ईमानदार, निडर पत्रकार अनूप गुप्ता को 420, और सम्मानित पत्रकार विक्रम राव साहब के बारे में।जिन शब्दों का चयन किया गया उसको लिखा जाना उपयुक्त नही है। Yellow Journalism की आरोपित संपादिका रेखा गौतम और समाचार पत्र निष्पक्ष दिव्य संदेश पर Censorship लागू करते हुए उचित कार्रवाई हेतु DAVP, भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक कार्यालय भेज दिया गया था परंतु करवाई न किए जाने पर आज Yellow Journalism का स्तर इतना ऊंचा हो गया है कि किसी भी पत्रकार, किसी भी समाज सेवी या किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के लिए जिस शब्दावली और जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है वह आमतौर पर किसी भी समाचार पत्र में देखने को नहीं मिलता लेकिन खबरों को झूठ और शब्दों को निम्न स्तर पर ले जाकर जिस तरह की निचले स्तर की पत्रकारिता का परिचय दिया जा रहा है, आम जनमानस में लोग इसे हॉकर पत्रकारिता के नाम से जानते हैं। प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा सुनवाई के उपरांत जो आदेश पारित किया गया वो इस अखबार और इससे जुड़े लोगों की कार्यशैली प्रमाणित करता है।
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This is against the norms of journalistic ethics and this is not the way to report. Accordingly, the Inquiry Committee Censures the respondent newspaper with the direction to the respondent to forward this Inquiry Committee’s Order to all the media and authorities to whom the respondent had forwarded the impugned news item through e-mail. It also directed the respondent to upload the Order on his Facebook account of the newspaper. The Inquiry Committee recommended to the Council to Censure the respondent editor, Nishpaksh Divya Sandesh, Lucknow, U.P.
Held
The Press Council on consideration of records of the case and report of the Inquiry Committee accepts reasons, findings and adopts the report of the Committee and decided to Censure the respondent editor, Nishpaksh Divya Sandesh, Lucknow, U.P. A copy of the adjudication be sent to the DAVP/RNI, Government of U.P. for necessary action as they deem fit.
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हॉकर पत्रकारिता का ये रूप नई पीढ़ी के युवा वर्ग के पत्रकारों के लिए कमाई का एक साधन तो हो सकता है लेकिन yellow जर्नलिज्म का धब्बा और दाग जो चेहरे पर लग जाएगा उसको मिटाना बड़ा मुश्किल होगा।
ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी अवनीश अवस्थी के बारे में । नाम बड़े दर्शन खोटे लिखते हुए आरोप लगया की पत्नी चालीसा छापने वाले अखबारों को विज्ञापन दिया जाता है वही मुख्यमंत्री कार्यालय के एसपी गोयल के बारे में जिन शब्दावली का प्रयोग किया गया उनके द्वारा समाचार पत्र दिव्य संदेश पर कार्रवाई की गई होती तो आज करोड़ों का साम्राज्य अपने अस्तित्व में न दिखाई देता।
70000 समाचार पत्र की बिक्री से लगभग लाखों करोड़ों रुपए की आमदनी होती है क्योंकि एक समाचार पत्र का मूल्य ₹3 रखा गया है और यदि प्रमाणित प्रसार संख्या के हिसाब से गुणा भाग करके देखा जाए तो दो दैनिक समाचार पत्र एवं सप्ताहिक समाचार पत्र जिनकी कुल प्रसार संख्या 70 हजार से ऊपर होगी, सबका लेखा-जोखा कई करोड़ में जाता है, इन अखबारों की खरीद के लिए कागज कहां से आता है और छपाई पर कितना व्यय होता है, यह सब की तकनीकी जानकारी सभी के पास उपलब्ध है और गुणा भाग करके दिए जाने वाले जीएसटी की धनराशि विभाग से प्राप्त की जा सकती है ।
निष्पक्ष दिव्य संदेश और तिजारत की संपादिका रेखा गौतम एवं…
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समाचार पत्र हेतु दिए जाने वाले जीएसटी और भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में चल रहा बैंक खाते से लेखा-जोखा प्राप्त किया गया तो अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं जिससे yellow journalism की आरोपित रेखा गौतम के लिए बचना असंभव सा प्रतीत होता है लेकिन जो कोई भी समाचार या इन तथ्यों का खुलासा करता है उसको ब्लैकमेलर, ठग, 420 या अन्य नाम से राजेंद्र गौतम प्रचारित करने लगते हैं, फिलहाल विधिक नोटिस के जरिये रेखा गौतम, राजेंद्र गौतम एवं अन्य के विरुद्ध बलकमैकेर के आरोपों को सिद्ध करने का अवसर दिया गया है ।
द संडे व्यूज समाचार पत्र का ब्लैकमेलर संपादक फ़रार, न्यायालय…
राजेंद्र गौतम की कार्यशैली इस बात को प्रमाणित करती है कि फर्जी समाचार लिखे जाने पर वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी द्वारा उनके विरुद्ध थाना हजरतगंज मुकदमा दर्ज कराया गया तो अपने तरकश से जाति सूचक मुकदमा दर्ज करा दिया गया और फिर सुलह समझौता करके मामले को रफा दफा किया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हॉकर से बने पत्रकार राजेंद्र गौतम विदित नोटिस मिलने के उपरांत अपने इस हथियार को पुनः इस्तेमाल न करें इसलिए मुख्यसचिव एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को विधिक नोटिस की प्रति उपलब्ध कराते हुए राजेंद्र गौतम एवं उनके परिवार के संबंध में समस्त जानकारियां उपलब्ध करा दी गयी है एवं भारत सरकार के अनेक विभागों डीएवीपी, RNI, जीएसटी, इनकम टैक्स, प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश को yellow journalism की आरोपित रेखा गौतम के समाचार पत्र निष्पक्ष दिव्य संदेश, तिजारत द्वारा प्राप्त विज्ञापनों की जांच हेतु कार्यवाही की जा रही है।
सिलसिलेवार, भाग-6
₹55 किलो की दर से लगभग 5 करोड़ का सालाना कागज़ की खरीद फरोख्त का खुलासा
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प्रतिमाह बिजली का कितना होगा उपयोग